Begin typing your search above and press return to search.
मुख्य सुर्खियां

अयोध्या पर सुनवाई का तीसरा दिन : परासरन ने कहा, रामलला न्यायिक व्यक्ति हैं और जन्मस्थान का मतलब सारा क्षेत्र

LiveLaw News Network
8 Aug 2019 3:09 PM GMT
अयोध्या पर सुनवाई का तीसरा दिन :  परासरन ने कहा, रामलला न्यायिक व्यक्ति हैं और जन्मस्थान का मतलब सारा क्षेत्र
x
राम लला विराजमान की ओर से बहस करते हुए पूर्व AG के. परासरन ने कहा कि भगवान राम में लाखों लोगों की अटूट आस्था ही,यह बात ही इसका प्रमाण है कि वह राम जन्मभूमि है। पूरा इलाका ही राम जन्मभूमि है। उन्होंने रामायण, महाराभारत और अन्य पुराणों के आधार पर जानकारी सामने रखी।

अयोध्या रामजन्मभूमि- बाबरी मस्जिद भूमि विवाद मामले में तीसरे दिन की सुनवाई में राम लला विराजमान की ओर से बहस करते हुए पूर्व AG के. परासरन ने चीफ जस्टिस रंजन गोगोई, जस्टिस एस. ए. बोबड़े, जस्टिस डी. वाई. चंद्रचूड़, जस्टिस अशोक भूषण और जस्टिस एस. अब्दुल नजीर की पीठ के समक्ष यह कहा कि जन्मस्थान को सटीक स्थान की आवश्यकता नहीं है बल्कि आसपास के क्षेत्रों से भी इसका मतलब हो सकता है। हिंदू और मुस्लिम, दोनों पक्ष विवादित क्षेत्र को जन्मस्थान कहते हैं, इसलिए इसमें कोई विवाद नहीं है कि यह भगवान राम का जन्मस्थान है।

जस्टिस भूषण ने पूछा, "क्या जन्मस्थान न्यायिक व्यक्ति है?"

इस दौरान जस्टिस अशोक भूषण ने सवाल पूछा कि क्या जन्मस्थान न्यायिक व्यक्ति है? जैसे उतराखंड हाई कोर्ट ने गंगा (नदी) को माना था? इसपर परासरन ने जवाब दिया कि रामजन्मभूमि और रामलला भी न्यायिक व्यक्ति हो सकते हैं क्योंकि वो एक मूर्ति नहीं बल्कि देवता हैं। उन्होंने कहा कि नदियों की पूजा की जाती है। ऋग्वेद के अनुसार सूर्य एक देवता है। सूर्य मूर्ति नहीं है, लेकिन वह अभी भी एक देवता हैं। इसलिए हम कह सकते हैं कि सूर्य एक न्यायिक व्यक्ति हैं।

इसके अलावा पीठ ने निर्मोही अखाड़ा को भी सबूत पेश करने को कहा है और शुक्रवार को भी सुनवाई के लिए मामले को सूचीबद्ध किया है।

"भूमि पर स्वामित्व साबित करने के लिए मूल दस्तावेज रखे जाएं"

गौरतलब है कि बुधवार को निर्मोही अखाड़ा से संविधान पीठ ने कई सवाल पूछे थे। पीठ ने अखाड़ा के वकील से यह कहा था कि वो पीठ से सामने अदालत के फैसले को नहीं बल्कि स्वामित्व के मूल दस्तावेज रखें जो यह साबित करें कि वो ही भूमि का हकदार है। दस्तावेजों से साबित करें कि वो विवादित भूमि के मालिक हैं।

हालांकि अखाड़ा के वकील सुशील कुमार जैन ने यह कहा था कि वर्ष 1982 में हुई डकैती में कई कागजात चले गए। केवल कुछ दस्तावेज उपलब्ध हैं और इसे अदालत को दिखाया जाएगा। लेकिन पीठ ने नाराजगी जाहिर करते हुए कहा कि पहले वो मूल दस्तावेज दें फिर उनकी सुनवाई होगी।

'राम लला विराजमान' पक्ष की ओर से रखा गया तर्क

इसके बाद राम लला विराजमान की ओर से बहस करते हुए पूर्व AG के. परासरन ने कहा कि भगवान राम में लाखों लोगों की अटूट आस्था ही,यह बात ही इसका प्रमाण है कि वह राम जन्मभूमि है। पूरा इलाका ही राम जन्मभूमि है। उन्होंने रामायण, महाराभारत और अन्य पुराणों के आधार पर जानकारी सामने रखी।

जस्टिस बोबडे ने पूछा, "क्या ऐसा सवाल कहीं और उठाया गया है?"

हालांकि इस दौरान पीठ में शामिल जस्टिस एस. ए. बोबड़े ने पूछा कि क्या इस तरह जन्म स्थान पर सवाल दुनिया में कहीं भी उठाया गया है? क्या ऐसा सवाल किसी अन्य धर्म के ईश्वर को लेकर या यीशु का जन्म बेथलहम है, इस पर दु्निया की किसी भी अदालत में कभी उठा है? इस पर के. परासरन ने कहा कि उनको इस बात की जानकारी नहीं है। वो इसकी जानकारी हासिल कर पीठ को बताएंगे।

'अखाड़ा' पक्ष ने विवादित 2.77 एकड़ भूमि पर जताया था अपना हक

दरअसल मंगलवार को हुई सुनवाई में निर्मोही अखाड़ा की ओर से दलीलें रखते हुए वरिष्ठ वकील सु़शील कुमार जैन ने दावा किया था कि विवादित 2.77 एकड़ भूमि पर अखाड़ा का हक है। सैंकड़ों सालों से अखाड़ा ही मन्दिर का सरंक्षक रहा है और इसका प्रबंधन करता आ रहा है। वर्ष 1934 से राम जन्मभूमि पर बनाई गई मस्जिद में मुस्लिमों ने नमाज़ अदा करना बंद कर दिया था। 16 दिसम्बर 1949 से जुमे की साप्ताहिक नमाज भी अदा करना बंद हो गया।

'अखाड़ा' पक्ष की दलील

उन्होंने दलील दी कि हिंदुओं ने वर्ष 1850 में पूजा करने के अधिकार को लागू करने की कोशिश की थी लेकिन अंग्रेजों के फूट डालने की नीति के चलते ये नहीं हो सका। वर्ष 1989 में पूजा का अधिकार देने के लिए मुकदमा दायर किया गया था। वर्ष 1853, 1885 में और फिर वर्ष 1934 में संपत्ति पर कब्जा करने के लिए दंगे हुए थे। जैन ने कहा कि उसकी जमीन को रिसीवर से लेकर वापस किया जाना चाहिए।

Next Story