Begin typing your search above and press return to search.
मुख्य सुर्खियां

बॉम्बे हाईकोर्ट ने 42 साल पुराने मामले को फिर से निकाला, निचली अदालत को शीघ्र सुनवाई करने के निर्देश

LiveLaw News Network
31 Jan 2020 6:08 AM GMT
बॉम्बे हाईकोर्ट ने 42 साल पुराने मामले को फिर से निकाला, निचली अदालत को शीघ्र सुनवाई करने के निर्देश
x

बॉम्बे हाईकोर्ट ने हाल ही में कमला भरवानी (जो दिवंगत हो चुके हैं) की 1998 में दायर एक याचिका पर सुनवाई की अनुमति दी। इस याचिका में 1978 में दिए गए निचली अदालत के फ़ैसले को चुनौती दी गई है। निचली अदालत ने उस मामले को ख़ारिज कर दिया था और इस मामले को दुबारा बहाल करने की अपील ख़ारिज कर दी थी।

न्यायमूर्ति एएस गड़करी ने कहा कि मामले को बहाल करने की अपील पर ग़ौर नहीं करके निचली अदालत ने ग़लती की थी और 26 जून 1998 को दिए गए निचली अदालत के आदेश को ख़ारिज कर दिया।

मूल मामला प्रतिवादियों को एक परिसर से हटाने के बारे में था। याचिकाकर्ता की बेटी उसकी कॉन्स्टिच्यूटेड अटर्नी थी और उनके बयान 12 जनवरी 1989 और 28 फ़रवरी 1989 को रिकॉर्ड हुए थे। इसके बाद मामले को बार बार स्थगित किया गया।

26 जून 1998 को याचिकाकर्ता और उनके वक़ील अदालत में मौजूद नहीं थे और इसलिए निचली अदालत ने मामले को यह कहते हुए ख़ारिज कर दिया कि अभियोजन मौजूद नहीं था। निचली अदालत ने यह भी कहा कि वादी और वक़ील भी अदालत से नदारद थे।

याचिकाकर्ता के वक़ील ने मामले को बहाल करने की अर्ज़ी दी जिसे निचली अदालत ने ख़ारिज कर दिया।

फ़ैसला

अदालत ने कहा : "निचली अदालत के मन में यह बात थी कि मामला 1978 से लंबित है और बयान रिकॉर्ड करने के बाद मामले में कोई प्रगति नहीं हुई है जिसका मतलब यह है कि वादी मामले को लटकाना चाहता है।…"

पीठ ने हालांकि, यह भी कहा कि इस मामले को दुबारा बहाल करने के लिए जो आवेदन दिया गया था उसमें यह स्पष्ट रूप से कहा गया था कि वादी अपने घर से 9 बजे सुबह चली अदालत के लिए जबकि डॉक्टर ने उसे ऐसा करने से मना किया गया था पर रास्ते में उसकी स्थिति बिगड़ गई और उसे घर वापस आना पड़ा और याचिकाकर्ता के वक़ील ने इस बात की शिकायत की थी।

अदालत ने कहा,

"यह स्पष्ट है कि उपरोक्त कारण से याचिकाकर्ता का वक़ील 11 बजे सुबह अदालत नहीं आ पाया। रिकॉर्ड के अनुसार, वक़ील इसके बाद अदालत में 1 बजे उपस्थित हुआ और इस मामले को बहाल करने की अर्ज़ी दी…। इस अदालत की राय में मामले को बहाल करने के आवेदन पर ग़ौर नहीं करके निचली अदालत ने ग़लती की है…।"

इस तरह, 26 जून 1998 को जारी दो आदेशों को निरस्त कर दिया गया और मामले को बहाल कर दिया गया। निचली अदालत को इस मामले की सँवाइ एक साल के भीतर पूरी कर लेने का निर्देश दिया गया है।


आदेश की प्रति डाउनलोड करने के लिए यहां क्लिक करें




Next Story