कोर्ट के साथ फ़र्जीवाड़े में लिप्त पाए जाने पर सुप्रीम कोर्ट ने मेडिकल कॉलेज पर लगाया ₹5 करोड़ का जुर्माना, डीन के ख़िलाफ़ कार्रवाई का दिया आदेश [निर्णय पढ़ें]

Rashid MA

25 Jan 2019 12:23 PM GMT

  • कोर्ट के साथ फ़र्जीवाड़े में लिप्त पाए जाने पर सुप्रीम कोर्ट ने मेडिकल कॉलेज पर लगाया ₹5 करोड़ का जुर्माना, डीन के ख़िलाफ़ कार्रवाई का दिया आदेश [निर्णय पढ़ें]

    सुप्रीम कोर्ट ने पिछले सप्ताह एक मेडिकल कॉलेज पर यह कहते हुए ₹5 करोड़ का जुर्माना लगाया कि उसने सुप्रीम कोर्ट के साथ धोखेबाज़ी की है।

    न्यायमूर्ति एसए बोबड़े, एल नागेश्वर राव और आर सुभाष रेड्डी की पीठ ने आरकेडीएफ मेडिकल कॉलेज और अस्पताल एवं शोध केंद्र को अगले दो साल के लिए एमबीबीएस के प्रथम वर्ष में छात्रों के प्रवेश पर रोक लगा दिया है। पीठ ने भारतीय दंड संहिता की धारा 193 के तहत कॉलेज के डीन एसएस कुशवाहाँ के ख़िलाफ़ कार्रवाई का भी आदेश दिया।

    कोर्ट ने कॉलेज को आदेश दिया है कि वह 2017-2018 में प्रवेश लेने वाले छात्रों में से प्रत्येक को ₹1 लाख रुपए का मुआवज़ा दे। मुआवज़े की यह राशि उनको उनकी राशि की वापसी के अलावा होगी।

    कोर्ट ने पाया कि याचिका दायर करने वाले कॉलेज ने एमसीआई द्वारा अनावश्यक रूप से परेशान किए जाने के बारे में फ़र्ज़ी दस्तावेज़ बनवाए। कॉलेज ने यह भी दिखाने का प्रयास किया कि वह सारे नियमों का पालन कर रहा है और इसके बाद भी एमसीआई उसको परेशान कर रहा है। कोर्ट ने यह भी कहा कि कॉलेज ने छात्रों के प्रवेश के लिए न्यूनतम स्टैंडर्ड का पालन करने में भी फ़र्जीवाड़ा किया।

    कोर्ट द्वारा नियुक्त समिति की रिपोर्ट का ज़िक्र करते हुए पीठ ने कहा, "…रिपोर्ट में विस्तार से जाए बिना यह स्पष्ट है कि कॉलेज कोर्ट के साथ फ़र्जीवाड़ा कर रहा है…कॉलेज ने यह दिखाने के लिए कि उसे एमसीआई अनावश्यक रूप से परेशान कर रहा है, फ़र्ज़ी दस्तावेज़ भी बना लिया और यह कि वे लोग सभी ज़रूरी नियमों का पालन कर रहे थे। इस कोर्ट के साथ कॉलेज ने जिस तरह का फ़र्जीवाड़ा किया है वह सीधे-सीधे धोखाधड़ी है। कुछ रेज़िडेंट्स के कॉलेज में नहीं होने के बारे में कॉलेज ने जो कारण बताया है वह बिलकुल ही झूठ निकला। अगर हमने विशेषज्ञों की समिति जाँच के लिए नहीं बनाई होती तो कॉलेज के फ़र्जीवाड़े के बारे में पता भी नहीं चलता"।

    कोर्ट ने कॉलेज द्वारा दिए गए माफ़ीनामे को भी स्वीकार करने से मना कर दिया।अदालत ने कहा कि 'कॉलेज ने कोर्ट को यह कहकर बरगलाने की कोशिश की कि वह हर मानदंडों का पालन कर रहा है ताकि उसे छात्रों का प्रवेश लेने की अनुमति मिल जाए।"

    कोर्ट ने कहा कि कॉलेज ने कोर्ट के साथ जिस तरह से धोखेबाज़ी की है उसके लिए उसके साथ उपयुक्त तरीक़े से निपटना ज़रूरी है।


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