बॉम्बे हाईकोर्ट ने उद्धव ठाकरे के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने की मांग वाली याचिका खारिज की

Brij Nandan

30 Jun 2022 6:11 AM GMT

  • बॉम्बे हाईकोर्ट ने उद्धव ठाकरे के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने की मांग वाली याचिका खारिज की

    बॉम्बे हाईकोर्ट (Bombay High Court) ने उद्धव ठाकरे (Uddhav Thackeray) और अन्य के खिलाफ एफआईआऱ दर्ज करने की मांग वाली जनहित याचिका खारिज कर दी।

    इसके साथ ही कोर्ट एकनाथ शिंदे और अन्य विधायक को काम पर वापस लौटने की मांग वाली याचिका पर कहा कि एक लाख रुपए प्री-कन्डिशन के रूप में जमा करने के बाद ही सुनवाई होगी।

    चीफ जस्टिस दीपांकर दत्ता और जस्टिस एमएस कार्णिक की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा कि शिंदे के खिलाफ जनहित याचिका राजनीति से प्रेरित और पर्याप्त शोध के बिना दायर की गई है।

    सीजे दत्ता ने आदेश दिया,

    "प्रथम दृष्टया हमारा विचार है कि जनहित याचिका राजनीतिक रूप से प्रेरित है और जनहित याचिका को लागू करने से पहले आवश्यक शोध किया जाना चाहिए था। याचिकाकर्ता ने जोर देकर कहा कि इसे सुना जाना चाहिए, हम एक लाख रुपए प्री-कन्डिशन के रूप में जमा करने का निर्देश देते हैं तभी सुनवाई होगी। ऐसा नहीं करने पर याचिका खारिज हो जाएगी।"

    याचिकाकर्ता उत्पल बाबूराव चंदावर और अन्य के वकील असीम सरोदे ने कहा कि वे पैसे देने की स्थिति में नहीं हैं।

    इसके तुरंत बाद पीठ ने हेमंत पाटिल द्वारा दायर दूसरी याचिका को खारिज कर दिया, जिसमें शिवसेना के उद्धव ठाकरे, उनके बेटे आदित्य ठाकरे और करीबी सहयोगी सांसद संजय राउत के खिलाफ कथित "सार्वजनिक उपद्रव" और देशद्रोह के लिए एफआईआर दर्ज करने की मांग की गई थी।

    अदालत ने उनके वकील से पहले मजिस्ट्रेट के पास जाने के बजाय सीधे हाईकोर्ट आने पर सवाल किया।

    कोर्ट ने कहा,

    "सीआरपीसी में क्या प्रावधान है? एक निजी शिकायत करें। कोई भी निजी शिकायत दर्ज कर सकता है। आपने सीधे हाईकोर्ट से संपर्क क्यों किया है?"

    याचिका में क्या मांग की गई थी?

    उत्पल बाबूराव चंदावर और अन्य द्वारा पहली जनहित याचिका में आरोप लगाया गया है कि एकनाथ शिंदे और शिवसेना के अन्य बागी 38 विधायक गुवाहाटी के एक होटल में डेरा डालकर अपने आधिकारिक कर्तव्यों की "उपेक्षा" कर रहे हैं। याचिका में उन्हें महाराष्ट्र लौटने और आधिकारिक कार्यों को फिर से शुरू करने का निर्देश देने की मांग की गई है।

    एडवोकेट अजिंक्य उडाने के माध्यम से दायर जनहित याचिका में कहा गया है कि महाराष्ट्र राज्य में मौजूदा राजनीतिक उथल-पुथल के कारण नागरिकों के सार्वजनिक अधिकारों की अनदेखी की जा रही है।

    पाटिल की दूसरी जनहित याचिका में ठाकरे के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करने और उन्हें एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाले "विद्रोही" विधायकों के खिलाफ प्रेस कॉन्फ्रेंस या दौरे आयोजित करने से रोकने की मांग की गई है।

    यह ध्यान दिया जा सकता है कि उद्धव ठाकरे ने सीएम पद से इस्तीफा दे दिया, इसके तुरंत बाद सुप्रीम कोर्ट ने आज फ्लोर टेस्ट की अनुमति दी थी।

    Next Story