इलाहाबाद हाईकोर्ट ने लॉकडाउन के कारण आर्थिक तंगी झेल रहे ज़रूरतमंद वकील और क्लर्क की सहायता पर स्वत: संज्ञान लिया

LiveLaw News Network

9 April 2020 4:39 PM GMT

  • इलाहाबाद हाईकोर्ट ने लॉकडाउन के कारण आर्थिक तंगी झेल रहे ज़रूरतमंद वकील और क्लर्क की सहायता पर स्वत: संज्ञान लिया

    इलाहाबाद हाईकोर्ट ने गुरुवार को आर्थिक रूप से कमजोर अधिवक्ताओं और ऐसे पंजीकृत अधिवक्ता क्लर्कों के मुद्दे पर स्वत: संज्ञान लिया, जो अब लॉकडाउन के कारण अदालत के काम के नुकसान से भुखमरी के कगार पर हैं।

    मुख्य न्यायाधीश गोविंद माथुर और न्यायमूर्ति सिद्धार्थ वर्मा की खंडपीठ ने कहा कि

    "लॉकडाउन लागू करने के बाद से पूरे देश में न्यायिक कामकाज की गति कम हो गई है और कोर्ट अर्जेंट मामलों की ही सुनवाई कर रहे हैं।

    ऐसे लाखों लोग, जिनका अस्तित्व न्यायपालिका के काम करने पर निर्भर करता है, न्यायायिक कार्यों के धीमा होने से उनकी आजीविका पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा है। अधिवक्ताओं और उनके साथ काम करने वाले पंजीकृत अधिवक्ता क्लर्कों के पेशे पर एक बड़ा प्रभाव स्पष्ट रूप से दिखाई देता है। "

    इस प्रकार, बार काउंसिल ऑफ इंडिया, बार काउंसिल ऑफ उत्तर प्रदेश, यूपी कानून मंत्रालय, इलाहाबाद हाईकोर्ट बार एसोसिएशन, इलाहाबाद हाईकोर्ट एडवोकेट एसोसिएशन और अवध बार एसोसिएशन ने उनके द्वारा जरूरतमंद अधिवक्ताओं और पंजीकृत अधिवक्ता क्लर्कों की सहायता के लिए उठाए गए कदमों के बारे में बताया है।

    यह ध्यान दिया जा सकता है कि अधिवक्ता अधिनियम 1961 के तहत, बार काउंसिल ऑफ इंडिया के साथ-साथ स्टेट बार काउंसिल भी अधिवक्ताओं बिरादरी के कल्याण को सुनिश्चित करने और जरूरतमंद अधिवक्ताओं की सहायता के लिए बाध्य हैं।

    विशेष रूप से अधिनियम की धारा 6 अधिवक्ताओं और उनकी भूमिका के अधिकारों, विशेषाधिकारों और हितों की रक्षा करने का प्रावधान करती है और यह अपंग, विकलांग या अन्य अधिवक्ताओं के लिए कल्याणकारी योजनाओं को व्यवस्थित करने और उनकी वित्तीय सहायता का विस्तार भी करती है। इसके मद्देनजर, अदालत ने उपरोक्त अधिकारियों से 15 अप्रैल तक जवाब मांगा है।

    अदालत ने उत्तर प्रदेश एडवोकेट्स वेलफेयर फंड एक्ट, 1974 पर भी ध्यान दिया, जिसमें बार काउंसिल ऑफ इंडिया, बार काउंसिल ऑफ उत्तर प्रदेश और ट्रस्टीज कमेटी को जरूरतमंद अधिवक्ताओं की सहायता के लिए आवश्यक योजनाओं को विकसित करने का अधिकार दिया गया है।

    अदालत ने इस प्रकार निर्देश दिया है कि इस अधिनियम के तहत उठाए गए कदमों से इसे अवगत कराया जाए।

    पीठ ने उन वकीलों को बार काउंसिल के साथ-साथ बार एसोसिएशनों में इस मुद्दे पर मदद करने के लिए प्रोत्साहित किया जिनकी प्रैक्टिस अच्छी चलती है। यह मामला अब 15 अप्रैल के लिए सूचीबद्ध है।

    आदेश की प्रति डाउनलोड करने के लिए यहां क्लिक करें




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