Bois Locker Room : वकीलों ने सुप्रीम कोर्ट को भेजी पत्र याचिका, आपराधिक कार्रवाई की मांग

LiveLaw News Network

7 May 2020 4:00 AM GMT

  • Bois Locker Room : वकीलों ने सुप्रीम कोर्ट को भेजी पत्र याचिका, आपराधिक कार्रवाई की मांग

    तीन वकीलों ने सुप्रीम कोर्ट को पत्र लिखकर Bois Locker Room नामक इंस्टाग्राम चैट ग्रुप के स्क्रीनशॉट्स के वायरल होने के बाद इसके खिलाफ कार्रवाई शुरू करने की मांग की है।

    सेक्रेट्री जनरल को पांच पृष्ठ के एक पत्र में देश के जनमानस को झकझोर देनेवाली इस घटना के बारे में बताया गया है जो 3 मई को प्रकाश में आई और सुप्रीम कोर्ट से इस मामले की सुनवाई करने का आग्रह किया गया है।

    इस ग्रुप की प्रकृति के बारे में विस्तार से बताने के बाद Bois Locker Room में क्या चल रहा था, इसकी जानकारी दी गई है, जिसका कंटेंट सार्वजनिक हो गया था। यह बताया गया कि दिल्ली महिला आयोग इस मामले का संज्ञान लेते हुए इंस्टाग्राम और दिल्ली पुलिस को 4 मई को नोटिस जारी किया। यह भी बताया गया कि दिल्ली पुलिस की साइबर अपराध शाखा ने सोशल मीडिया की रिपोर्ट के आधार पर मामले का संज्ञान लेकर आईपीसी और आईटी अधिनियम के तहत मामला दर्ज किया है। यह मामला सूचना तकनीक अधिनियम, 2000 की धारा 67 और 67A और आईपीसी की धारा 506, 507, 509, 465 और 471 के तहत भी अपराध है।

    वकीलों ने इस बात पर चिंता व्यक्त की है कि इंस्टाग्राम निजता का मुद्दा उठाकर इस मामले में देरी कर सकते हैं। वकीलों ने कहा है कि समय की मांग है कि इस मामले की समय से जांच की जाए और सुप्रीम कोर्ट से इस मामले की निगरानी करने का आग्रह किया गया है।

    वीडियो शेयरिंग प्लेटफॉर्म पर महिलाओं की सुरक्षा की चिंता को ज़्यादा महत्त्वपूर्ण बताया गया है। वकीलों ने अपने पत्र में लिखा है कि यह घटना इस बात का प्रमाण है कि किस तरह बहुत आसानी से आपत्तिजनक और अश्लील बातों की शेयरिंग इस तरह के प्लेटफॉर्म से होती है।

    फिर किशोर लड़के किस तरह लड़कियों को भोग की वस्तु समझते हैं, रेप के बारे में बढ़-चढ़ कर बोलते हैं और लड़की का रेप करने की धमकी देते हैं जो कि काफ़ी गंभीर मामला है। चूंकि इस मामले में कम उम्र के लड़के शामिल हैं, इसलिए उनको सलाह-परामर्श की ज़रूरत है और इसलिए शीर्ष अदालत को इसमें हस्तक्षेप करना चाहिए।

    पत्र में कहा गया है,

    "यह बहुत ही अफ़सोस की बात है कि 15 साल के लड़के रेप को महिमा मंडित करते हैं, इसकी टेकनीक के बारे में बात करते हैं, महिलाओं को भोग की वस्तु समझते हुए उनके सामूहिक बलात्कार की बात करते हैं। फिर, इस बारे में अफ़सोस जताने या ख़ौफ़ खाने की बजाय ये लोग लड़की को खुलेआम धमकी दे रहे थे कि उसने कुछ बोला तो उसको गंभीर परिणाम भुगतने होंगे। अगर बलात्कार, सामूहिक बलात्कार, उत्पीड़न और मारपीट जैसी बातें बिना किसी डर के इतनी धड़ल्ले से की जा सकती हैं तो निश्चित रूप से इस तरह के लड़कों के ख़िलाफ़ जांच करने, उन पर आरोप तय करने और सज़ा दिए जाने से उन्हें कोई फ़र्क़ नहीं पड़ता।"

    वकीलों ने अपने पत्र में लिखा है,

    "…हम सुप्रीम कोर्ट से आग्रह करते हैं कि वह इस मामले से जुड़े विभिन्न पहलुओं पर ग़ौर करे। यह मामला सिर्फ़ महिलाओं की निजता, सुरक्षा और उनकी भलाई का ही मामला नहीं है बल्कि नाबालिगों को समझाने-बुझाने और परामर्श देने से भी जुड़ा है जो इस तरह के व्यवहारों में संलग्न हैं।"

    अदालत से इसलिए भी इसमें हस्तक्षेप करने को कहा गया है ताकि न्यायिक क्षेत्राधिकार संबंधी चुनौती इस मामले की जांच में कोई बाधा उत्पन्न नहीं करे।

    यह पत्र वक़ील आनंद वर्मा, कौस्तुभ प्रकाश और शुभांगनी जैन ने मिलकर निजी तौर पर लिखा है।

    लाइवलॉ ने जैन से इस बारे में बात की और पूछा कि उन्हें इस मामले को लेकर सुप्रीम कोर्ट के पास जाने की ज़रूरत क्यों महसूस हुई। इस पर उनका कहना था :

    "Bois Locker Room लड़कों विशेषकर नाबालिग लड़कों का ग्रुप है जो रेप की संस्कृति का गुणगान करता है। यह बहुत ही अफ़सोस की बात है कि 15-16 साल के लड़के सामूहिक बलात्कार को इतने हल्के में लेते हैं। चैट डिटेल्स से पता चलता है कि उनमें इस बात को लेकर कोई डर नहीं है कि वे कोई गंभीर अपराध कर रहे हैं।

    हम मानते हैं कि इस मामले में जांच के लिए पुलिस में औपचारिक शिकायत दर्ज करने की ज़रूरत है पर सुप्रीम कोर्ट के पास जाने का कारण यह है कि हम चाहते हैं कि इस मामले की सुनवाई निष्पक्ष और समय पर पूरी हो। फिर, हम चाहते हैं कि इस मामले से जुड़े कई तरह की बातों जैसे महिलाओं की निजता, सुरक्षा और उनकी भलाई के अलावा जूवनायल को इस मुद्दे के बारे में संवेदनशील बनाने का मुद्दा शामिल है, जो इस तरह के व्यवहार में शामिल हैं और किस तरह अनाम अकाउंट के माध्यम से किस तरह किसी को धमकी देना आसान है।"

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