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सुप्रीम कोर्ट ने मौत की सज़ा पाए तीन लोगों को बरी किया जब कि एक की सज़ा कम कर दी

Rashid MA
26 Jan 2019 8:49 AM GMT
सुप्रीम कोर्ट ने मौत की सज़ा पाए तीन लोगों को बरी किया जब कि एक की सज़ा कम कर दी
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सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को हत्या के आरोप में मौत की सज़ा पाए तीन लोगों को बरी कर दिया। कर्नाटक हाईकोर्ट ने इन लोगों की सज़ा की पुष्टि की थी।

मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई की अध्यक्षता में एल नागेश्वर राव और संजीव खन्ना की तीन सदस्यीय पीठ ने एक आरोपी की मौत की सज़ा को आजीवन कारावास में बदल दिया।

बासवराज, यंकप्पा, रमेश और पाल्या को निचली अदालत ने तीन लोगों की हत्या के आरोप में मौत की सज़ा सुनाई थी। कर्नाटक हाईकोर्ट ने भी उनकी सज़ा को सही ठहराया था।

सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में सज़ा पाए तीन लोगों को यह कहते हुए बरी कर दिया कि अभियोजन के पास इनकी पहचान और इनसे बरामद वस्तुओं के बारे में पर्याप्त सबूत नहीं था। कोर्ट ने यह भी कहा कि अभियोजन साक्ष्य का अभियुक्तों से संबंध बैठाने में विफल रहा ताकि यह कहा जा सके कि इन आरोपियों ने ही हत्या की।

"ऐसी स्थिति में जब आरोपियों ने पुलिस को दिए अपने बयानों में कहा कि उन्होंने लूटी हुई वस्तुएँ एक तालाब में फेंक दी तो यह अभियोजन की ज़िम्मेदारी है कि अगर इन वस्तुओं को भारतीय साक्ष्य अधिनियम, 1872 की धारा 27 के तहत अगर साक्ष्य माना जाना है तो वह यह बताए कि ये वस्तुएँ कैसे बरामद की गईं। पर इस तरह का साक्ष्य नहीं दिया गया है," पीठ ने कहा।

जहाँ तक आरोपी पाल्या की बात है, पीठ ने कहा कि अभियोजन पक्ष गवाहियों के साक्ष्य के आधार पर इस मामले को साबित करने में सफल रहा है। पीठ ने जिस हालात में हत्याएँ हुईं उसको देखते हुए उसकी सज़ा को कम कर दिया और इसे आजीवन कारावास में बदल दिया और अन्य तीन लोगों को क़सूरवार साबित करने में अभियोजन विफल रहा।

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