एडवोकेट क्लर्क की अदालत के प्रबंधन में महत्वपूर्ण भूमिका : इलाहाबाद हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को क्लर्कों के कल्याण के लिए क़ानून बनाने की संभावना तलाशने को कहा

LiveLaw News Network

23 April 2020 6:10 AM GMT

  • एडवोकेट क्लर्क की अदालत के प्रबंधन में महत्वपूर्ण भूमिका : इलाहाबाद हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को क्लर्कों के कल्याण के लिए क़ानून बनाने की संभावना तलाशने को कहा

    वित्तीय रूप से कमज़ोर एडवोकेटों और उनके क्लर्कों के बारे में स्वतः संज्ञान वाली एक याचिका पर सुनवाई करते हुए इलाहाबाद हाईकोर्ट ने सोमवार को न्याय दिलाने में एडवोकेट क्लर्कों के "पेशेवर वर्ग" के महत्व पर ग़ौर किया और कहा कि उनकी सेवा स्थिति को अन्य पेशेवर सेवाओं की तरह नियमित किया जाना चाहिए।

    इस मामले की सुनवाई मुख्य न्यायाधीश गोविंद माथुर और जस्टिस सिद्धार्थ वर्मा ने की। पीठ ने कहा,

    "…एडवोकेट के क्लर्क जो सेवाएँ देते हैं वह किसी व्यक्ति के लिए नहीं होती बल्कि एडवोकेटों से संबद्ध कुछ पेशेवर व्यवस्था को यह सेवा देते हैं।

    …हमने दैनिक कामकाज में देखा है कि अदालत के प्रबंधन में एडवोकेट के क्लर्क महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं जबकि वे अदालत के कर्मचारी नहीं होते। इस तरह एडवोकेट के क्लर्कों के पेशे को निश्चित रूप से वैसे ही मान्यता दिए जाने की ज़रूरत है जैसे चार्टर्ड एकाउंटेंट, डॉक्टर और नर्सों को।"

    अदालत ने इस मामले को राज्य सरकार पर छोड़ते हुए रजिस्ट्रार जनरल को निर्देश दिया कि वह इलाहाबाद हाईकोर्ट एडवोकेट क्लर्कों (एडवोकेट क्लर्क्स पंजीकरण) नियम, 1997 की ही तरह एडवोकेट क्लर्कों का पंजीकरण तत्काल प्रभाव से शुरू करें।

    अदालत ने विभिन्न विधानसभा उनकी सेवाओं को विनियमित करने के लिए जो प्रावधान किए हैं उन पर भी ग़ौर किया।

    हाईकोर्ट ने ग़ौर किया कि केरल एडवोकेट्स क्लर्क्स वेलफ़ेयर फंड ऐक्ट, 2003 एडवोकेट क्लर्कों के कल्याण के लिए केरल सरकार ने पास क्या। इस अधिनीयम के तहत इन क्लर्कों के लिए एक कल्याण कोष बनाया गया।

    इसी तरह उड़ीसा ने भी 2008 में किया । आंध्र प्रदेश में भी ऐसा ही 1987 में किया गया। असम हाईकोर्ट ऑर्डर 1948 के तहत भी कई तरह की सुरक्षा के प्रावधान किए गए हैं।

    अदालत ने सभी वरिष्ठ एडवोकेटों और उत्तर प्रदेश के एडवोकेटों से कहा है कि वे बार एसोसिएशन की मदद करें ताकि वे एडवोकेट क्लर्कों की मदद कर सकें।

    अंत में पीठ ने राज्य सरकार से आग्रह किया कि वह उत्तर प्रदेश की विभिन्न अदालतों में पंजीकृत एडवोकेट क्लर्कों के कल्याण के लिए क़ानून बनाने की संभावना तलाशें।

    इस आदेश से हाईकोर्ट ने COVID-19 महामारी को देखते हुए ज़रूरतमंद एडवोकेटों की मदद के लिए भी विस्तृत निर्देश जारी किया।

    इस मामले की अगली सुनवाई अब 5 मई को होगी।

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