एनसीडीआरसी ने दिया मर्सिडीज बेंज को वाहन में कमी के लिए ग्राहक को दो लाख रुपए मुआवजा देने का निर्देश [आर्डर पढ़े]

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10 Jun 2019 4:57 AM GMT

  • एनसीडीआरसी ने दिया मर्सिडीज बेंज को वाहन में कमी के लिए ग्राहक को दो लाख रुपए मुआवजा देने का निर्देश [आर्डर पढ़े]

    राष्ट्रीय उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग(एनसीडीआरसी) ने मर्सिडीज बेंज को निर्देश दिया है कि वह मर्सिडीज वाहन में कमी के लिए अपने ग्राहक को दो लाख रुपए मुआवजा दे,जो इस ग्राहक ने उनसे खरीदा था।एनसीडीआरसी ने राज्य आयोग के उस फैसले में हस्तक्षेप नहीं किया,जो इसी लाइन पर दिया गया था या जिसमें इसी तरह के मुआवजे का निर्देश दिया गया था।

    प्रिंस बंसल,खरीददार, ने जब से कार खरीदी थी,तभी से उसे चलाने में परेशानी हो रही थी। जिसमें एक के बाद दूसरी समस्या आ रही थी। उसने यह कार मैसर्स जोशी आॅटो जोन प्रा.लिमिटेड,जो मर्सिडीज बेंज इंडिया प्राइवेट लिमिटेड का डीलर है।वर्ष 2015 में यह कार 37 लाख रुपए में खरीदी गई थी। कार खरीदने के कुछ दिन बाद ही कार ने आवाज करना शुरू कर दिया,जबकि कार सिर्फ 1424 किलोमीटर की चली थी। डीलर ने कार का निरीक्षण किया और उसके शाॅकर बदल दिए। उसके बाद कार के दरवाजों में से आवाज आनी शुरू हो गई,जिस कारण फिर से वर्कशाॅप ले जाना पड़ा। वहां पर इनको रिपेयर किया गया। इतना ही नहीं कार के सनरूफ को भी फिर से ठीक किया गया क्योंकि केबिन से आवाज आ रही थी। आगे के एक टायर पर भी कट के निशान थे,जिसे बदला गया,जब कार मात्र 4140 किलोमीटर चली थी। कार के केबिन से फिर से आवाज आने लगी जिस कारण कार के सनरूफ को फिर से ठीक करवाना पड़ा। इसी तरह कार जब 7961 किलोमीटर चल ली तो उसमें फिर से दरवाजों व सनरूफ में समस्या आनी शुरू हो गई,जिनको ठीक किया गया।
    कार में बार-बार आ रही इन समस्याओं के कारण शिकायतकर्ता ने ग्रेस आॅटोमोटिव से कार का निरीक्षण करवाया और निरीक्षण रिपोर्ट में बताया गया कि कार में ''अंतनिर्हित विनिर्माण दोष'' है,जिनको उत्पादक खोज कर ठीक नहीं कर पाया।
    इस रिपोर्ट के आधार पर शिकायतकर्ता ने जिला फोरम में एक उपभोक्ता शिकायत दायर की। उसने मांग की थी कि उसकी कार को बदला जाए या उसका पैसा वापिस दिया जाए।इसके साथ ही उसे मुआवजा भी दिलाया जाए।
    राज्य आयोग ने 27 मार्च 2019 का अपना आदेश दिया,जिसमें कंपनी को निर्देश दिया गया कि वह शिकायतकर्ता को दो लाख रुपए मुआवजे के तौर पर दे और उसे मुकद्मे के खर्च के तौर पर 22000 रुपए दिए जाए।
    आयोग ने विशेषज्ञ समिति की रिपोर्ट पर भरोसा करते हुए यह आदेश दिया। जिसमें पंजाब इंजीनियरिंग कालेज के प्रोफेशर सुशांत समीर,प्रोफेसर गोपाल दास व प्रोफेसर अंकित यादव शामिल थे।जिन्होंने टेस्ट ड्राइव के दौरान वाहन के पिछले दरवाजे से निकलने वाली छोटी तीव्रता आवाज का पता लगाया था।
    एनसीडीआरसी ने मर्सिडीज बेंज की अपील को खारिज करते हुए कहा कि राज्य आयोग ने मुआवजे को जो आदेश दिया है वो उचित है।
    ''राज्य आयोग ने एक्सपर्ट रिपोर्ट पर किए गए अपने विश्वास को पूर्णत न्यायसंगत साबित किया है। वह रिपोर्ट किसी अन्य ने नहीं बल्कि पंजाब इंजीनियरिंग कालेज के तीन प्रोफेसर ने दी थी,जो कि एक डीम्ड यूनिवर्सिटी है। उन्होंने अपनी रिपोर्ट देने से पहले न सिर्फ वाहन का निरीक्षण किया है,बल्कि खुद टेस्ट ंड्राइव भी किया था।यह पाया गया कि वाहन में लगातार समस्याएं आई है,जिनको ठीक नहीं किया जा सका।ऐसी परिस्थितियों में दो लाख रुपए मुआवजा देने का आदेश न तो ज्यादा है ओर न ही अकारण है,जबकि वाहन एक मर्सिडीज कार है,जिससे उम्मीद की जाती है कि वह अपने मालिक को बिना कोई परेशानी दिए बड़े आराम से चलेगी,जिसने उस वाहन को खरीदने में 37 लाख रुपए लगाए है। जबकि इस कार में शिकायतकर्ता को तब से ही परेशानी आ रही है,जब से उसे खरीदा गया है।''
    अपीलेंट की तरफ से वकील धु्रव वाही व अर्पणा अय्यर पेश हुई थी।

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