क्या राज्यपाल का कार्यालय RTI के तहत आएगा ? सुप्रीम कोर्ट करेगा सुनवाई

LiveLaw News Network

7 Feb 2019 5:19 PM GMT

  • क्या राज्यपाल का कार्यालय RTI के तहत आएगा ? सुप्रीम कोर्ट करेगा सुनवाई

    सुप्रीम कोर्ट इस मुद्दे पर सुनवाई करने के लिए सहमत हो गया है कि राज्यपाल का कार्यालय सूचना अधिकार अधिनियम 2005 के प्रावधानों के अंतर्गत उत्तरदायी है या नहीं। इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने बॉम्बे उच्च न्यायालय में लंबित एक याचिका को सुप्रीम कोर्ट में हस्तांतरित कर लिया है।

    यह मामला गोवा सूचना आयोग के मुख्य सूचना आयुक्त द्वारा गोवा के राज्यपाल के सचिव को आरटीआई के तहत सूचना प्रस्तुत करने के लिए जारी किए गए निर्देश की वजह से सामने आया है। जब राज्यपाल कार्यालय ने इसके खिलाफ बॉम्बे हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया तो हाई कोर्ट ने सूचना आयोग के आदेश पर रोक लगा दी। बाद में राज्यपाल कार्यालय ने सुप्रीम कोर्ट से मामले को अपने पास ट्रांसफर करने की गुहार लगाई।

    गौरतलब है कि वर्ष 2011 में इसी सवाल को लेकर सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका (लोक सूचना अधिकारी बनाम मनोहर परिकर) दाखिल की गई थी। पीठ ने उस याचिका में कानून के निम्नलिखित प्रश्नों को तैयार किया था:

    * क्या आरटीआई अधिनियम की धारा 2 (एच) के अर्थ के भीतर राज्यपाल एक "सार्वजनिक प्राधिकरण" है?

    * क्या "सक्षम प्राधिकारी" की परिभाषा में शामिल होने के कारण राज्यपाल को आरटीआई अधिनियम के तहत "लोक प्राधिकरण" की परिभाषा से बाहर रखा गया है?

    * क्या राज्यपाल संप्रभु है और आरटीआई अधिनियम के तहत किसी भी जानकारी के प्रकटीकरण के लिए राज्यपाल को कोई निर्देश जारी नहीं किया जा सकता है यह नहीं ?

    * भारत के संविधान के अनुच्छेद 361 के तहत राज्यपाल की प्रतिरक्षा की सीमा क्या है? क्या इस तरह की प्रतिरक्षा के मद्देनजर, उन्हें कोई निर्देश जारी नहीं किया जा सकता और आरटीआई अधिनियम के तहत किसी भी जानकारी का खुलासा करने के लिए कोई आदेश पारित नहीं किया जा सकता ?

    * क्या आरटीआई अधिनियम की धारा 8 (1) (ई) के तहत खुलासे से मांगी गई सूचना छूट से मुक्त है?

    इन मुद्दों के महत्व को देखते हुए पीठ ने 1 मार्च 2012 को अटॉर्नी जनरल से इस मामले में सहायता करने का अनुरोध किया था। हालांकि उक्त याचिका बाद में प्रभावहीन हो गई और कानून के सवालों को खुला छोड़ते हुए 30 जनवरी, 2018 को इस मामले में सुनवाई भी बंद कर दी गई थी।

    4 फरवरी को जस्टिस डी. वाई. चंद्रचूड़ और जस्टिस हेमंत गुप्ता की पीठ ने उपरोक्त घटनाक्रम को ध्यान में रखते हुए व राज्यपाल के सचिव के वकील ऋषभ संचेती और मूल याचिकाकर्ता के वकील विपिन कुमार जय की दलीलों पर कहा कि यह उचित होगा कि बॉम्बे हाई कोर्ट के समक्ष लंबित रिट याचिका को इस न्यायालय को हस्तांतरित कर दिया जाए।

    पीठ ने मूल याचिकाकर्ता के अनुरोध पर भी विचार किया कि यह मुद्दा पिछले 10 साल से लंबित है। इसलिए बॉम्बे हाई कोर्ट (गोवा बेंच) के रजिस्ट्रार को निर्देश दिया गया कि वो जल्द से जल्द सुप्रीम कोर्ट को रिकॉर्ड प्रेषित करें।

    वहीं, 'क्या न्यायपालिका और भारत के मुख्य न्यायाधीश का कार्यालय आरटीआई के तहत आएगा', ये मामला भी पिछले 9 वर्षों से सुप्रीम कोर्ट में लंबित है। दिसंबर 2009 में दिल्ली हाई कोर्ट ने यह माना था कि सुप्रीम कोर्ट और भारत के मुख्य न्यायाधीश RTI अधिनियम के तहत "सार्वजनिक प्राधिकरण" हैं।


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