ई-काॅमर्स प्लेटफार्म को प्रत्यक्ष बिक्री में संलग्र कंपनियों के उत्पाद बेचने से किया वर्जित-दिल्ली हाईकोर्ट [निर्णय पढ़े]
Live Law Hindi
17 July 2019 2:15 PM IST
दिल्ली उच्च न्यायालय ने ई-कॉमर्स वेबसाइटों को उन कंपनियों के उत्पादों को बेचने से रोक दिया है जो प्रत्यक्ष बिक्री में लगे हुए हैं। अदालत ने यह कहा कि उत्पादों को अनधिकृत चैनलों के माध्यम से प्राप्त किया जा रहा है और उनसे छेड़छाड़ की जा रही व उन्हें खराब किया जा रहा है। जिससे ट्रेडमार्क अधिनियम के तहत याचिकाकर्ताओं के अधिकारों का उल्लंघन हो रहा है
2. क्या ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म पर वादी के उत्पादों की बिक्री वादी के ट्रेडमार्क अधिकारों का उल्लंघन करती है या मिथ्या प्रस्तुति का गठन करती है, जो पास भी हो जाती है और परिणामों को हलका कर देती है। जिससे वादी के 'ब्रांड' की ख्याति और प्रतिष्ठा धूमिल हो जाती है?
3. क्या ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म 'मध्यवर्ती संस्थाएं' है और क्या वे सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम की धारा 79 और मध्यवर्ती दिशा-निर्देश 2011 के तहत सुरक्षित आश्रय प्रावधान के संरक्षण के हकदार है?
4. क्या ई-काॅमर्स प्लेटफाॅर्म जैसे ऐमजॉन, स्नेपडील, फ्लिपकार्ट, आईएमजी और हेल्थकार्ट वादी के अपने वितरकों या प्रत्यक्ष विक्रेताओं के साथ किए गए अनुबंधात्मक संबंधों में अनुचित हस्तक्षेप की दोषी है?
इसके अलावा, वास्तविक उपभोक्ताओं के अधिकार प्रभावित हो रहे हैै, जैसा कि विभिन्न टिप्पणियों से स्पष्ट भी है, जो उपभोक्ताओं ने वादी के उत्पादों को खरीदने के बाद इन प्लेटफार्मों पर की है।
इसके अलावा अदालत के परीक्षण में यह भी पाया गया कि कोई भी विक्रेता यह प्रदर्शित नहीं कर पाया कि वादी ने उनके प्लेटफाॅर्म पर अपने उत्पादों की बिक्री के सहमति दी थी। विक्रेता वास्तव में अपनी पहचान छिपाने के लिए रास्ते से बाहर या दूसरे रास्ते पर जा रहे हैं। जिस तरह से वादी के उत्पादों को वेबसाइटों पर चित्रित किया है, वह भी गलत बयानी है।
कोर्ट ने कहा कि अगर मालिक ने सहमति नहीं दी है तो विक्रेताओं को कोई अधिकार नहीं है। इसलिए, विक्रेताओं और प्लेटफाॅर्मों द्वारा मार्क या निशान का उपयोग करना वादी के ट्रेडमार्क अधिकारों का उल्लंघन है और प्रतिवादी धारा 30 के तहत रक्षा के हकदार नहीं होंगे। ई-कॉमर्स प्लेटफार्मों पर बिक्री का तरीका भी बहकाने वाला है और वादी के निशान, उत्पादों और व्यवसायों को कलंकित कर रहा है या खराब कर रहा है।
अदालत ने यह माना कि ई-कॉमर्स वेबसाइट केवल निष्क्रिय नॉन-इंटरफेरिंग प्लेटफॉर्म नहीं हैं, बल्कि उपभोक्ताओं और उपयोगकर्ताओं को बड़ी संख्या में मूल्य वर्धित सेवाएं प्रदान करती हैं। उनके प्लेटफाॅर्म पर अनधिकृत बिक्री के संबंध में वादी द्वारा सूचित किए जाने के बाद यह उनका कर्तव्य बनता है कि वे यह सुनिश्चित करे कि उनके व्यवसाय के द्वारा वादी के अनुबंधात्मक रिश्तों में कोई अनचाहा हस्तक्षेप न हो रहा हो।