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राजद्रोह केस : शरजील के समर्थन में नारे लगाने वाली छात्रा को बॉम्बे हाईकोर्ट ने दी अंतरिम राहत

बॉम्बे हाईकोर्ट ने मंगलवार को टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल साइंसेज (टीआईएसएस) की मास्टर्स की एक 22 वर्षीय छात्रा उर्वशी चुडावाला को गिरफ्तारी से अंतरिम सुरक्षा दी है।
उर्वशी चुडावाला के खिलाफ शरजील इमाम के समर्थन में एक रैली के दौरान कथित रूप से नारे लगाने के लिए राजद्रोह का केस दर्ज किया गया था। दक्षिण मुंबई में एलजीबीटीक्यू समुदाय के लिए इस रैेली का आयोजन किया गया था।
यह आदेश न्यायमूर्ति एस.के. शिंदे की एकल पीठ ने पारित किया था। गिरफ्तारी की स्थिति में अदालत ने आदेश दिया है कि उक्त छात्रा को 25000 रुपये के व्यक्तिगत बांड पर रिहा किया जाए।
उसे 12 और 13 फरवरी को सुबह 11 बजे से दोपहर 2 बजे के बीच जांच अधिकारी के सामने उपस्थित होने के लिए कहा गया है। इसके अलावा, उसे यह भी कहा गया है कि वह मुंबई और ठाणे के इलाके से बाहर न जाए।
अदालत ने इस मामले में अभियोजन पक्ष से पूछा की कि क्या 2015 में हाईकोर्ट द्वारा राजद्रोह के मामलों के लिए स्वीकार किए गए दिशानिर्देशों का पालन किया गया है या नहीं।
एपीपी ने प्रस्तुत किया कि उन्होंने अभी तक दिशा-निर्देशों का पालन नहीं किया है, लेकिन वे करेंगे।
कोर्ट 2012 में तत्कालीन कांग्रेस-एनसीपी सरकार द्वारा प्रस्तुत दिशानिर्देशों के प्रारूप का उल्लेख कर रही थी। उक्त दिशा-निर्देशों के तहत पुलिस को किसी भी व्यक्ति के खिलाफ आईपीसी की धारा 124 ए लागू करने से पहले कुछ पूर्व शर्तें पूरी करने की आवश्यकता होती है।
2015 में बॉम्बे हाईकोर्ट ने इन दिशा-निर्देश को स्वीकार कर लिया था। इनके अनुसार सरकारी वकील को लिखित रूप में जिला विधि अधिकारी की राय लेनी होगी, जिसमें देशद्रोह का केस बनाने के कारण स्पष्ट करने होंगे।
इस प्रकार, हाईकोर्ट ने कहा,
''आप अभी भी (दिशा-निर्देशों) का पालन कर सकते हैं। यदि आप चाहें, तो हम बाद में उसकी याचिका में अंतिम आदेश पारित कर सकते हैं।''
अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश प्रशांत राजवैद्य ने गिरफ्तारी से बचने के लिए इस छात्रा को सुरक्षा प्रदान करने से इनकार कर दिया था, जिसके बाद उसने हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी।
उसके खिलाफ आईपीसी की धारा 124 ए (देशद्रोह), 153 बी (राष्ट्रीय एकता के पूर्वाग्रही कथन, अभ्यारोप)( Imputations, assertions prejudicial to national-integration ), और भारतीय दंड संहिता की धारा 505 के साथ 34 के तहत मामला दर्ज किया गया था।
5 फरवरी को, मुंबई के एक सत्र न्यायालय ने उसकी गिरफ्तारी से पहले जमानत देने की मांग वाली याचिका को खारिज कर दिया था। सत्र अदालत ने कहा था कि नारों से राजद्रोह का एक प्रथम दृष्टया मामला बनता है।
उसकी याचिका को खारिज करते हुए, अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश प्रशांत राजवैद्य ने कहा था,
''उसका बयान प्रथम दृष्टया भारतीय दंड संहिता की धारा 124 ए के तहत राजद्रोह के आरोपों के तत्वों को आकर्षित करता है,जिसमें आजीवन कारावास की सजा का प्रावधान है। मामला गंभीर प्रकृति का है, मामले की जड़ों तक पहुंचने के लिए हिरासत में पूछताछ आवश्यक है।''
अभियोजन पक्ष के अनुसार, उर्वशी ने नारा लगाया - ''शरजील तेरे सपने को हम मंजिल तक पहुंचाएंगे।"
जेएनयू के एक पीएचडी छात्र और आईआईटी मुंबई से मास्टर्स करने वाले एक्टिविस्ट शारजील इमाम को दिल्ली पुलिस ने सीएएए-एनआरसी के खिलाफ विरोध प्रदर्शन के दौरान उसके भड़काऊ भाषणों के आरोप में गिरफ्तार किया था। उसके खिलाफ पांच अलग-अलग राज्यों ने राजद्रोह का मुकदमा दर्ज किया है।