सुप्रीम कोर्ट ने मुक़दमादरों से कहा, अगर आपका वक़ील आपकी मदद नहीं कर पा रहा है तो दूसरा वक़ील रखिए [निर्णय पढ़े]
Live Law Hindi
19 March 2019 2:12 PM IST
सुप्रीम कोर्ट ने एक फ़ैसले में ऐसे मुक़दमादारों को एक साधारण सुझाव दिया जो मुक़दमे में देरी या ग़लत फ़ैसले के लिए अपने वकीलों को दोष देते हैं।
सुप्रीम कोर्ट हरियाणा शहरी विकास प्राधिकरण की याचिका पर ग़ौर कर रहा था। पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट ने दूसरी अपील रद्द कर दी थी और 1942 दिनों की देरी कोई नज़रंदाज़ करने से मना कर दिया था।
हाईकोर्ट के विचारों से सहमति जताते हुए न्यायमूर्ति एएम सप्रे और न्यायमूर्ति दिनेश माहेश्वरी की पीठ ने कहा कि इस आधार पर उनके वक़ील ने समय पर उचित क़दम उठाया, 1942 दिनों की देरी को माफ़ करने की अपील को स्वीकार नहीं किया जा सकता क्योंकि जो कारण बताया गया है उसे पर्याप्त आधार नहीं माना जा सकता है।
"हमारी राय में यह अपीलकर्ता (उनके क़ानूनी प्रबंधकों) की ड्यूटी है कि अपील समय पर दाख़िल किए जाएँ। अगर अपीलकर्ता को लगता है कि उनका वक़ील उनके मुक़दमें में दिलचस्पी नहीं ले रहा है तो उन्हें तुरंत ही नए वक़ील की मदद लेनी चाहिए और या सुनिश्चित करना चाहिए कि अपील समय पर दाख़िल किए जाएँ।"
कोर्ट ने या भी कहा कि HUDA के अधिकारी जो कि उसके क़ानूनी प्रकोष्ठ को चलाते हैं, अपने कर्तव्यों का निर्वहन करने में विफल रहे हैं और ऐसा उन्होंने तब किया है जब उनको सारी सुविधाएँ उपलब्ध थीं।
"... हमारी राय में 1942 दिनों की देरी काफ़ी लंबी है और इसमें क्यों देरी हुई इसका अपीलकर्ताओं ने पर्याप्त कारण नहीं दिया है। किसी भी सूरत में, जो कारण बताया गया है वह वह Limitation Act की धारा 5 के तहत पर्याप्त नहीं है।"