सुप्रीम कोर्ट ने तमिलनाडु सरकार से जेल में 30 साल से बंद श्रीलंकाई की पूर्व रिहाई की अर्ज़ी पर विचार करने को कहा [निर्णय पढ़े]

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1 May 2019 8:10 AM GMT

  • सुप्रीम कोर्ट ने तमिलनाडु सरकार से जेल में 30 साल से बंद श्रीलंकाई की पूर्व रिहाई की अर्ज़ी पर विचार करने को कहा [निर्णय पढ़े]

    सुप्रीम कोर्ट ने तमिलनाडु सरकार को आदेश दिया है कि वह राज्य के जेल में 30 साल से बंद श्रीलंकाई शरणार्थी की समय-पूर्व रिहाई के बारे में उसकी अपील पर ग़ौर करे।

    राजन और अन्य लोगों पर पितचैकारा ग्राउंडर के घर में डकैती करने का आरोप है। अभियोजन पक्ष का कहना है कि वह जब कार से भागने की कोशिश करते हुए उसने फ़ायर किया जिसमें तीन लोगों की मौत हो गई और चार लोग घायल हो गए। उसके ख़िलाफ़ मामला चला जिसके बाद 30 साल की जेल की सज़ा हुई जिसमें सात साल का सश्रम कारावास भी था। उसे धारा 302 के तहत मौत की सज़ा भी सुनाई गई थी और हथियार अधिनियम के तहत पाँच साल की सज़ा अलग से हुई थी। ऐसा आदेश दिया गया कि उसकी सारी सज़ा साथ-साथ चलेगी। मद्रास हाईकोर्ट ने उसकी मौत की सज़ा को आजीवन कारावास में बदल दिया।

    वर्ष 2010 में उसने जेल से समय-पूर्व रिहाई की अपील की पर परामर्श बोर्ड के कहने पर उसकी अपील ठुकरा दी गई। 8 साल बाद उसने फिर रिहाई का आवेदन दिया। चूँकि उसकी अपील पर कोई जवाब नहीं दिया गया, इसलिए उसने सुप्रीम कोर्ट में रिट याचिका दाख़िल की।

    पीठ ने उसकी याचिका को निपटाते हुए कहा कि उसकी अपील पर आईपीसी की धारा 302 और 307 के तहत उसको मिली सज़ा के संदर्भ में ग़ौर करना होगा। ऐसा इसलिए क्योंकि डकैती के लिए जो सज़ा उसको मिली थी वह समाप्त हो चुकी है और इसलिए उस पर ग़ौर नहीं किया जा सकता। कोर्ट ने कहा कि वह हथियार रखने के आरोप में हथियार अधिनियम के तहत भी सज़ा काट चुका है।

    उसकी याचिका को निपटाते हुए कहा,

    हम…इस याचिका को निपटाते हुए, उचित प्राधिकरण को यह आदेश देते हैं कि वह अपीलकर्ता की अपील पर चार महीने के भीतर ग़ौर करें और उसकी अर्ज़ी को पहले राज्य सरकार द्वारा जो रद्द किया गया उससे प्रभावित न हों…"


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