इलाहाबाद हाईकोर्ट ने अग्रिम जमानत अर्जी दाखिल करते समय अपनाई जाने वाली प्रक्रिया को किया अधिसूचित [अधिसूचना पढ़े]
Live Law Hindi
11 July 2019 4:22 PM IST
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने उस प्रक्रिया को अधिसूचित कर दिया है जो राज्य में अग्रिम जमानत अर्जी दाखिल करते समय अपनाई जाएगी।
CrPC की धारा 438 उत्तर प्रदेश में 6 जून से हुई लागू
दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 438, जिसे आपातकाल के समय उत्तर प्रदेश सरकार ने विलुप्त या खत्म कर दिया था, उसे राज्य सरकार ने 6 जून 2019 से फिर से लागू कर दिया है। अधिसूचना में यह कहा गया है कि अग्रिम जमानत अर्जी के लिए 5 रूपए कोर्ट फीस देनी होगी और जिस व्यक्ति को गिरफ्तारी का डर है, उसका एक हलफनामा भी इसके साथ लगाया जाए।
गिरफ्तारी के डर के बताने होंगे कारण
अग्रिम जमानत अर्जी के साथ दायर किए जाने वाले हलफनामे के दूसरे पैराग्राफ में उन कारणों का जिक्र किया जाए, जिसके आधार पर एक व्यक्ति को एक गैर जमानतीय मामले में गिरफ्तारी का डर है। इसमें केस नंबर, पुलिस स्टेशन और किन धाराओं के तहत गिरफ्तारी का डर है, उसका भी जिक्र किया जाए, अगर अर्जी दायर करने वाले अभिसाक्षी को उनकी जानकारी है तो।
अर्जी के साथ दायर किए जाने वाले इस हलफनामे के तीसरे पैराग्राफ में इस बात का भी जिक्र किया जाना चाहिए कि जिस अपराध में उस व्यक्ति को गिरफ्तारी का डर है, वह सीआरपीसी की धारा 438 के सब-सेक्शन 6 के तहत दिए गए अपराधों में नहीं आता है।
धारा 438 के तहत नहीं होनी चाहिए किसी HC में अर्जी लंबित
अर्जी के साथ दायर किए जाने वाले हलफनामे के चौथे पैराग्राफ में यह बताया जाना होगा कि अभिसाक्षी ने इस विषय पर या इस मामले में सीआरपीसी की धारा 438 के तहत पहले कोई भी अर्जी इलाहाबाद या लखनऊ कोर्ट या देश की किसी भी अन्य हाईकोर्ट के समक्ष दायर नहीं की है।
सेशन कोर्ट में दी गयी अर्जी, यदि कोई हो तो, की देनी होगी सूचना
इस अर्जी के साथ दायर किए जाने वाले हलफनामे के पांचवे पैराग्राफ में इस बात की सूचना दी जाए कि क्या सीआरपीसी की धारा 438 के तहत कोई अर्जी उस सेशन कोर्ट के समक्ष दायर की गई है, जिसके अधिकार क्षेत्र में कोई केस आता है और उस अर्जी की क्या स्थिति है या उसका क्या परिणाम हुआ। इसकी पुष्टि के लिए संबंधित जरूरी कागजात भी दायर किए जाए।
Next Story