हाईकोर्ट के जज पर आरोप लगाने वाले वकील को बाॅम्बे हाईकोर्ट ने चेताते हुए,बीस हजार रुपए हर्जाना लगाया [आर्डर पढ़े]
Live Law Hindi
8 April 2019 10:12 PM IST
बाॅम्बे हाईकोर्ट ने मंगलवा को एक वकील अरविंद वाघमारे पर बीस हजार रुपए का हर्जाना लगाया है क्योंकि इस वकील ने अन्य चार के साथ मिलकर हाईकोर्ट में कार्यरत एक जज पर आरोप लगाए थे। जब इन सबके खिलाफ स्वत संज्ञान लेकर अवमानना की कार्यवाही शुरू की गई तो इन्होनें अवमानना की अपील दायर कर दी।
वाघमारे,नागोराओ इंगले,उसकी पत्नी ज्योति व दो बेटों ने अवमानना की अपील दायर कर जस्टिस आर.के देशपांडेय द्वारा दिए गए 19 जून 2018 के आदेश को वापिस लेने की मांग की थी। इन्होंने लाॅ एंड ज्यूडिशयरी विभाग के अधिकारी व कई कार्यरत जजों आदि के खिलाफ आरोप लगाए थे। जब रजिस्ट्री ने इस मामले को उठाते हुए संबंधित बेंच के समक्ष शिकायत की तो इनके खिलाफ कोर्ट ने स्वत संज्ञान लेते हुए कार्यवाही शुरू की थी।
इसके अलावा पांचों याचिकाकर्ताओं ने यह कहते हुए दस-दस लाख रुपए का मुआवजा दिलाए जाने की मांग की थी कि इनके खिलाफ द्वेषपूर्ण भाव से केस चलाया गया और वह निर्दोष है। उन्होंने जो शिकायत की थी,वो बिल्कुल ठीक थी।
पहले भी वाघमारे को एक कार्यरत जज के खिलाफ बेबुनियाद आरोप लगाने के मामले में न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया था। जब उसने बिना शर्त के माफी मांगी,तभी उसे रिलीज किया गया था।
मंगलवार को जस्टिस जेड.ए हक व जस्टिस विनय जोशी की खंडपीठ ने अपने आदेश में कहा कि-इस मामले में दायर अर्जी के तात्पर्य को देखते हुए उसे शुरूआत से ही डस्टबिन में फेंक देना चाहिए था। वाघमारे ने अपनी अपील के टाईटल में इसका कारण दे रखा था। उसने लिखा था 'कपटपूर्ण प्रोसिडिंग'। कोर्ट इससे टाईटल से खुश नहीं थी।
किसी केस का पक्षकार या उसका वकील वकी टाईटल दिखा सकता है जो रजिस्ट्री ने दर्शाया हो। कोई पक्षकार या उसका वकील अपनी मर्जी से काज टाईटल में कुछ नहीं जोड़ सकता है। परंतु इस मामले में प्रतिवादी नम्बर 1 ने अवमानना की याचिका नंबर2/2018 को कपटपूर्ण प्रोसिडिंग के तौर पर रेफर किया।इस तरह की हरकत स्वीकार नहीं की जा सकती है।
वाघमारे ने मांग की थी कि उसके मामले को बड़ी बेंच के पास भेजा जाए क्योंकि उसने नागपुर बेंच के वरिष्ठ जजों, रजिस्ट्री व रजिस्ट्री के वरिष्ठ अधिकारियों के खिलाफ आरोप लगाए थे। इसलिए जरूरी है कि इस मामले को बड़ी बेंच के पास भेज दिया जाए।
कोर्ट ने इस मांग को स्वीकार करने से इंकार करते हुए कहा कि-हमें कोई ऐसा कारण नजर नहीं आता है िकइस मामले में रिपोर्ट मुख्य न्यायाधीश के पास भेजी जाए। इसलिए इस अर्जी को खारिज करते हुए बीस हजार रुपए हर्जाना लगाया जा रहा है।जो प्रतिवादी नंबर एक अरविंद वाघमारे को देना होगा।
इसलिए कोर्ट वाघमारे को निर्देश देती है कि वह इस राशि को हाईकोर्ट लीगल सर्विस अॅथारिटी के पास जमा करा दे। वहीं सभी प्रतिवादियों के खिलाफ अवमानना का नोटिस जारी करते हुए 18 अप्रैल तक जवाब मांगा है।
अंत में कोर्ट ने वाघमारे को उसके व्यवहार के लिए चेताते हुए कहा कि- बीस मार्च 2019 और आज भी,यह देखने में आया है कि प्रतिवादी नंबर एक कोर्ट को अपना काम नहीं करने दे रहा है। न ही कोर्ट को डेकोरम मैंटेन कर रहा है। इतना ही नहीं जब कोर्ट इस मामले में यह आदेश लिखवा रही थी,उस समय भी प्रतिवादी नंबर एक बार-बार हस्तक्षेप कर रहा था। प्रतिवादी नंबर एक का कहना है कि वह बीस साल से बतौर वकील प्रैक्टिस कर रहा है,इसलिए उसको चेताया जाता है कि इस तरह का काम वह फिर कभी न करे।