- Home
- /
- मुख्य सुर्खियां
- /
- बॉम्बे हाईकोर्ट ने...
बॉम्बे हाईकोर्ट ने केंद्र और महाराष्ट्र सरकार से कहा, निजी COVID-19 जांच लैब को मंजूरी देने पर करें विचार

बॉम्बे हाई कोर्ट (नागपुर पीठ) ने घातक COVID-19 के उपचार और रोकथाम के लिए अत्यधिक देखभाल सुनिश्चित करने के लिए कई दिशा-निर्देश जारी किए हैं।
विशेष रूप से, वर्तमान में महाराष्ट्र कोरोना वायरस से सबसे ज्यादा प्रभावित राज्य है। इस पृष्ठभूमि में जस्टिस सुनील बी. शुक्रे और जस्टिस अविनाश जी.घरोटे की पीठ ने पर्याप्त संख्या में जांच केंद्रों की उपलब्धता सुनिश्चित करने और चिकित्सा उपकरणों की आवश्यकता पर जोर दिया।
बेंच ने राज्य सरकार को निर्देश दिया है कि यवतमाल, गढ़चिरौली और चंद्रपुर जैसी जगहों पर दो सप्ताह के भीतर COVID-19 के परीक्षण के लिए वीआरडीएल सुविधाओं के निर्माण और संचालन के लिए आवश्यक कदम उठाए जाएं, जहां COVID- 19 के पुष्टि हो चुके मामले पाए गए हैं।
सुनवाई के दौरान एक और बड़ी चिंता का विषय COVID-19 रोगियों की देखभाल में शामिल मेडिकल स्टाफ से उनके ही परिवार के सदस्यों में वायरस का संक्रमण पाया गया। इस संबंध में, अदालत ने निर्देश दिया है कि अधिकारियों को स्वयं इस तरह की आकस्मिकता पर विचार करना होगा और कुछ ऐसे समाधान निकालने होंगे जो सभी संबंधितों को स्वीकार्य
अदालत ने सुझाव दिया कि COVID-19 रोगियों की देखभाल करने वाले डॉक्टरों और सभी स्टाफ सदस्यों को सलाह दी जाए कि वह कुछ दिन संबंधित अस्पतालों में रहें और घर वापस न आएं।
पीठ ने कहा कि
''अगर इस संबंध में कोई निर्देश दिया जाना है, तो यह संबंधित चिकित्सा प्राधिकरण को देना होगा और उसके लिए भी, संबंधित अस्पताल में आवासीय सुविधा बनानी होगी।''
इसके अलावा, यह भी निर्देश दिया गया है कि
1.भारत संघ और महाराष्ट्र सरकार को महाराष्ट्र राज्य में निजी प्रयोगशालाओं के लिए अनुमोदन और पंजीकरण प्रदान करने पर विचार करना चाहिए, जो पहले से ही COVID-19 परीक्षण की सुविधा से लैस हैं,जिसमें ध्रुव प्रयोगशाला, नागपुर भी शामिल हो। एक सप्ताह के भीतर लागू मानदंडों को पूरा करने वाली इस तरह की निजी प्रयोगशालाओं को स्वीकृति प्रदान की जाए।
2.राज्य को एक सप्ताह के भीतर विदर्भ क्षेत्र में स्थित केंद्रीय जेलों में अलगाव वार्ड या आइसलेशन वार्ड स्थापित करने के लिए आवश्यक व्यवस्था करनी चाहिए।
3.राज्य सरकार को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि एक सप्ताह के भीतर COVID-19
के मरीजों की देख-रेख करने लेने वाले डॉक्टरों, नर्सिंग स्टाफ और स्वच्छता कर्मचारियों को सुरक्षा प्रदान करने के लिए सभी स्थानों पर रोकथाम और संरक्षण उपकरण (पीपीई) पर्याप्त संख्या में उपलब्ध कराए जाएं।
