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अगर मध्यस्थता क्लाउज पर्याप्त रूप से स्टांप नहीं लगे हैं तो अदालत मध्यस्थ की नियुक्ति नहीं कर सकता: सुप्रीम कोर्ट [निर्णय पढ़े]
![अगर मध्यस्थता क्लाउज पर्याप्त रूप से स्टांप नहीं लगे हैं तो अदालत मध्यस्थ की नियुक्ति नहीं कर सकता: सुप्रीम कोर्ट [निर्णय पढ़े] अगर मध्यस्थता क्लाउज पर्याप्त रूप से स्टांप नहीं लगे हैं तो अदालत मध्यस्थ की नियुक्ति नहीं कर सकता: सुप्रीम कोर्ट [निर्णय पढ़े]](https://hindi.livelaw.in/h-upload/2019/01/28justice-nariman-and-justice-vineet-saranjpg.jpg)
सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि मध्यस्थता अधिनियम की धारा 11(6) के अधीन किसी अपील पर कोई अंतिम निर्णय देने से पहले उन मामलों में जहाँ जिन दस्तावेज़ों पर आपत्ति की गई है अगर उस पर पर्याप्त स्टांप नहीं लगे हैं तो स्टांप अथॉरिटीज़ के फ़ैसले की प्रतीक्षा करना ज़रूरी है।
न्यायमूर्ति रोहिंटन फली नरीमन और न्यायमूर्ति विनीत सरनन्यायमूर्ति विनीत सरन की पीठ ने कहा कि SMS Tea Estates (P) Ltd. v. Chandmari Tea Co. (P) Ltd. मामले में जिस क़ानून को निर्धारित किया गया था वह मध्यस्थता और समाधान (संशोधन) अधिनियम, 2015 में धारा 11(6A) को जोड़ने के बाद भी लागू होता है।
इत्तीफ़ाकन, अभी एक सप्ताह पहले ही बॉम्बे हाइकोट की पूर्ण पीठ ने इसके विपरीत फ़ैसला दिया था। पीठ ने आज अपने फ़ैसले में इसकी चर्चा की और कहा कि यह निर्णय ग़लत था।
पीठ के समक्ष यह मामला गरवारे वाल रोप्स लिमिटेड बनाम कोस्टल मरीन कंस्ट्रक्शन एंड इंजीनियरिंग लिमिटेड से संबंधित था और मामला यह था कि क्या धारा 11(6A) ने SMS Tea Estates (P) Ltd. के इस फ़ैसले के आधार को समाप्त कर दिया है ताकि इस दस्तावेज़ को जज द्वारा नहीं बल्कि मध्यस्थ द्वारा ज़ब्त किया जाए जिसे धारा 11 के तहत नियुक्त किया गया है?
धारा 11(6A) में प्रावधान है कि किसी फ़ैसले के बावजूद सुप्रीम कोर्ट या फिर हाईकोर्ट कोर्ट, उप-धारा 4 या 5 या 6 के अधीन किसी आवेदन पर विचार करते हुए ख़ुद को सिर्फ़ मध्यस्थता समझौते तक सीमित रखेगा।
अदालत ने कहा :
"…यह याद रखना ज़रूरी है कि भारतीय स्टांप अधिनियम इस समझौते या समर्पण पत्र पर पूरी तरह लागू होता है। इसलिए इस तरह के समझौते में मध्यस्थता के प्रावधानों को अलग नहीं किया जा सकता ताकि इसको स्वतंत्र अस्तित्व दिया जा सके।"
पीठ ने अपने निष्कर्ष में कहा कि SMS Tea Estates (P) Ltd. में जो फ़ैसला आया है वह धारा 11(6A) में हुए संशोधनों से परे हैं।