अहमदाबाद सीरियल ब्लास्ट केस: गुजरात हाईकोर्ट ने मौत की सजा की 'पुष्टि' करने की राज्य की याचिका पर 38 दोषियों को नोटिस जारी किया

LiveLaw News Network

12 March 2022 11:00 AM GMT

  • अहमदाबाद सीरियल ब्लास्ट केस: गुजरात हाईकोर्ट ने मौत की सजा की पुष्टि करने की राज्य की याचिका पर 38 दोषियों को नोटिस जारी किया

    गुजरात हाईकोर्ट ने बुधवार को उन 38 दोषियों को नोटिस जारी किया। इन दोषियों को 2008 के अहमदाबाद सीरियल ब्लास्ट मामले में पिछले महीने एक विशेष अदालत ने मौत की सजा सुनाई।

    जस्टिस सोनिया गोकानी और जस्टिस मौना भट्ट की खंडपीठ ने सीआरपीसी की धारा 366 के अनुसार उनकी मौत की सजा की पुष्टि करने के लिए राज्य सरकार द्वारा दायर एक याचिका पर नोटिस जारी किया। इसमें कहा गया कि जब सत्र न्यायालय मौत की सजा पारित करता है तो कार्यवाही हाईकोर्ट में प्रस्तुत की जाएगी और इसे तब तक निष्पादित नहीं किया जा सकता जब तक एचसी द्वारा पुष्टि नहीं की जाती।

    उल्लेखनीय है कि कुल 38 आरोपियों को 2008 के अहमदाबाद सीरियल ब्लास्ट मामले के संबंध में 18 फरवरी को विशेष नामित न्यायाधीश द्वारा मौत की सजा सुनाई गई थी। इस ब्लास्ट में 56 लोग मारे गए थे।

    विशेष मनोनीत न्यायाधीश ने उन्हें भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 34 और 109 के सपठित धारा 302 और गैरकानूनी गतिविधि (रोकथाम) अधिनियम 1967 की धारा 10, 16 (1) (ए) (बी) के तहत दोषी ठहराते हुए मौत की सजा सुनाई।

    कोर्ट ने नोटिस जारी करते हुए इसे नौ जून को वापस करने योग्य बना दिया।

    कोर्ट ने कहा,

    "दंड प्रक्रिया संहिता ( सीआरपीसी) की धारा 366 के दोनों प्रावधानों के साथ-साथ आपराधिक नियमावली के पैरा 317 को ध्यान में रखते हुए लोक अभियोजक मितेश अमीन को अतिरिक्त लोक अभियोजक झावेरी द्वारा सहायता प्रदान करने के बाद हम सभी को नोटिस जारी करना उचित समझते हैं। इसे वापस करने योग्य बनाते हुए अपील अवधि की समाप्ति पर इसकी गणना 18.02.2022 से 09.06.2022 को की जाएगी।"

    जिन जेलों में ये अपराधी इस समय बंद हैं, उन जेलों के अधीक्षकों को न्यायालय द्वारा यह सुनिश्चित करने का निर्देश दिया गया कि उनमें से प्रत्येक को क़ानून के तहत मुफ्त कानूनी सहायता की उपलब्धता को समझाया जाए और उन्हें यह उपलब्ध भी कराई जाए।

    अदालत ने आगे निर्देश दिया,

    "हाईकोर्ट कानूनी सेवा समिति (एचसीएलएससी) की कानूनी सहायता-hcguj@nic.in की ई-मेल आईडी भी उन्हें उपलब्ध कराई जाएगी। ऐसी कानूनी सहायता प्राप्त करने की उनकी इच्छा की स्थिति में सचिव, हाईकोर्ट कानूनी सेवा समिति और इस तरह के अनुरोध की स्थिति में तत्काल आधार पर जवाब देगी और इस तरह की कानूनी सहायता उपलब्ध कराएगी।"

    पृष्ठभूमि

    विशेष न्यायाधीश ए आर पटेल ने विस्फोटों में मारे गए प्रत्येक व्यक्ति को एक-एक लाख रुपये, गंभीर रूप से घायल प्रत्येक पीड़ित के लिए 50,000 रुपये और नाबालिगों के लिए प्रत्येक को 25,000 रुपये का मुआवजा दिया।

    अदालत ने 48 दोषियों में से प्रत्येक पर 2.85 लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया।

    पटेल ने 8 फरवरी को कुल 78 आरोपियों में से 49 को आईपीसी के विभिन्न अपराधों के तहत दोषी घोषित किया। इसमें हत्या, देशद्रोह और राज्य के खिलाफ युद्ध छेड़ने के साथ-साथ यूएपीए और विस्फोटक पदार्थ अधिनियम के अपराध भी शामिल है।

    26 जुलाई, 2008 को अहमदाबाद में राज्य सरकार द्वारा संचालित सिविल अस्पताल, अहमदाबाद नगर निगम द्वारा संचालित एलजी अस्पताल, बसों, खड़ी साइकिलों, कारों और अन्य स्थानों सहित विभिन्न स्थानों पर बम विस्फोट हुए, जिसमें 56 लोग मारे गए।

    केस का शीर्षक - स्टेट ऑफ़ गुजरात पब्लिक प्रॉसिक्यूटर बनाम जाहिद @ जावेद कुतुबुद्दीन शेख

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