बांकेबिहारी मंदिर की जमीन का स्वामित्व कब्रिस्तान के रूप में बदला गया? : इलाहाबाद हाईकोर्ट ने संपूर्ण राजस्व रिकॉर्ड मांगा

Sharafat

19 Aug 2023 7:50 AM GMT

  • बांकेबिहारी मंदिर की जमीन का स्वामित्व कब्रिस्तान के रूप में बदला गया? : इलाहाबाद हाईकोर्ट ने संपूर्ण राजस्व रिकॉर्ड मांगा

    इलाहाबाद हाईकोर्ट ने मथुरा में बांके बिहारी जी महाराज मंदिर की भूमि को 'कब्रिस्तान' के रूप में स्वामित्व में परिवर्तन के संबंध में संपूर्ण राजस्व रिकॉर्ड पेश करने का निर्देश दिया।

    जस्टिस सौरभ श्रीवास्तव की पीठ ने यह आदेश श्री बिहारी जी सेवा ट्रस्ट (मथुरा के) द्वारा दायर याचिका पर पारित किया।

    न्यायालय ने निर्देश दिया,

    " सुश्री श्वेता, उपजिलाधिकारी, तहसील-छाता, जिला-मथुरा से अनुरोध है कि वे ग्राम-शाहपुर, तहसील-छाता, जिला-मथुरा के प्लॉट नंबर 1081 के संबंध में समय-समय पर की गई प्रविष्टियों के परिवर्तन के विवरण सहित संपूर्ण रिकॉर्ड के साथ आएं और एक अलग हलफनामा दायर करके अदालत को अवगत कराएं।''

    याचिकाकर्ता ट्रस्ट ने यह प्रस्तुत करते हुए अदालत का रुख किया कि ग्राम शाहपुर, तहसील छाता, जिला-मथुरा में प्लॉट नं. 1081 है, जो मूल रूप से राज्य के राजस्व रिकॉर्ड में मंदिर बाके बिहारी जी महाराज के नाम पर दर्ज था, हालांकि, इसे वर्ष 2004 में ही कब्रिस्तान के नाम से बदल दिया गया।

    अपनी रिट याचिका में याचिकाकर्ता ट्रस्ट ने मंदिर बाके बिहारी जी महाराज के स्थान पर कब्रिस्तान बनने के खिलाफ अवैध रूप से दर्ज की गई राजस्व प्रविष्टि को सही करने के लिए याचिकाकर्ता द्वारा दिए गए आवेदन पर निर्णय लेने के लिए परमादेश की प्रकृति के तहत निर्देश देने की मांग की।

    यह तर्क दिया गया कि प्राचीन काल से संबंधित भूखंड बांके बिहारी महाराज के नाम पर रजिस्टर्ड था, हालांकि, 1994 में भोला खान पठान नामक व्यक्ति ने राजस्व अधिकारियों की मिलीभगत से उक्त भूमि को कब्रिस्तान के रूप में रजिस्टर्ड कर लिया।

    जानकारी मिलने पर इसे प्रस्तुत किया गया। मंदिर ट्रस्ट ने इस पर आपत्ति दर्ज की। मामला वक्फ बोर्ड तक गया और सात सदस्यीय टीम ने जांच की और पाया कि कब्रिस्तान को गलत तरीके से रजिस्टर्ड किया गया। हालांकि इसके बावजूद जिस जमीन को लेकर यह याचिका दाखिल की गई है, उस पर बांकेबिहारी महाराज के नाम की रजिस्ट्री नहीं थी।

    अदालत ने 10 अगस्त को मामले की सुनवाई करते हुए प्रतिवादी नंबर 3/तहसीलदार को व्यक्तिगत रूप से पेश होकर राजस्व अधिकारियों द्वारा समय-समय पर संबंधित भूखंड पर उपलब्ध प्रविष्टियों को बदलने के लिए की गई कार्यवाही की व्याख्या करने का निर्देश दिया ।

    हालांकि 17 अगस्त को प्रतिवादी संख्या 3 द्वारा एक व्यक्तिगत हलफनामा दायर किया गया था। इसमें यह स्पष्ट नहीं किया गया कि एक बार याचिकाकर्ता का नाम आधार वर्ष अर्थात 1359 फसली के अधिकारों के रिकॉर्ड में भूमिधर के रूप में हस्तांतरणीय अधिकारों के साथ दर्ज किया गया, फिर किन परिस्थितियों में इसे समय से परिवर्तित कर दिया गया। समय-समय पर और कई अन्य प्रविष्टियां राजस्व रिकॉर्ड में हुई हैं।

    इसे देखते हुए कोर्ट ने उपमंडल अधिकारी को पांच सितंबर को पूरे रिकार्ड के साथ कोर्ट में उपस्थित होने का निर्देश दिया।

    केस टाइटल - श्री बिहारी जी सेवा ट्रस्ट बनाम यूपी राज्य और 4 अन्य [रिट - सी नंबर 27739/2022]

    ऑर्डर पढ़ने/डाउनलोड करने के लिए यहां क्लिक करें



    Next Story