विवादित भूमि वक़्फ़ की है कि नहीं इसका निर्णय वक़्फ़ ट्रिब्यूनल ही कर सकता है दीवानी अदालत को इस बारे में कोई अधिकार नहीं : सुप्रीम कोर्ट [निर्णय पढ़े]
Live Law Hindi
10 Feb 2019 7:15 PM IST
सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि अगर मामले का मुद्दा यह है कि विवादित भूमि वक़्फ़ की परिसंपत्ति है कि नहीं तो फिर इसका निर्णय न्यायाधिकरण करेगा और दीवानी अदालत का इस पर कोई न्यायाधिकार नहीं होगा।
न्यायमूर्ति अशोक भूषण और न्यायमूर्ति केएम जोसफ़ की पीठ ने पंजाब वक़्फ़ बोर्ड की दो अपीलों पर सुनवाई करते हुए यह कहा। इस अपील में पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट के दो अलग अलग मामलों में दिए गए फ़ैसलों को चुनौती दी गई है।
पहले मामले को पंजाब वक़्फ़ बोर्ड ने दीवानी अदालत में दायर किया था जिसमें प्रतिवादियों के ख़िलाफ़ रोक आदेश देने की माँग की गई थी। प्रतिवादियों ने इस अपील को ख़ारिज किए जाने की याचिका डाली। इस मामले को बाद में वक़्फ़ ट्रिब्यूनल को सौंप दिया गया और फिर प्रतिवादियों ने यह अपील की कि ट्रिब्यूनल को इस मामले को सुनने का अधिकार नहीं है और सिर्फ़ दीवानी अदालत ही इस मामले की सुनवाई कर सकता है।
हाईकोर्ट ने इस याचिका को यह कहते हुए स्वीकार कर लिया कि चूँकि किरायेदार ग़ैर-मुस्लिम है इसलिए वक़्फ़ ट्रिब्यूनल इस मामले की जाँच नहीं कर सकता और मामले की सुनवाई सिर्फ़ दीवानी अदालत में हो सकती है।
इस अपील को स्वीकार करते हुए पीठ ने कहा कि हाईकोर्ट का यह मानना कि ग़ैर-मुस्लिम के हितों को ख़तरे में नहीं डाला जा सकता, वक़्फ़ अधिनियम, 1995 की धारा 6 के ख़िलाफ़ है। कोर्ट ने इस मामले में Ramesh Gobindram मामले में आए फ़ैसले का ज़िक्र किया जिसमें Board of Muslim Wakfs, Rajasthan v. Radha Kishan मामले में जो फ़ैसला दिया गया था उसका उल्लेख किया गया।
कोर्ट ने Haryana Wakf Board vs. Mahesh Kumar मामले का भी ज़िक्र किया जिसमें कहा गया था कि विवादित भूमि वक़्फ़ की सम्पत्ति है कि नहीं इसका निर्णय ट्रिब्यूनल ही कर सकता है। इस फ़ैसले को लागू करते हुए पीठ ने कहा:
"प्रतिवादी ने अपने बयान में कहा है कि विवादित परिसंपत्ति वक़्फ़ की परिसंपत्ति नहीं है। जब मामले का विषय यह निर्णय करना हो कि विवादित भूमि वक़्फ़ की परिसंपत्ति है कि नहीं…तो इसका निर्णय वक़्फ़ अधिनियम के तहत ही हो सकता है और इसलिए इसका निर्णय ट्रिब्यूनल ही कर सकता है …"
दूसरे मामले में भी हाईकोर्ट ने कहा था कि इस मामले का अनिर्धारण सिर्फ़ दीवानी अदालत में ही हो सकता है और इसलिए उसने Ramesh Gobindram मामले में आए फ़ैसले पर भरोसा किया है। पीठ ने इस मामले में हाईकोर्ट की दलील को मान लिया क्योंकि इसमें यह निर्णय नहीं करना था कि विवादित संपत्ति वक़्फ़ की है या नहीं।