मालेगांव धमाका 2008: क़ानून में दस्तावेज़ों के फ़ोटो प्रतियों का प्रयोग ग़लत; बॉम्बे हाईकोर्ट ने फ़ोटोकॉपी को द्वितीयक साक्ष्य के रूप में स्वीकार करने के NIA अदालत के आदेश को स्थगित किया

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24 Feb 2019 5:43 AM GMT

  • मालेगांव धमाका 2008: क़ानून में दस्तावेज़ों के फ़ोटो प्रतियों का प्रयोग ग़लत; बॉम्बे हाईकोर्ट ने फ़ोटोकॉपी को द्वितीयक साक्ष्य के रूप में स्वीकार करने के NIA अदालत के आदेश को स्थगित किया

    बॉम्बे हाईकोर्ट ने बुधवार को कहा कि असत्यापित और फ़ोटोकॉपी किए गए दस्तावेज़ों का प्रयोग क़ानून ग़लत है और इस संबंध में 2008 के मालेगांव विस्फोट में गवाहों और कबूलनामे की फ़ोटो प्रतियों और असत्यापित दस्तावेज़ों के प्रयोग की अनुमति देने वाले NIA की विशेष अदालत के आदेश को स्थगित कर दिया।

    न्यायमूर्ति एएस ओका और न्यायमूर्ति गडकरी की पीठ इस मामले में एक आरोपी समीर कुलकर्नी की याचिका पर सुनवाई करते हुए यह कहा। कुलकर्नी ने इस मामले में साक्ष्य के रूप में दस्तावेज़ों की फ़ोटो प्रतियों के प्रयोग के विशेष NIA अदालत के आदेश के ख़िलाफ़ याचिका दायर की है।

    NIA ने अदालत को बताया था कि मूल गवाही के बयान और सीआरपीसी की धारा 164 के तहत आरोपी के कबूलनामे की फ़ाइलें नहीं मिल रही हैं और इसके बाद विशेष NIA अदालत ने जनवरी 2017 में इन दस्तावेज़ों की फ़ोटो प्रतियों को पेश करने की अनुमति संबंधी आदेश दिया। निचली अदालत ने इस तरह की 13 गवाहों के बयानों और दो कबूलनामों की फ़ोटो प्रतियों के प्रयोग की अनुमति दी थी।

    न्यायमूर्ति ओका ने इन फ़ोटो प्रतियों के साक्ष्य के रूप में प्रयोग पर शुरू में ही आपत्ति की और कहा कि विशेष NIA अदालत को इसकी अनुमति नहीं देनी चाहिए थी। उन्होंने कहा,

    "इससे पहले भी दो बार हम आपको कह चुके हैं कि आपको अपना आवेदन वापस ले लेना चाहिए और विशेष अदालत के समक्ष फिर से आवेदन देना चाहिए और अदालत को अपनी ग़लती के बारे में बताना चाहिए था। आपको स्पष्ट करना चाहिए था कि आप यह नहीं बता पाए थे कि उक्त फ़ोटो प्रतियाँ मूल रेकर्ड की सत्यापित प्रतियाँ हैं।"

    इस मामले में अंततः कोर्ट ने कहा, "प्रथम दृष्ट्या यह कोर्ट मानता है कि द्वितीयक साक्ष्य के रूप में फ़ोटो प्रतियों के प्रयोग की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए थी। इसलिए हम इस आदेश को ख़ारिज करते हैं।"

    NIA के वक़ील संदेश पाटिल ने इस अपील का विरोध किया और वे आगामी 4 मार्च को इस मामले की अगली सुनवाई पर अपनी दलील पेश करेंगे।

    सितम्बर 29, 2008 को मालेगांव, महाराष्ट्र के भीकू चौक पर एक बम विस्फोट हुआ था जिसमें 6 लोग मारे गए थे और 100 से ज़्यादा लोग घायल हुए थे। समीर कुलकर्नी के अलावा साध्वी प्रज्ञा, ले. कर्नल प्रसाद पुरोहित, मेजर (अवकाशप्राप्त) रमेश उपाध्याय, सुधाकर चतुर्वेदी, अजय रहिलकर भी इस मामले में आरोपी हैं और 2008 के मालेगांव विस्फोट मामले में इन लोगों पर हत्या और षड्यंत्र के आरोप लगाए गए हैं।

    इस मामले में NIA की विशेष अदालत में मामले की सुनवाई चल रही है।

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