आधार लिंक ना कराने वाले कर्मचारी को वेतन में देरी के लिए ब्याज चुकाएं : बॉम्बे हाई कोर्ट ने पोर्ट ट्रस्ट को कहा [आर्डर पढ़े]
Live Law Hindi
27 Jun 2019 12:44 PM IST
बॉम्बे हाई कोर्ट ने मुंबई पोर्ट ट्रस्ट को अपने उस कर्मचारी को लगभग 30 महीनों की देरी से वेतन पर ब्याज का भुगतान करने का निर्देश दिया है जिसने अपने आधार कार्ड को वेतन भुगतान से जोड़ने से इनकार कर दिया था।
देरी से वेतन के भुगतान पर देना होगा ब्याज
न्यायमूर्ति अखिल कुरैशी और न्यायमूर्ति एस. जे. काथावाला ने कर्मचारी रमेश कुरहडे द्वारा दायर याचिका का निपटारा करते हुए कहा, "मुंबई पोर्ट ट्रस्ट द्वारा देरी से वेतन के भुगतान के चलते, याचिकाकर्ता को प्रति वर्ष 7.5% @ साधारण ब्याज का भुगतान देना होगा। ये भुगतान 31 जुलाई, 2019 तक किया जाएगा।"
मुंबई पोर्ट ट्रस्ट के परिपत्र ने वेतन भुगतान के लिए आधार को किया था अनिवार्य
दरअसल कुरहडे ने पोर्ट ट्रस्ट को 23 दिसंबर 2015 को जारी अपने परिपत्र को वापस लेने का निर्देश देने के लिए अदालत का दरवाजा खटखटाया था। परिपत्र के मुताबिक मुंबई पोर्ट ट्रस्ट के कर्मचारियों को वेतन भुगतान से जोड़ने के लिए अपना आधार कार्ड नंबर प्रस्तुत करने की आवश्यकता थी। इसके लिए 15 फरवरी, 2016 तक का समय दिया गया था और कहा गया था ऐसा करने में विफल रहने वाले कर्मचारी को अगले महीने से उनका वेतन भुगतान नहीं किया जाएगा।
कुरहड़े द्वारा दिया गया तर्क
कुरहडे ने यह कहते हुए आधार प्रदान करने पर आपत्ति जताई कि "नियोक्ता वेतन जारी करने से पहले आधार कार्ड नंबर को जोड़ने पर जोर नहीं दे सकता है।"
चूंकि उन्होंने ये विवरण प्रदान नहीं दिया इसलिए मुंबई पोर्ट ट्रस्ट ने उनका वेतन जारी नहीं किया। याचिका के लंबित रहने के दौरान भी यही स्थिति बनी रही। कुरहडे ने उस स्तर पर अदालत का रुख किया जब आधार कार्ड को विभिन्न योजनाओं और भुगतानों से जोड़ने की अनुमति को सर्वोच्च न्यायालय के सामने चुनौती दी गई थी।
पुट्टस्वामी मामले में फैसले के बाद जारी किया गया था वेतन
आखिरकार सुप्रीम कोर्ट ने के. एस. पुट्टस्वामी (आधार) बनाम भारत संघ (निजता का अधिकार मामला) में अपना फैसला सुनाया। मुंबई पोर्ट ट्रस्ट ने बाद में याचिकाकर्ता का वेतन भी जारी कर दिया जो लगभग 30 महीनों के लिए रोक दिया गया था और वेतन भुगतान से आधार कार्ड को लिंक करने के लिए जोर दिया गया था।
कुरहडे की ओर से पेश वकील दिलीप सावंत ने यह दलील दी कि, "जैसा कि नियोक्ता द्वारा कानून के अधिकार के बिना वेतन रोक दिया गया था, याचिकाकर्ता को वेतन के विलंबित भुगतान पर ब्याज का भुगतान करना होगा।"
मुंबई पोर्ट ट्रस्ट की ओर से दी गयी दलील
मुंबई पोर्ट ट्रस्ट की ओर से पेश वकील अद्वैत सेठ ने कहा कि यह मुद्दा उच्चतम न्यायालय के समक्ष लंबित था। आधार कार्ड को वेतन भुगतान से जोड़ने के सवाल पर कोई स्पष्टता नहीं थी। सरकार ने ही कर्मचारियों के आधार कार्ड को लिंक करने के लिए पोर्ट ट्रस्ट को निर्देशित किया था। कुरहडे लगभग 800 कर्मचारियों में से एकमात्र कर्मचारी थे जिन्होंने इस पर आपत्ति जताई थी।
अदालत ने आगे कहा, "दूसरा, उत्तरदाता कोई भी ये प्राधिकार दिखाने की स्थिति में नहीं हैं जिसके तहत वो किसी कर्मचारी के वेतन को केवल इसलिए रोक सकता है क्योंकि सर्वोच्च न्यायालय के समक्ष कार्यवाही में लंबित स्पष्टता के कारण याचिकाकर्ता ने अपने आधार कार्ड विवरण को देने से इनकार कर दिया था। अब जबकि सुप्रीम कोर्ट ने अपना अंतिम फैसला दे दिया है जिसके अनुसार उसका वेतन भी जारी हो गया है, इसलिए याचिकाकर्ता को विलंबित भुगतान पर उचित ब्याज प्राप्त होना चाहिए। ".