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तकनीकी और सीमांत देरी के आधार पर उपभोक्ता की शिकायत खारिज करना न्याय के उद्देश्य को परास्त करना है : सुप्रीम कोर्ट [आर्डर पढ़े]
![तकनीकी और सीमांत देरी के आधार पर उपभोक्ता की शिकायत खारिज करना न्याय के उद्देश्य को परास्त करना है : सुप्रीम कोर्ट [आर्डर पढ़े] तकनीकी और सीमांत देरी के आधार पर उपभोक्ता की शिकायत खारिज करना न्याय के उद्देश्य को परास्त करना है : सुप्रीम कोर्ट [आर्डर पढ़े]](https://hindi.livelaw.in/h-upload/2019/03/31358918-justice-dy-chandrachud-and-justice-hemant-guptajpg.jpg)
सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि मात्र तकनीकी आधार पर और सीमांत विलंब पर उपभोक्ता की शिकायतों को खारिज करना, असल में मुकदमेबाजी के बोझ को बढ़ा देता है और उपभोक्ता मंचों में न्याय सुनिश्चित करने के उद्देश्य को पराजित करता है।
NCDRC की स्थापना पर अदालत की टिप्पणी
"हम इस दृष्टिकोण के प्रति आश्वस्त हैं कि इस प्रकृति के आदेश उस वास्तविक उद्देश्य से अलग हो जाते हैं जिसके लिए NCDRC की स्थापना की गई है," न्यायमूर्ति डी. वाई. चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति हेमंत गुप्ता की पीठ ने राष्ट्रीय उपभोक्ता आयोग (NCDRC) के एक आदेश को रद्द करते हुए कहा।
इस मामले में (विभा बख्शी गोखले बनाम गृहशिल्प कंस्ट्रक्शंस) NCDRC ने शिकायत को खारिज कर दिया था क्योंकि शिकायतकर्ता निर्धारित समय के भीतर अपना जवाबी हलफनामा और साक्ष्य दर्ज करने में विफल रहा।
पीठ ने कहा कि संसद ने NCDRC की स्थापना, उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 1986 के तहत, न्याय तक पहुंच पाने के लिए उपभोक्ताओं के अधिकारों की रक्षा करने के उद्देश्य को हासिल करने के लिए की थी।
पीठ ने कहा, "हम इस दृष्टिकोण के प्रति आश्वस्त हैं कि इस प्रकृति के आदेश उस वास्तविक उद्देश्य से अलग हैं जिसके लिए NCDRC की स्थापना की गई है। NCDRC को एक तकनीकी आधार पर शिकायत को खारिज करने के बजाय इसे ध्यान में रखना चाहिए था। इस तरह की बर्खास्तगी, असल में केवल मुकदमेबाजी के बोझ को जोड़ती है और उपभोक्ता मंचों में न्याय सुनिश्चित करने के उद्देश्य को पराजित करती है।"
पीठ ने आगे कहा कि यह बार-बार देखा गया है कि NCDRC द्वारा सीमांत देरी को भी माफ नहीं कर किया जा रहा है, जबकि उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 1986 एक ऐसी अवधि को निर्धारित करता है जिसके भीतर एक उपभोक्ता की शिकायत का निपटारा किया जाता है।
पीठ द्वारा कहा गया: "हालांकि अधिनियम किसी उपभोक्ता शिकायत के निपटान के लिए एक अवधि निर्धारित करता है, पर यह भी एक गंभीर सच्चाई है कि संसाधनों और बुनियादी ढांचे की उपलब्धता ना होने के कारण शिकायतों का निपटान नहीं किया जा सकता।"
पीठ ने कहा कि,
"इस पृष्ठभूमि में न्यायिक प्रक्रिया में होने वाली कुछ देरी के लिए किसी मुकदमेबाज को दंडित करना कठोर है। उपभोक्ता मंचों को इसे ध्यान में रखना चाहिए ताकि अंत में न्याय की हार न हो।"