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किसी भी अथॉरिटी को यह विशेषाधिकार नहीं है कि वह SC के फ़ैसले को नहीं माने : सुप्रीम कोर्ट [निर्णय पढ़े]
![किसी भी अथॉरिटी को यह विशेषाधिकार नहीं है कि वह SC के फ़ैसले को नहीं माने : सुप्रीम कोर्ट [निर्णय पढ़े] किसी भी अथॉरिटी को यह विशेषाधिकार नहीं है कि वह SC के फ़ैसले को नहीं माने : सुप्रीम कोर्ट [निर्णय पढ़े]](https://hindi.livelaw.in/h-upload/images/supreme-court-light-1jpg.jpg)
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट का फ़ैसला नहीं मानने का विशेषाधिकार रखने का दावा कोई भी अथॉरिटी नहीं कर सकता।
न्यायमूर्ति डीवाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति हेमंत गुप्ता की पीठ ने वैज्ञानिक तथा औद्योगिक अनुसंधान परिषद (CSIR) के एक कर्मचारी की याचिका स्वीकार करते हुए यह बात कही।
इस कर्मचारी ने यह कहते हुए अधिकरण में अपील की कि जिस वार्षिक रिपोर्ट में वह उपयुक्त मानदंड तक पहुँचने में विफल रहा था उसके बारे में उसको कोई जानकारी नहीं देकर कार्मिक और प्रशिक्षण विभाग केकार्यालयीय आदेश का उल्लंघन किया गया है। हालाँकि, अधिकरण ने कहा कि CSIR एक स्वायत्तशासी संस्था है और इसलिए भारत सरकार द्वारा जारी सर्कुलर उस पर पूरी तरह लागू नहीं होगा। हाईकोर्ट नेअधिकरण के इस फ़ैसले को सही बताया।
अपने अपील में पीठ ने कहा कि Dev Dutt vs. Union of India मामले में आए फ़ैसले में कहा गया था कि एसीआर में हुई प्रविष्टियों के बारे में कोई जानकारी नहीं देने का दीवानी परिणाम निकलते हैं क्योंकि इसकाकर्मचारी की पद्दोन्नति और उसको मिलने वाले अन्य लाभों पर असर पड़ता है। कोर्ट ने एसीआर की जानकारी नहीं देने को मनमानी कार्रवाई बताया कि इस तरह के निर्देश सरकारी कर्मचारियों के अलावा वैधानिकअथॉरिटीज़, सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों राज्यस के अन्य अवयवों पर लागू होगा। पीठ ने यह भी कहा कि Sukhdev Singh vs. Union of India में तीन सदस्यीय पीठ ने देव दत्त मामले में दिए गए फ़ैसले को सहीठहराया था।
इसके बाद पीठ ने कहा कि यह कहकर कि CSIR चूँकि एक स्वायत्तशासी संस्था है और कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग द्वारा जारी आदेश को विशेष तिथि से स्वीकार करना और यह कि कर्मचारी एसीआर के बारे में नहींबताए जाने पर इसकी शिकायत नहीं कर सकते, ग़लत है।
"स्वायत्तशासी होने की वजह से CSIR को कुछ प्रशासनिक विशेषाधिकार हो सकता है। पर कोई भी अथॉरिटी यह दावा नहीं कर सकता कि उसे सुप्रीम कोर्ट के फ़ैसले को नहीं मानने का विशेषाधिकार उपलब्ध है।एक बार जब देव दत्त मामले में क़ानून को निर्धारित कर दिया गया है, राज्य के सभी अंगों को इस अदालत द्वारा निर्धारित क़ानूनों का पालन करना होगा। CSIR इसका अपवाद नहीं है", पीठ ने कहा।