जरूरी नहीं है कि एनआई एक्ट की धारा 138 के तहत भेजे जाने वाला डिमांड नोटिस कोई वकील ही भेजे-त्रिपुरा हाईकोर्ट [निर्णय पढ़ें]

Live Law Hindi

5 May 2019 7:21 AM GMT

  • जरूरी नहीं है कि एनआई एक्ट की धारा 138 के तहत भेजे जाने वाला डिमांड नोटिस कोई वकील ही भेजे-त्रिपुरा हाईकोर्ट [निर्णय पढ़ें]

    त्रिपुरा हाईकोर्ट ने माना है कि एनआई एक्ट के तहत ऐसा जरूरी नहीं बताया गया है कि धारा 138 के तहत भेजे जाने वाला डिमांड नोटिस किसी वकील के जरिए ही भेजा जाए।

    इस मामले में हाईकोर्ट के समक्ष उठाए गए मुद्दों में एक मुद्दा यह था कि शिकायतकर्ता द्वारा भेजा गया डिमांड नोटिस वकील के जरिए नहीं भेजा गया था। कोर्ट के समक्ष दलील दी गई कि डिमांड नोटिस पर उस वकील के हस्ताक्षर नहीं थे,जिसके जरिए इसे तामील करवाया गया था। इसलिए यह नोटिस एनआई एक्ट की धारा 138 की आवश्यकता के अनुसार नहीं भेजा गया था।
    जस्टिस ने देखा कि यह नोटिस एक वकील की लेटरहेड पर प्रिंट था परंतु शिकायतकर्ता द्वारा अनुमोदित था और उसके हर पेज पर शिकायतकर्ता के हस्ताक्षर थे क्योंकि चेक उसके नाम का था। कोर्ट ने पाया कि-
    ''धारा 138 के प्रावधान-बी की भाषा एकदम साफ व साधारण है। उसमें कहीं ये नहीं कहा गया है कि नोटिस वकील के जरिए ही भेजा जाए। उसमें लिखा गया है कि प्राप्तकर्ता या रखने वाला,जो लिखित में डिमांड या मांग कर सकता है।''
    इस मामले में दो फैसलों का हवाला देते हुए यह कहा गया कि नोटिस को एनआई एक्ट की धारा 138 की आवश्यकता के अनुसार नहीं भेजा गया। यह फैसले थे-सुमन सेठ बनाम अजय कुमार चुरीवाल और राहुल बिल्डर बनाम अरिहंत फर्टिलाईज्र एंड कैमिकल्स।
    कोर्ट ने इन दोनों फैसलों के बारे में कहा कि इन फैसलों में कहीं भी ये नहीं माना गया है कि नोटिस सिर्फ वकील के जरिए ही भेजा जा सकता है। इन फैसलों में यह प्रिंसीपल बताया गया है कि एनआई एक्ट की धारा 138 के अंश का पालन किया जाए। वहीं चेक की राशि,खर्च की मांग,ब्याज व अन्य खर्चो की विषय वस्तु एनआई एक्ट की धारा 138 की आवश्यकताओं को पूरा करती हो या उसके अनुरूप होनी चाहिए।
    अन्य मुद्दों का जवाब भी शिकायतकर्ता के पक्ष में देते हुए पीठ ने माना कि वह चेक बाउंस का केस साबित करने में पूरी तरह कामयाब रहा है।

    Tags
    Next Story