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उपयुक्त मामलों में अंतरिम निषेधाज्ञा की अनुमति देने पर कोई मनाही नहीं : सुप्रीम कोर्ट [निर्णय पढ़े]
![उपयुक्त मामलों में अंतरिम निषेधाज्ञा की अनुमति देने पर कोई मनाही नहीं : सुप्रीम कोर्ट [निर्णय पढ़े] उपयुक्त मामलों में अंतरिम निषेधाज्ञा की अनुमति देने पर कोई मनाही नहीं : सुप्रीम कोर्ट [निर्णय पढ़े]](https://hindi.livelaw.in/h-upload/2019/02/14358251-justice-uday-umesh-lalit-and-justice-hemant-guptajpg.jpg)
सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि उपयुक्त मामलों में अंतरिम निषेधाज्ञा की अनुमति की मनाही नहीं है।
सुप्रीम कोर्ट के न्यायमूर्ति यूयू ललित और न्यायमूर्ति हेमंत गुप्ता की पीठ ने कहा कि अंतरिम निषेधाज्ञा माँगने पर नहीं दी जा सकती है पर अगर पक्षकारों के अधिकारों और उनके हितों की सुरक्षा के लिए ऐसा करने केमज़बूत कारण मौजूद हैं। वर्तमान मामले में अपीलकर्ता को हमदर्द (वक़्फ़) का पासवर्ड और प्रबंधन सौंपने के लिए निषेधाज्ञा जारी करने की अपील की गई है।
कोर्ट के समक्ष दलील यह दी गई कि संहिता के आदेश XXXIX के नियम 1 और 2 के तहत कोर्ट ऐसा अंतरिम आवश्यक राहत नहीं दिला सकता है जिससे कि एक नई स्थिति पैदा आहों जाए जो कि अभीतक थी ही नहीं। इस बारे में Samir Narain Bhojwani v. Arora Properties and Investments के मामले में सुप्रीम कोर्ट के निर्णय का हवाला दिया गया जिसमें तीन जजों की पीठ ने कहा था किअंतरिम आवश्यक निषेधाज्ञा एक नई तरह की स्थिति को पैदा करने के लिए नहीं दिया जा सकता जैसा कि मामला दायर करने के समय नहीं था।
पीठ ने कहा,"आवश्यक निषेधाज्ञा जारी करने पर समीर नारायण भोजवानी के मामले में भी रोक नहीं लगाया गया था। यह कहा गया कि अगर इस बात के स्पष्ट सबूत नहीं हैं कि इस मामले में एक पक्ष द्वारा यथास्थिति कोपूरी तरह बदल दिया गया है, आवश्यक निषेधाज्ञा का आदेश दिया जा सकता है…यह आदेश इसके माँगने पर नहीं दिया जा सकता बल्कि ऐसी मज़बूत परिस्थितियाँ होने पर दिया जा सकता है ताकिपक्षकारों के हितों और अधिकारों की रक्षा की जा सके…"।
पीठ ने इस मामले में देओराज बनाम महाराष्ट्र राज्य के मामले में आए फ़ैसले का भी हवाला दिया गया जिसमें कहा गया कि अंतरिम राहत तभी जब ऐसा लगे कि यह आदेश नहीं दिया गया तो इससे न्याय कोनुक़सान पहुँचेगा।