‘50 से अधिक बार स्थगित, गवाह सीनियर सिटीजन हैं': मद्रास हाईकोर्ट ने भाजपा नेता रमेश की हत्या के मामले की सुनवाई जल्दी पूरी करने को कहा
Brij Nandan
17 Feb 2023 8:17 AM IST
मद्रास हाईकोर्ट (Madras High Court) ने सेशन कोर्ट को बम विस्फोट/एनआईए मामलों की विशेष सुनवाई के लिए पूनमल्ले को 2013 के ऑडिटर रमेश मर्डर केस की सुनवाई दो महीने के भीतर पूरी करने का निर्देश दिया है।
पेशे से ऑडिटर और भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) की तमिलनाडु इकाई के महासचिव वी रमेश की 2013 में हत्या कर दी गई थी। मृतक रमेश की मां ने मद्रास उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया था और मामले की सुनवाई जल्दी करने के लिए निचली अदालत को निर्देश देने की मांग की थी।
आरोप लगाया कि मृतक को इस्लामिक आतंकवादियों ने टारगेट किया था और हिंदुत्व समूह के सदस्यों की हत्याओं की एक श्रृंखला का शिकार था।
आगे प्रस्तुत किया गया कि भले ही घटना 2013 में हुई थी, लेकिन चार्जशीट केवल 2014 में दायर की गई थी। चूंकि घटना के चश्मदीद गवाह 80 वर्ष से अधिक आयु के वरिष्ठ नागरिक है, याचिकाकर्ता ने शीघ्र निपटान के लिए निर्देश मांगा था।
जस्टिस आरएन मंजुला ने कहा कि भले ही 2014 में आरोप तय किए गए थे, लेकिन मामला इन सभी वर्षों से लंबित था। कोर्ट ने इस बात पर भी नाराजगी जताई कि काउंसलिंग के लिए मामले को पचास से ज्यादा बार स्थगित किया जा चुका है।
अदालत ने कहा कि अगर पीड़ितों को काउंसलिंग भी दी जानी थी, तो इससे सुनवाई प्रभावित नहीं होनी चाहिए थी।
कोर्ट ने कहा कि पता नहीं किस तरह की काउंसलिंग दी जाती है और किसके लिए। भले ही यह मान लिया जाए कि पीड़िता को परामर्श दिया गया है, यह मामले के संचालन के लिए एक रोक नहीं हो सकता है।
अदालत ने कहा कि मुख्य गवाह वरिष्ठ नागरिक थे। इसलिए ट्रायल कोर्ट को जिम्मेदार तरीके से काम करना चाहिए और वरिष्ठ नागरिक गवाहों की जितनी जल्दी हो सके जांच करनी चाहिए।
अदालत ने कहा कि ट्रायल कोर्ट ने ट्रायल कोर्ट के समक्ष लंबित सबसे पुराने मामलों में से एक के संचालन में असंवेदनशीलता दिखाई थी।
कोर्ट ने कहा,
“चूंकि कार्यवाही न्यायालय में लंबित सबसे पुराने मामलों में से एक के संचालन में असंवेदनशीलता को प्रकट करेगी, मुझे लगता है कि बम विस्फोट / एनआईए मामलों, पूनमल्ली के विशेष ट्रायल के लिए सत्र न्यायाधीश, सत्र न्यायाधीश पर दबाव डालना उचित है कि वे इस मामले को निर्धारित समय सीमा के भीतर निपटा दें।“
इस प्रकार, अदालत ने ट्रायल कोर्ट को दो महीने के भीतर मामले को दिन-प्रतिदिन के आधार पर सुनवाई पूरी करने का निर्देश दिया। इसके साथ ही अगर आवश्यक हो तो मामले को दो या तीन दिनों से अधिक नहीं स्थगित करने का निर्देश दिया।
केस टाइटल: वी कमला बनाम तमिलनाडु राज्य और अन्य
साइटेशन: 2023 लाइव लॉ 54