बॉम्बे हाईकोर्ट ने पंजाब नेशनल बैंक घोटाला मामले में गीतांजलि समूह के पूर्व उपाध्यक्ष विपुल चितालिया को जमानत दी
Brij Nandan
11 Aug 2022 6:51 AM GMT
![बॉम्बे हाईकोर्ट ने पंजाब नेशनल बैंक घोटाला मामले में गीतांजलि समूह के पूर्व उपाध्यक्ष विपुल चितालिया को जमानत दी बॉम्बे हाईकोर्ट ने पंजाब नेशनल बैंक घोटाला मामले में गीतांजलि समूह के पूर्व उपाध्यक्ष विपुल चितालिया को जमानत दी](https://hindi.livelaw.in/h-upload/2022/08/11/750x450_429983-429979-pnb-scam-mehul-choks.jpg)
बॉम्बे हाईकोर्ट (Bombay High Court) ने गीतांजलि ग्रुप ऑफ कंपनीज के पूर्व उपाध्यक्ष (बैंकिंग परिचालन) और समूह के मालिक मेहुल चोकसी (Mehul Choksi) से जुड़े करोड़ों रुपये के पंजाब नेशनल बैंक (PNB) घोटाले के आरोपी विपुल चितालिया (Vipul Chitalia) को जमानत दी।
जस्टिस भारती डांगरे ने मार्च 2018 में घोटाले में गिरफ्तार होने के साढ़े चार साल बाद चितलिया को जमानत दी।
उन पर आईपीसी की धारा 120 बी आर/डब्ल्यू 420 आईपीसी और भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की धारा 13 (2) आर/डब्ल्यू 13 (1) (डी) के तहत मामला दर्ज किया गया था।
4 दिसंबर, 2020 के एक विशेष अदालत के आदेश के खिलाफ सीआरपीसी की धारा 439 के तहत चितालिया का यह तीसरा आवेदन था, जिसमें उन्हें जमानत देने से इनकार कर दिया गया था।
चितलिया के वकील विजय अग्रवाल और राहुल अग्रवाल ने जमानत की मांग करते हुए अपनी लंबी हिरासत अवधि का हवाला दिया।
उन्होंने बताया कि सीबीआई ने अभी भी अपनी जांच पूरी नहीं की है और आरोप तय किए जाने बाकी हैं।
हाल ही में सीबीआई ने 47 हजार पन्नों का पूरक चार्जशीट दाखिल किया और कहा कि वह जांच जारी रखना चाहता है।
सीबीआई के लिए विशेष लोक अभियोजक हितेन वेनेगवकर ने चीतालिया के खिलाफ चार्जशीट में आरोपों को दोहराया।
उन्होंने तर्क दिया कि चोकसी के साथ धोखाधड़ी लेनदेन करने में चितलिया "मास्टरमाइंड" था और जो शुरुआत से ही धोखाधड़ी के बारे में जानता था।
एजेंसी ने कहा कि इसके अलावा, वह बैंकों से लेटर्स ऑफ अंडरटेकिंग (एलओयू) के लिए आवेदन जारी करने के लिए समूह के दो अधिकृत हस्ताक्षरकर्ताओं में से एक था।
एलओयू एक बैंक गारंटी है जिसके तहत एक बैंक अपने ग्राहक को दूसरे, विशेष रूप से विदेशी बैंक से फंड जुटाने की अनुमति दे सकता है।
हालांकि, बचाव पक्ष ने तर्क दिया कि चितलिया के सह-आरोपी, जिन्होंने उसके साथ एलओयू पर हस्ताक्षर किए थे, को मामले में पहली चार्जशीट दायर होने के तुरंत बाद जमानत दे दी गई थी।
चोकसी पर कुछ बैंक अधिकारियों की मिलीभगत से पीएनबी को धोखाधड़ी से एलओयू प्राप्त करके 12,000 करोड़ रुपये से अधिक की धोखाधड़ी करने का आरोप है।
सीबीआई के आरोपपत्र के अनुसार, पीएनबी की ब्रैडी हाउस शाखा के तत्कालीन उप प्रबंधक गोकुलनाथ शेट्टी, जो इस मामले के मुख्य आरोपियों में से एक हैं, ने 58 फर्जी फॉरेन लेटर ऑप क्रेडिट को साफ करने के लिए चोकसी की कंपनियों से 1.02 करोड़ रुपये की रिश्वत ली और 142 फर्जी लेटर ऑफ अंडरटेकिंग (एलओयू) शामिल हैं।