बच्चों से बलात्कार सिर्फ वासना नहीं बल्कि शक्ति का अपराध : दिल्ली हाई कोर्ट ने बच्ची से रेप की दोषसिद्धी बरकरार रखी [निर्णय पढ़े]
Live Law Hindi
28 July 2019 12:51 PM IST
दिल्ली उच्च न्यायालय ने बच्ची से बलात्कार के लिए सजा को बरकरार रखते हुए बाल गवाहों द्वारा दिए गए सबूतों की विश्वसनीयता पर कानून की स्थिति को भी दोहराया है। न्यायमूर्ति हरि शंकर की पीठ ने POCSO की धारा 3 के तहत 'भेदन कार्य' की सीमा को भी समझाया और ऐसे स्वभाव के अपराधों के जघन्य चरित्र पर टिप्पणी भी की।
अदालत ने रंजीत हजारिका बनाम असम राज्य (1998) 8 SCC 635 में सर्वोच्च न्यायालय के फैसले पर भरोसा किया, जो स्पष्ट रूप से उस चोट या हाइमन के टूटने को स्वीकार करता है और यह बताता है कि ये भेदन यौन हमले के कार्य के लिए आवश्यक सहवर्ती नहीं हैं।
1. इस बात के लिए कोई पूर्ण सिद्धांत मौजूद नहीं है कि बाल गवाहों के सबूत विश्वास को प्रेरित नहीं कर सकते या उन पर भरोसा नहीं किया जा सकता है।
2. भारतीय साक्ष्य अधिनियम की धारा 118, 1872 कम आयु के व्यक्तियों को केवल वहीं गवाही देने के लिए योग्यता की छूट देती है, जहां कम आयु के कारण उन्हें पूछे गये सवालों को समझने से रोका जाता है या उन सवालों के तर्कसंगत उत्तर देने से रोका जाता है।
3. न्यायालय को यह पता लगाना आवश्यक है कि इस प्रयोजन के लिए, क्या (क) गवाह उसके लिए रखे गए प्रश्नों को समझने में सक्षम है और तर्कसंगत उत्तर दे सकता है, (ख) गवाह का निरोध किसी अन्य सक्षम गवाह के समान है , (ग) गवाह के पास पर्याप्त बुद्धिमत्ता और समझ होने की संभावना है, (डी) गवाह को पढ़ाया नहीं गया था, (ई) गवाह सही और गलत, सत्य और असत्य के बीच विचार करने की स्थिति में है, और (च) गवाह जो कहता है उसके निहितार्थ को पूरी तरह से समझता है।
4. अनुमान यह है कि प्रत्येक गवाह अपनी गवाही देने के लिए सक्षम है, जब तक कि अदालत यह नहीं मानती कि उसे ऐसा करने से रोका गया है।
5. अपीलीय अदालत मामले में हस्तक्षेप केवल तभी करेगी, जहां स्पष्ट रूप से रिकॉर्ड यह इंगित करता है कि बच्चा गवाह के रूप में पेश करने के लिए सक्षम नहीं है या कि उसका बयान भटक गया है।
अदालत ने आईपीसी की धारा 363, 366, 376 (2) (i) और 506 और POCSO अधिनियम की धारा 6 के तहत आरोपी की दोषसिद्धि को बरकरार रखा। अपीलकर्ता आरोपी को 10 साल के कठोर कारावास की सजा सुनाई गई जिसमें कुल 18,000 रुपये जुर्माना लगाया गया। पीड़िता को भी 5 लाख रुपये मुआवजा दिया गया।