Begin typing your search above and press return to search.
मुख्य सुर्खियां

ड्यूटी के दौरान नशे की हालत में रहना गंभीर कदाचार : सुप्रीम कोर्ट ने पुलिस सिपाही की बर्खास्तगी को बरकरार रखा [निर्णय पढ़े]

Live Law Hindi
29 March 2019 9:35 AM GMT
ड्यूटी के दौरान नशे की हालत में रहना गंभीर कदाचार : सुप्रीम कोर्ट ने पुलिस सिपाही की बर्खास्तगी को बरकरार रखा [निर्णय पढ़े]
x
"कदाचार के आरोप की गंभीरता और इस तथ्य के संबंध में कि प्रतिवादी पुलिस सेवा का सदस्य था, हमें उच्च न्यायालय द्वारा बर्खास्तगी के आदेश के साथ हस्तक्षेप करने का कोई औचित्य नहीं लगता।”

सुप्रीम कोर्ट ने नशे में धुत होकर जनता के साथ दुर्व्यवहार करने पर पुलिस सिपाही की बर्खास्तगी को सही ठहराया है।

सिपाही प्रेम सिंह 1 नवंबर 2006 को उतराखंड के पिथौरागढ़ जिले में नशे की हालत में पाया गया था। वो जनता के साथ दुर्व्यवहार कर रहा था। जांच करने के बाद पुलिस अधीक्षक, पिथौरागढ़ ने उसकी बर्खास्तगी का आदेश पारित किया, जिसमें कहा गया कि उस पर नशे और दुर्व्यवहार का आरोप साबित हो गया है।

सिपाही ने उच्च न्यायालय की एकल पीठ सहित विभिन्न मंचों के सामने बर्खास्तगी के इस आदेश को चुनौती दी लेकिन हर जगह वो असफल हुआ।

अंत में उच्च न्यायालय की खंडपीठ ने उसकी याचिका पर गौर किया कि उसके अतीत के आचरण पर ध्यान दिया जाना चाहिए था और चूंकि उसने पुलिस विभाग में 25 वर्ष की संतोषजनक सेवा पूरी कर ली, इसलिए उसको मिली बर्खास्तगी की सजा अत्यधिक लगती है। उच्च न्यायालय ने सजा को अनिवार्य सेवानिवृत्ति में बदल दिया।

राज्य द्वारा दायर की गई अपील में न्यायमूर्ति डी. वाई. चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति हेमंत गुप्ता की पीठ ने कहा: "प्रतिवादी के खिलाफ जनता के साथ दुर्व्यवहार से जुड़े कदाचार का एक गंभीर आरोप था। नशे की हालत भी चिकित्सा रिपोर्ट से विधिवत साबित हुई थी। कदाचार के आरोप की गंभीरता के बारे में और इस तथ्य के कारण कि प्रतिवादी पुलिस सेवा का सदस्य था, हमें उच्च न्यायालय द्वारा बर्खास्तगी के आदेश के साथ हस्तक्षेप करने का कोई औचित्य नहीं लगता। "

अदालत ने उच्च न्यायालय के आदेश को रद्द कर दिया है और प्रेम सिंह पर जारी किए गए बर्खास्तगी के आदेश को बहाल कर दिया है।


Next Story