दिल्ली हाईकोर्ट ने भागकर शादी करने वाले जोड़े को दी सुरक्षा, ज्वाइंट मेडिक्लेम पॉलिसी लेने का निर्देश दिया [आर्डर पढ़े]

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2 March 2019 12:08 PM GMT

  • दिल्ली हाईकोर्ट ने भागकर शादी करने वाले जोड़े को दी सुरक्षा, ज्वाइंट मेडिक्लेम पॉलिसी लेने का निर्देश दिया [आर्डर पढ़े]

    भागकर शादी करने वाले एक जोड़े को सुरक्षा देते हुए दिल्ली हाईकोर्ट ने पति को ₹5 लाख रुपए का ज्वाइंट मेडिक्लेम पॉलिसी लेने का निर्देश दिया।

    अपने आदेश में न्यायमूर्ति नज़्मी वज़ीरी ने कहा, "याचिकाकर्ता नम्बर 2 इस बात का वादा करता है कि वह अपने और अपनी पत्नी के लिए ₹5 लाख रुपए का मेडिक्लेम पॉलिसी लेगा। यह पॉलिसी कम से कम शादी की अवधि तक जारी रखी जाएगी। वह इसमें याचिकाकर्ता नम्बर 1, पत्नी को उस सभी सम्पत्तियों में बराबर की भागीदारी देगा जो उसे एक वारिस के तौर पर मिलेगा।"

    इस जोड़े ने सुरक्षा के लिए अदालत का दरवाज़ा खटखटाया था और कहा था कि इसके बावजूद कि वे दोनों ही क़ानूनन बालिग़ हैं और अपनी इच्छा से शादी किए हैं, उन्हें अपने जीवन पर ख़तरा महसूस हो रहा है क्योंकि उनके परिवार के लोगों ने इस शादी की अनुमति नहीं दी है।

    सुनवाई के दौरान अतिरिक्त राज्य के लोक अभियोजक जीएम फ़ारूक़ी ने कोर्ट को बताया कि इस मामले को संबंधित क्षेत्र का SHO देखेगा और लड़की के पिता को याचिकाकर्ता के अधिकारों के बारे में बताएगा।

    कोर्ट को यह आश्वासन भी दिया गया इस जोड़े को संबंधित क्षेत्र के तीन पुलिस अधिकारियों का टेलिफ़ोन नम्बर दिया जाएगा और इनमें से एक पुलिस अधिकारी महिला होगी। इस नम्बर पर किसी भी समय सम्पर्क किया जा सकेगा ताकि ज़रूरत के समय वे किसी नम्बर पर सम्पर्क कर सकें।

    उनकी सुरक्षा के लिए किए गए इंतज़ामों का जायज़ा लेने के बाद कोर्ट ने कहा, "संबंधित क्षेत्र की यह महिला पुलिस अधिकारी याचिकाकर्ता नम्बर 1 के पते पर हर दिन जाएगी। अगर उन टेलिफ़ोन नम्बरों पर किसी भी तरह का संदेश, कॉल याचिकाकर्ताओं की ओर से भेजा जाता है तो उस पर तत्काल कार्रवाई होने चाहिए। इसके अलावा, उस क्षेत्र का बीट अधिकारी…हर दिन एक महीने तक याचिकाकर्ता के आवास पर जाएगा और उनसे बात करेगा और इसका ज़िक्र अपने रोज़नामचा में करेगा।

    कोर्ट ने कहा, "याचिकाकर्ताओं की सुरक्षा का आकलन हर सप्ताह SHO करेगा और इसका ज़िक्र भी वह रोज़नामचा में एक माह तक करेगा। बीट अधिकारी अपने बीट बुक में इसका ज़िक्र करेगा। याचिकाकर्ता दिल्ली में अपना पता संबंधित SHO को देंगे।"

    पिता को नोटिस जारी करते हुए कोर्ट ने पति को निर्देश दिया कि वह कम से कम ₹3000 हर माह जमा करेगा ताकि उसकी वित्तीय सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके।


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