बॉम्बे हाईकोर्ट ने माँ, पत्नी और बेटी की हत्या करने वाले आरोपी की मौत की सज़ा को जायज़ ठहराया [निर्णय पढ़े]
Live Law Hindi
29 July 2019 12:58 PM IST
बॉम्बे हाईकोर्ट ने 25 वर्षीय आरोपी विश्वजीत मासलकर को आईपीसी की धारा 302 के तहत मौत की सज़ा की पुष्टि की है। मासलकर पर किसी और महिला से शादी करने के लिए अपनी माँ, पत्नी और बेटी की हत्या का आरोप सिद्ध हुआ है।
न्यायमूर्ति बीपी धर्माधिकारी और एसएस जोशी की पीठ ने मासलकर को मिली मौत की सज़ा की पुष्टि की और कहा,
"…यह विरलों में विरल मामला है और आरोपी ने एक जघन्य कृत्य को अंजाम दिया है…और इससे न्यायिक चेतना आहत हुई है। पूरे परिवार का सफ़ाया करके आरोपी ने समाज की बुनियाद पर आघात करने की कोशिश की है"।
पृष्ठभूमि
आरोपी ने अतिरिक्त सत्र जज, पुणे के 26/31 अगस्त 2016 के फ़ैसले के ख़िलाफ़ अपील की थी जिसने उसे आईपीसी की धारा 302, 307 और 201 के तहत दोषी पाया।
मासलकर डीटीएसएस कंपनी, पुणे में फ़ैसिलिटी इग्ज़ेक्युटिव के पद पर काम कर रहा था। उसने पुलिस को बताया कि चंपारण सोसाइटी, वनवाडी, पुणे स्थित उसके घर में चोरी हो गई है और उसकी माँ, पत्नी और बेटी की हत्या कर दी गई है। उसने यह भी कहा कि इसमें उसका एक पड़ोसी मधुसूदन कुलकर्णी घायल हुआ है।
एसीपी बाज़ीराव मोहिते ने उक्त शिकायत के आधार पर आईपीसी की धारा 302 और 397 के तहत मामला दर्ज किया। शुरू में पुलिस को लगा कि मामला चोरी का है और लाशों को पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया गया और जहाँ अपराध हुआ था उस जगह का पंचनामा किया गया।
जाँच के दौरान यह पता हला कि घर में कोई चोरी नहीं हुई थी और घर में किसी के ज़बरदस्ती प्रवेश का भी कोई प्रमाण नहीं मिला। यह भी पता चला कि आरोपी और गौरी लोंधे के बीच प्रेम संबंध था। पुलिस ने यह अनुमान लगाया कि आरोपी ने अपनी पत्नी, माँ और बेटी की हत्या की होगी और कुलकर्नी को घायल किया होगा। इसको आधार बनाकर जाँच हुई और बाद में आरोपी को गिरफ़्तार कर लिया गया।
जाँच पूरी होने के बाद और सभी उपलब्ध साक्ष्यों के आधार पर अतिरिक्त सत्र जज ने आरोपी को मौत की सज़ा सुनाई।
फ़ैसला
आरोपी की पत्नी के पिता विजयकुमार सोनपेटकर इस मामले का एक गवाह था जिसने अदालत को बताया कि आरोपी उसे अर्चना (आरोपी की पत्नी) से बात नहीं करने देता था और इसलिए वह पब्लिक फ़ोन से उसे कॉल करता था। उसने शिकायत की थी कि आरोपी उसके साथ बुरा बर्ताव करता है।
फिर, आरोपी अपनी पत्नी को तलाक़ देने पर आमादा था क्योंकि उसका एक दूसरी महिला से प्रेम संबंध था। आरोपी ने अर्चना को जान से मारने की भी धमकी दी थी।
अदालत ने अपने फ़ैसले में कहा,
"…सभी तथ्यों और परिस्थितियों पर ग़ौर करने के बाद हमारी राय में यह विरलों में विरल मामला है।
अदालत ने इस हत्याकांड की जघन्यता पर प्रकाश डाला और कहा-
"आरोपी ने नियोजित रूप से हत्या की है और वह यह जानता था कि इनमें से सारे लोग बेसहारा हैं जो उस पर निर्भर हैं। आरोपी ने अपने दो साल की बेटी को भी नहीं बख़्शा। यहाँ तक कि वह महिला जिसने उसे जन्म दिया, उस पर भी उसे दया नहीं आई शायद इसलिए कि वह उसके दूसरी महिला के साथ संबंध का विरोध करती थी…"
इस तरह अदालत ने उसकी मौत की सज़ा की पुष्टि की।