40% पद ख़ाली : ज़िला अदालतों में लोक अभियोजकों की नियुक्ति के लिए और समय देने से कर्नाटक हाईकोर्ट का इनकार

LiveLaw News Network

8 Jan 2020 4:30 AM GMT

  • 40% पद ख़ाली : ज़िला अदालतों में लोक अभियोजकों की नियुक्ति के लिए और समय देने से कर्नाटक हाईकोर्ट का इनकार

    कर्नाटक हाईकोर्ट ने जिला अदालतों में लोक अभियोजकों, वरिष्ठ सहायक लोक अभियोजक और सहायक लोक अभियोजकों की राज्य में ख़ाली पदों पर नियुक्ति के लिए 31 मार्च 2020 तक का समय देने से इनकार कर दिया है।

    मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति हेमंत चंदंगपुदर की खंड पीठ ने कहा,

    "अगर 40 प्रतिशत सीट ख़ाली हैं तो यह स्पष्ट है कि आपराधिक न्याय व्यवस्था थम गई है। अदालतों की अमूमन आलोचना की जाती है पर अगर अभियोजक ही नहीं हों, तो जज क्या कर सकता है। इस समय हालात ऐसे हैं कि एक अभियोजक कई तालुकों में दो अलग तरह की अदालतों में मौजूद होता है।"

    राज्य सरकार ने ठेके के आधार पर लोक अभियोजकों की नियुक्ति के लिए मार्च अंत तक का समय मांगा था और उसने अदालत को बताया कि सीधी नियुक्ति कि लिए प्रक्रिया शुरू कर दी गई है। इस पर पीठ ने सुझाव दिया,

    "या देखते हुए कि महत्त्वपूर्ण आपराधिक मामले लंबित हैं, सरकार विशेष लोक अभियोजकों की नियुक्ति पर ग़ौर कर सकती है।"

    इससे पूर्व प्रधान ज़िला जज ने जो रिपोर्ट पेश की थी उसके हिसाब से राज्य में लोक अभियोजकों की तीन श्रेणियां हैं। राज्य में लोक अभियोजकों के अनुमोदित पदों की संख्या 187 है और इसमें से 70 से अधिक पद ख़ाली हैं।

    सहायक लोक अभियोजक के 411 पद अनुमोदित हैं पर इसमें से 204 रिक्त हैं। वरिष्ठ सहायक लोक अभियोजक के 123 अनुमोदित पदों में से 18 ख़ाली हैं। इस तरह लगभग 40% पद ख़ाली हैं।

    रिपोर्ट में कहा गया है कि कुछ जिलों और तालुका में लोक अभियोजक सभी कार्य दिवस पर उपलब्ध नहीं हैं और सप्ताह के दौरान वे सिर्फ़ कुछ ही कार्य कर कर पाते हैं। इस तरह आपराधिक न्यायलाओं के कार्य ठप रहते हैं क्योंकि लोक अभियोजक उपलब्ध नहीं होते हैं।

    याचिका में राज्य सरकार को सभी पदों पर लोक अभियोजकों की नियुक्ति के लिए निर्देश की मांग की गई थी।

    अदालत ने कहा कि अनुच्छेद 21 के तहत सभी आरोपी को शीघ्र सुनवाई का अधिकार है। अगर इसमें अभियोजकों के अभाव के कारण विलंब होता है तो यह आरोपी के अधिकारों का उल्लंघन होता है।

    "लोक अभियोजक की नियुक्ति नहीं कर पाने से न्याय व्यवस्था पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ा है। राज्य में 8,10,730 आपराधिक मामले लंबित हैं जिनमें से 61,867 आपराधिक मामले पाँच साल से ज़्यादा पुराने हैं और 10,650 आपराधिक मामले 10 साल से अधिक पुराने हैं।"



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