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इलाहाबाद हाईकोर्ट ने CAA विरोध प्रदर्शनों के दौरान सार्वजनिक संपत्ति के नुकसान की भरपाई के लिए जारी नोटिस को चुनौती देने वाली याचिका खारिज की

LiveLaw News Network
11 Feb 2020 1:57 PM GMT
Allahabad High Court expunges adverse remarks against Judicial Officer
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इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ पीठ ने सोमवार को उत्तर प्रदेश राज्य के जिला प्रशासन द्वारा CAA विरोध प्रदर्शनों के दौरान सार्वजनिक संपत्ति के कथित नुकसान के लिए हर्जाना वसूलने के लिए जारी नोटिस को चुनौती देने वाली याचिका को खारिज कर दिया।

न्यायमूर्ति पंकज कुमार जायसवाल और न्यायमूर्ति करुणेश सिंह पवार की खंडपीठ ने कहा कि बेंच उस मामले को सुनने की इच्छुक नहीं है, जो मामला पहले से ही सुप्रीम कोर्ट के समक्ष लंबित है।

याचिकाकर्ताओं ने CAA विरोध प्रदर्शनों के दौरान सार्वजनिक संपत्ति के कथित नुकसान के लिए हर्जाना वसूलने के लिए जारी नोटिस को रद्द करने के लिए उच्च न्यायालय का रुख किया था। सरकारी वकील ने तर्क दिया कि,

"इसी तरह का प्रश्न सुप्रीम कोर्ट के समक्ष लंबित है, जिसमें इस मुद्दे पर संज्ञान लिया गया है और इसलिए, इस स्तर पर, वर्तमान याचिका भारत के संविधान के अनुच्छेद 226 के तहत इस अदालत के समक्ष बनाए रखने योग्य नहीं है।"

इस पर पीठ ने याचिका को खारिज कर दिया और स्पष्ट किया कि यदि याचिकाकर्ताओं के खिलाफ कोई प्रतिकूल आदेश पारित किया जाता है, तो वे उसे कानून के अनुसार उचित कार्यवाही के दायरे में चुनौती दे सकते हैं।

कथित तौर पर, 19 दिसंबर, 2019 को लखनऊ और राज्य के अन्य हिस्सों में हुए विरोध प्रदर्शनों में सरकारी और निजी संपत्ति को कई नुकसान पहुंचाया गया जिसमें सरकारी बसें, मीडिया वैन, मोटर बाइक, आदि भी शामिल थी।

इसके बाद राज्य सरकार ने कथित तौर पर विरोध प्रदर्शन में शामिल लोगों के लिए यूपी ने Prevention of Damage to Public Property Act, 1984 की धारा 3 और 4 के तहत कारण बताओ नोटिस जारी किए थे।

मोहम्मद शुजाउद्दीन बनाम उत्तर प्रदेश में इलाहाबाद उच्च न्यायालय के 2010 के फैसले के अनुसार ये नोटिस जारी किए गए जिसमें कहा गया था कि सरकार द्वारा नामांकित प्राधिकरण को नुकसान का आकलन और जनता से दावे प्राप्त करने हैं।

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