4.भारत संघ, महाराष्ट्र राज्य और स्थानीय अधिकारियों को एक-दूसरे के साथ समन्वय करना चाहिए और पर्याप्त संख्या में अतिरिक्त परीक्षण किट खरीदने के लिए एनआईवी, पुणे के साथ भी समन्वय करना चाहिए।
5.भारतीय संघ को अनुमोदित भारतीय किटों को शुरू करने के लिए आवश्यक कदम उठाने चाहिए ताकि जांच के उद्देश्य के लिए अधिक किट उपलब्ध हो सकें।
6.भारत के संघ को एक समाचार पत्र की उस रिपोर्ट को सत्यापित या पता करना चाहिए जिसके अनुसार आईआईटी दिल्ली ने एक नई COVID परीक्षण किट विकसित की है जो अब तक उपलब्ध किट से काफी सस्ती होगी। यदि रिपोर्ट सही पाई जाती है, तो सरकार को दो सप्ताह के भीतर एनआईवी, पुणे से एक व्यवहार्यता या साध्यता रिपोर्ट लेनी चाहिए और फिर मामले में जरूरी कदम उठाने चाहिए।
7.राज्य को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि जब तक स्थिति में सुधार नहीं हो जाता है घरेलू उड़ानों से आने वाले सभी यात्रियों की थर्मल स्क्रीनिंग नागपुर हवाई अड्डे पर की जाए।
8.कलेक्टर, नागपुर और एनएमसी ,नागपुर जैसे स्थानीय अधिकारियों को आवश्यक जागरूकता पैदा करनी चाहिए और हवाई अड्डे, रेलवे और बस स्टेशनों पर अपने संबंधित अधिकारियों को निर्देश जारी करने चाहिए कि वह अपने संबंधित कर्मचारियों के सदस्यों को उचित सुरक्षा गियर प्रदान करें। यह निर्देश अन्य सार्वजनिक उपक्रमों, राज्य या केंद्र पर भी लागू होती हैं।
अदालत ने यह भी कहा कि सीआरपीसी की धारा 144 के तहत एक आदेश जारी करना सड़कों पर व्यक्तियों के घूमने-फिरने को प्रतिबंधित करने और समुदाय के सदस्यों को उनके घरों तक सीमित करने के लिए पर्याप्त नहीं होगा।
पीठ ने कहा कि-
''इस मामले के लिए, पुलिस आयुक्त और जिला मजिस्ट्रेट को यह भी विचार करना होगा कि इस धारा के तहत यह आदेश इस तरह से जारी किया जाए कि सार्वजनिक सड़कों और सार्वजनिक स्थानों पर प्रत्येक व्यक्ति या वाहन का आना-जाना रोका जा सकें।''
इसी बीच, अदालत ने एक समाचार पत्र की रिपोर्ट पर ध्यान दिया, जिसमें बताया गया है कि नागपुर में एक महिला,जिसे जुखाम,खांसी व तेज बुखार था,उसको यह कहते हुए कोरोना वायरस परीक्षण सुविधा से वापिस भेज दिया गया कि उसने कभी विदेश की यात्रा नहीं की है या उसकी विदेश यात्रा के संबंध में कोई इतिहास नहीं है।
पीठ ने कलेक्टर, नागपुर और साथ ही नगर आयुक्त, नागपुर को निर्देश दिया है कि इस रिपोर्ट की सच्चाई जानने के लिए इसकी जांच की जाए और अगर यह सही पाई जाती है, तो इस मामले में आवश्यक कदम उठाए जाएं, क्योंकि यह उन सभी व्यक्तियों की सुरक्षा पर एक गंभीर चिंता पैदा करता है, जो इस तरह के किसी भी रोगी के संपर्क में आ सकते हैं।
मामला अब 4 अप्रैल के लिए सूचीबद्ध किया गया है।
मामले का विवरण-
केस शीर्षक- सुभाष जयनारायण झंवर बनाम भारत संघ
केस नंबर- पीआईएल नंबर 10/2020
कोरम- जस्टिस सुनील बी. शुक्रे और अविनाश जी. घरोटे