Begin typing your search above and press return to search.
मुख्य सुर्खियां

किसी आरोपी को ज़मानत नहीं दे पाने के कारण उसे अनिश्चित काल तक के लिए जेल में नहीं रखा जा सकता है : सुप्रीम कोर्ट [आर्डर पढ़े]

Live Law Hindi
24 May 2019 9:45 AM GMT
किसी आरोपी को ज़मानत नहीं दे पाने के कारण उसे अनिश्चित काल तक के लिए जेल में नहीं रखा जा सकता है : सुप्रीम कोर्ट [आर्डर पढ़े]
x

सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि किसी आरोपी को सिर्फ़ इसलिए अनिश्चित काल तक के लिए जेल में नहीं रखा जा सकता है क्योंकि वह कुछ ऐसी वजहों से ज़मानत नहीं दे सकता जो उसके वश में नहीं है।

न्यायमूर्ति इंदिरा बनर्जी और न्यायमूर्ति संजीव खन्ना की पीठ ने चीफ़ मेट्रोपॉलिटन मजिस्ट्रेट को यह निर्देश दिया कि वह वसीम अहमद नामक व्यक्ति की ज़मानत की अर्ज़ी पर दिए गए अपने आदेश को संशोधित करे और आदेश में पंजीकृत ज़मानत पर ज़ोर न डाले।

दरअसल कलकत्ता के चीफ़ मेट्रोपॉलिटन मजिस्ट्रेट ने वसीम अहमद को इस शर्त पर ज़मानत दी थी कि वह पंजीकृत ज़मानत जमा करेगा। वसीम ने इस आदेश के ख़िलाफ़ सीधे सुप्रीम कोर्ट में अपील की क्योंकि पूरे बंगाल में काम रोक दिया गया था और इस वजह से वह कलकत्ता हाईकोर्ट में अपील नहीं कर पाया।

अदालत में उसने कहा कि वह नागपुर का रहनेवाला है और वह पंजीकृत ज़मानत नहीं दे सकता है। कोर्ट को यह कहा गया कि उसकी माँ काफ़ी बीमार है और इस वजह से उसका घर जाना ज़रूरी है। वसीम अहमद के वक़ील को सुनने के बाद पीठ ने कहा,

"…एक प्रश्न यह है कि क्या किसी याचिकाकर्ता को ऐसी वजह से अनिश्चित काल तक जेल में रखा जा सकता है जिस पर उसका नियंत्रण नहीं है क्योंकि वह पंजीकृत ज़मानत नहीं दे सकता है। इस प्रश्न का उत्तर आवश्यक रूप से ना में होगा। इसलिए हम यह उचित समझते हैं कि संबंधित चीफ़ मेट्रोपॉलिटन मजिस्ट्रेट को ज़मानत के आदेश में संशोधन को कहा जाए…"

पीठ ने कहा कि आरोपी को चीफ़ मेट्रोपॉलिटन मजिस्ट्रेट के समक्ष पेश किया जाएगा। अगर यह पाया जाता है कि अदालत के कमरे में ताला लगा है, जैसा कि कहा गया (और जो आश्चर्यजनक लगता है), और अगर याचिकाकर्ता को चीफ़ मेट्रोपॉलिटन मजिस्ट्रेट के समक्ष पेश करना संभव नहीं है क्योंकि वहां हड़ताल चल रही है, तो उस स्थिति में याचिकाकर्ता को 22.10.2019 को या उससे पहले हाईकोर्ट में पेश किया जा सकता है ताकि उसके ज़मानत आदेश को संशोधित किया जा सके।


Next Story