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सुप्रीम कोर्ट ने नाल्सा से मोटर वाहन दुर्घटना मध्यस्था प्रकोष्ठ बनाने को कहा और मोटर वाहन दुर्घटना मध्यस्थता प्राधिकरण के गठन का सुझाव दिया [निर्णय पढ़े]
![सुप्रीम कोर्ट ने नाल्सा से मोटर वाहन दुर्घटना मध्यस्था प्रकोष्ठ बनाने को कहा और मोटर वाहन दुर्घटना मध्यस्थता प्राधिकरण के गठन का सुझाव दिया [निर्णय पढ़े] सुप्रीम कोर्ट ने नाल्सा से मोटर वाहन दुर्घटना मध्यस्था प्रकोष्ठ बनाने को कहा और मोटर वाहन दुर्घटना मध्यस्थता प्राधिकरण के गठन का सुझाव दिया [निर्णय पढ़े]](https://hindi.livelaw.in/h-upload/2019/02/14justice-sikri--abdul-nazeerjpg.jpg)
मंगलवार को एक अहम फ़ैसले में सुप्रीम कोर्ट ने सड़क दुर्घटना में पीड़ितों को मुआवज़ा दिलाने में होने वाली देरी को रोकने के संदर्भ में कुछ अहम निर्देश जारी किए।
18 साल के उम्र में दुर्घटना का शिकार हुए एक वकील ने एक याचिका दायर कर मुआवज़े की राशि में बढ़ोतरी की माँग की। इस अपील पर सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने वरिष्ठ वक़ील अरुण मोहन की दलीलों पर ग़ौर किया जिन्होंने देश के हर जिले में एक मोटर वाहन दुर्घटना मध्यस्थता प्राधिकरण (एमएएमए) के गठन की बात रखी।
कोर्ट ने कहा कि वक़ील के सुझाव काफ़ी दुरुस्त हैं, और सरकार को एमएएमए की स्थापना की संभावना की जाँच करने और इसके लिए मोटर वाहन अधिनियम में आवश्यक संशोधन के लिए नोटिस जारी किया।
पीठ ने कहा, "बहुत ही भारी संख्या में दुर्घटनाएँ हो रही हैं और इनसे जुड़े विवादों को सुलझाने के लिए उपाय करने होंगे।मध्यस्थता का विकल्प नहीं है…इसको अब वैधानिक मान्यताएँ मिलने लगी हैं और नए क़ानूनों में भी इसको जगह दी गई है। कंपनी अधिनियम, दिवालिया अधिनियम, वाणिज्यिक अदालत अधिनियम इसके उदाहरण हैं। इन क़ानूनों में मुक़दमा दायर करने से पहले भी मध्यस्थता के प्रावधान किए गए हैं…इसलिए एमएएमए के घठन का सुझाव प्रशंसनीय है।"
अपने सुझावों में पीठ ने कहा:
- हम सरकार से आग्रह करते हैं कि वह भारतीय मध्यस्थता अधिनियम लाने की संभावना पर विचार करे।
- सरकार मोटर वाहन अधिनियम में उपयुक्त संशोधन कर एमएएमए की स्थापना पर ग़ौर करे।सरकार इस बारे में अपीलकर्ता ने जो चार्ट पेश किया है उस पर भी ग़ौर कर सकती है।
- जब तक यह बात ठोस रूप में सामने आती है तब तक के लिए नाल्सा को मोटर वाहन मध्यस्थता प्रकोष्ठ की स्थापना का निर्देश दिया जाता है। इसे एमसीपीसी के अंदर भी रखा जा सकता है। इस व्यवस्था को दो महीने के अंदर अंजाम दिया जाए और इसके तुरंत बाद यह विभिन्न स्तरों पर जिसका इस फ़ैसले मेंसुझाव दिया गया है, कार्य करना शुरू कर दे …इस तरह से इसे लागू करने के लिए नाल्सा को निर्देश दिया जा ता है कि वह विभिन्न हाइकोर्टों के साथ मिलकर काम करेगा। MACAD की योजना को अखिल भारतीय स्तर पर सभी दावा न्यायाधिकरण लागू करेगा। बैंक और भारतीय बैंक संघ के सदस्य जिन्होंनेMACAD योजना को लागू करने का निर्णय किया है, इसे भी अखिल भारतीय स्तर पर लागू करेंगे।
- हम सरकार को निर्देश देते हैं कि वह आवश्यक योजना बनाने और वार्षिक प्रमाणपत्र देने की संभावना पर ग़ौर करे। यह निर्देश दिया जाता है कि इसे छह माह के भीतर पूरा कर लिया जाए और इसके बाद इस पर निर्णय लिए जाएँ।