प्लास्टिक बोतल और बहुस्तरीय प्लास्टिक पैकेज (टेट्रा पैकिंग) का प्रयोग : एनजीटी ने एफएसएसएआई को प्रतिबंध के निर्धारण के लिए समिति गठित करने को कहा [आर्डर पढ़े]

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8 Jun 2019 12:23 PM IST

  • प्लास्टिक बोतल और बहुस्तरीय प्लास्टिक पैकेज (टेट्रा पैकिंग) का प्रयोग : एनजीटी ने एफएसएसएआई को प्रतिबंध के निर्धारण के लिए समिति गठित करने को कहा [आर्डर पढ़े]

    यह जानने के लिए कि पैकेजिंग में प्लास्टिक के प्रयोग को सीमित करने के लिए किसी विनियामक प्रावधान की ज़रूरत है कि नहीं और अगर है तो किस हद तक, राष्ट्रीय हरित अधिकरण ने भारतीय खाद्य सुरक्षा स्टैंडर्ड प्राधिकरण (एफएसएसएआई), भारतीय मानकीकरण ब्यूरो (बीआईएस), केंद्रीय प्रदूषण बोर्ड (सीपीसीबी) और स्वास्थ्य सेवाओं के महानिदेशक को विशेषज्ञों की एक समिति गठित कर इसकी जाँच करने को कहा है। इसके लिए एफएसएसएआई को संयोजन के लिए नोडल एजेंसी बनाया गया है। एजेंसी किसी भी अन्य विशेषज्ञ/संस्था या व्यक्ति को इसमें शामिल कर सकती है और उसे तीन महीने के भीतर यह रिपोर्ट देनी होगी।

    अधिकरण सॉफ़्ट ड्रिंक, कार्बोनेटेड ड्रिंक और लीकर एवं अन्य वस्तुओं की पैकेजिंग में प्लास्टिक बोतल और बहुस्तरीय प्लास्टिक पैकेजिंग के प्रयोग का स्वास्थ्य और पर्यावरण पर संभावित प्रभाव को लेकर एक याचिका की सुनवाई कर रहा था। आवेदक का कहना था कि इन पैकेजिंग मटीरीयल का स्वास्थ्य और पर्यावरण पर प्रतिकूल असर पड़ता है और इससे प्लास्टिक कचरे में भी वृद्धि होती है।

    आवेदक ने 29.09.2014 को स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय द्वारा जारी अधिसूचना को लागू करने की माँग की। इस अधिसूचना में इन वस्तुओं की पैकेजिंग में प्लास्टिक बोतलों और बहुस्तरीय पैकेजिंग का प्रयोग नहीं करने की बात कही है और इस बारे में नए लेबेल के पंजीकरण का निर्देश दिया था।

    अधिकरण ने इस बारे में पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय (MoEF&CC) की इस बारे में रिपोर्ट "Report of the Committee to Evolve Road Maps on Management of Wastes in India" का उल्लेख किया। अतिरिक्त सचिव, आरएच ख्वाजा ने एक रिपोर्ट सौंपी थी जिसमें इन वस्तुओं के उत्पन्न होने वाले कचरे और इसको रोकने के लिए क्या क़दम उठाया जाए इसका ज़िक्र किया है। प्लास्टिक रिसाइक्लिंग से टिफ़िन बॉक्स, पानी के बोतल, खिलौने, बाल्टी आदि प्लास्टिक उत्पादों का उत्पादन होता है और इनके प्रयोग से स्वास्थ्य और प्रयावरण पर असर पड़ता है।

    अधिकरण ने 29.01.2014 को नोटिस जारी किया था और वह इस मामले पर पिछले पाँच सालों से विचार कर रहा है। अधिकरण ने कहा की इस बारे में मंत्रालय के विचारों पर ग़ौर किया जा रहा है।

    अधिकरण ने ऑल इंडिया इंस्टिचयूट ऑफ़ हाईजीन एंड पब्लिक हेल्थ की रिपोर्ट पर भी ग़ौर किया था।

    ट्रिब्यूनल ने अब इस मामले पर 14 अक्टूबर 2019 को सुनवाई करने का निर्णय किया है।

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