अनुमति से अधिक छात्रों का दाख़िला लेने की शैक्षिक संस्थानों की कोशिश नींदनीय : सुप्रीम कोर्ट [निर्णय पढ़े]
Live Law Hindi
24 Jun 2019 9:52 PM IST
सुप्रीम कोर्ट ने ऐसे शैक्षिक संस्थानों की इस कोशिश की निंदा की है जो अनुमति से अधिक छात्रों का दाख़िला लेते हैं और इस तरह से ऐसे छात्रों के भविष्य से खिलवाड़ करते हैं।
Foundation for Organizational Research and Education For School Management की एक याचिका पर ग़ौर करने के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने यह विचार व्यक्त किया। इस याचिका में अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद (एआईसीटीई) के उस क़दम को चुनौती दी है जिसमें उसने एक संस्थान को उसके वर्तमान सीटों की संख्या और कुछ कोर्स में सीटों की वर्तमान संख्या में बढ़ोतरी की अनुमति को आगे और बढ़ाने की अनुमति नहीं दी है।
न्यायमूर्ति दीपक गुप्ता और न्यायमूर्ति सूर्य कांत की पीठ ने कहा कि संस्थान को जितने छात्रों के दाख़िले की अनुमति दी गई है उससे ज़्यादा छात्रों का दाख़िला लेने की अनुमति देने का संस्थान का निर्णय पूरी तरह ग़ैरक़ानूनी और क़ानून के विरुद्ध है। कोर्ट ने कहा,
"अगर यह मान भी लिया जाए कि एआईसीटीई का निर्णय ग़लत था, तो भी याचिकाकर्ता संस्थान एआईसीटीई ने जितने छात्रों का दाख़िला लेने की अनुमति दी है उससे अधिक छात्रों का दाख़िला नहीं ले सकता। अगर याचिकाकर्ता संस्थान को यह लगा कि एआईसीटीई मामले में निर्णय लेने पर अनावश्यक देरी कर रहा है तो उसके लिए बेहतर यह था कि वह इस अदालत में आती और उचित राहत की माँग करती। याचिकाकर्ता क़ानून को अपने हाथ में नहीं ले सकता और जितने छात्रों का दाख़िला लेने की अनुमति एआईसीटीई ने दी है उससे अधिक छात्रों का दाख़िला नहीं ले सकता। इसलिए हमारे में कोई संदेह नहीं है कि अनुमति से अधिक छात्रों को प्रवेश देकर संस्थान ने ग़ैरक़ानूनी और नियमविरुद्ध काम किया है। इस अदालत ने बार-बार इस बात पर ग़ौर किया है कि शैक्षिक संस्थान अनुमति से अधिक छात्रों का दाख़िला ले लेते हैं और इस तरह छात्रों के भविष्य के साथ खिलवाड़ करते हैं"।
अदालत ने यह भी कहा कि यद्यपि एआईसीटीई को कोई छोटा-मोटा जुर्माना लगाने का अधिकार नहीं है, संस्थान पर लगाया गया जुर्माना कम है। याचिकाकर्ता की याचिका को ख़ारिज करते हुए अदालत ने कहा,
"जिन छात्रों ने दाख़िले के लिए भारी राशि दिए हैं उनको परेशान नहीं होने दिया जा सकता। उन्होंने अपना कोर्स पहले ही पूरा कर लिया है पर उन्हें डिग्री नहीं दी गई है। इसलिए हम यह निर्देश देते हैं कि उक्त छात्रों को डिग्री दे दी जाए"।