दिल्ली हाईकोर्ट ने हैदराबाद की दवा कंपनी नैटको फ़ार्मा को नोवार्टिस की पेटेंट वाली कैंसर की दवा सेरिटिनिब के उत्पादन से रोका [आर्डर पढ़े]
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19 May 2019 9:38 PM IST
दिल्ली हाईकोर्ट ने हैदराबाद की कंपनी नैटको फ़ार्मा को 'सेरिटिनिब' नामक कैंसर की दवा का उत्पादन करने से रोक दिया है। पर कोर्ट ने मरीज़ों का ख़याल रखते हुए कंपनी को वर्तमान स्टॉक को बेचने की अनुमति दे दी है।
न्यायमूर्ति प्रतिभा एम सिंह ने एक आदेश पास कर स्विस दवा कंपनी नोवार्टिस के आवेदन पर नैटको को नोटिस भी जारी किया है। नोवार्टिस ने दावा किया कि उसे सेरिटिनिब का पेटेंट मिला हुआ है।
नोवार्टिस ने दावा किया कि उसने यह मुक़दमा पैटेंट कन्वेंशन ट्रीटी के तहत दायर किया है जो 2007 से लागू है और यह पेटेंट उसे 28 सितम्बर 2015 को हासिल हुआ।
नोवार्टिस ने कहा कि उसे इस दवा के उत्पादन पर रोक लगवाने के लिए कोर्ट जाना पड़ा क्योंकि उसे पता चला कि नैटको ने NOXALK नाम से कोलकाता में 29 मार्च को सेरिटिनिब दवा बाज़ार में जारी किया है।
नैटको ने कोर्ट को बताया कि सेरिटिनिब न तो नया है और न ही अन्वेषी और यह मारकुश फ़ॉर्म्युला के तहत आता है जिसका ख़ुलासा आस्ट्राजेनेका और रिगेल पेटेंट और दो दूसरे नोवार्टिस पेटेंट में किया गया है।
पेटेंट अधिनियम की धारा 48 के प्रावधान में जिसको पेटेंट मिला है उसको अधिकार दिया गया है और यह अधिकार पोस्ट-ग्रांट मामले के विचाराधीन रहने के दौरान अप्रभावित रहता है।
"प्रतिवादी के उत्पाद NOXALK को 'सेरिटिनिब कैप्सूल' कहा जाता है। यह जानते हुए कि इस दवा का प्रयोग फेफड़े के ग़ैर-लघु कोशिका कैंसर (NSCLC) के लिए होता है, सो अगर प्रतिवादी के उत्पाद, जिसका पहले ही उत्पादन हो चुका है, की बिक्री को रोका गया तो इससे मरीज़ों पर किसी तरह का कोई असर नहीं पड़ेगा। इस तरह, NOXALK मार्क के तहत इस मामले के विचाराधीन रहने के दौरान सेरिटिनिब के बिक्री की अनुमति दी जाती है और यह कोर्ट के अगले आदेश तक जारी रहेगा।
कोर्ट ने कहा, "नैटको फ़ार्मा, जिसको यह जानकारी थी कि इस दवा का पेटेंट दिया जा चुका है और यह कि पोस्ट ग्रांट के ख़िलाफ़ मामले पर फ़ैसला लंबित है, को इस दवा को बाज़ार में नहीं लाना चाहिए था…इसी तरह, प्रतिवादी को इस दवा के सक्रिय तत्व 'सेरिटिनिब' का अगले आदेश तक उत्पादन करने से रोका जा रहा है।"
इस मामले की अगली सुनवाई अब 11 जुलाई को होगी।