Begin typing your search above and press return to search.
मुख्य सुर्खियां

आयातित संशोधित भाव के उपयोग से निर्मित विदेशी शराब(आईएमएफएल) पर शुल्क लगाने का अधिकार है राज्य के पास-सुप्रीम कोर्ट [निर्णय पढ़े]

Live Law Hindi
5 Aug 2019 10:52 AM GMT
आयातित संशोधित  भाव के उपयोग से निर्मित विदेशी शराब(आईएमएफएल) पर शुल्क लगाने का अधिकार है राज्य के पास-सुप्रीम कोर्ट [निर्णय पढ़े]
x

सुप्रीम कोर्ट ने यह माना है कि बिहार राज्य के पास इसका अधिकार है कि वह उस विदेशी शराब (आईएमएफएल) पर शुल्क लगा सके, जो आयातित संशोधित या परिशोधित भाव के उपयोग से बनाई गई है।

जस्टिस ए. एम. खानविलकर और जस्टिस अजय रस्तोगी की पीठ ने पटना हाईकोर्ट के एक फैसले को दरकिनार करते हुए यह माना है कि संशोधित नियम 106 (टीएचए) को दी गई चुनौती निराधार है और गलत धारणा पर आधारित है, जो राज्य को आयातित परिशोधित या संशोधित भाव पर शुल्क वसूलने के लिए अधिकृत करता है।

कोर्ट ने यह कहा कि अगर राज्य विधान को आयातित संशोधित भाव पर शुल्क लगाने का अधिकार दिया गया तो वह बिना अधिकार क्षेत्र के होगा, जैसा कि संविधान पीठ ने डेक्क शुगर एंड अकबरी कंपनी लिमिटेड बनाम कमीश्नर आॅफ एक्साईज, ए.पी के मामले में नियम की वैधता की पुष्टि की थी। पीठ ने कहा कि-

''संशोधित प्रावधान राज्य को आयातित संशोधित भाव के उपयोग द्वारा उत्पादित विदेशी शराब (आईएमएफलएल) के संबंध में अपनी एक या अधिक गतिविधि को रोकने के लिए शुल्क या आयात कर लगाने के लिए राज्य को अधिकृत करने वाला एक सक्षम प्रावधान है। पीने योग्य शराब के उत्पादन और बिक्री के लिए लाइसेंस जारी करने के बदले शुल्क लेने की राज्य की सामान्य शक्ति के अलावा इस तरह का टैक्स एक अतिरिक्त हो सकता है। जैसा कि हर शंकर (सुप्रा), पैरा संख्या 56 में देखा गया है, राज्य को विदेशी शराब के निर्माता के लाइसेंसधारियों को प्रदान की जाने वाली सेवाओं के लिए कोई पाउंड या चुटकी या क्विड सहन नहीं करनी चाहिए''

अदालत ने आगे कहा कि, ''प्रावधान का तात्पर्य आयातित संशोधित भाव के उपयोग से उत्पादित या निर्मित आईएमएफएल उत्पाद पर शुल्क लगाना है। उस अर्थ में, शुल्क अंतिम उत्पाद के इनपुट यानि निविष्टि (आयातित परिशोधित आत्मा) पर नहीं है, बल्कि मानव उपयोग के लिए निर्मित पीने योग्य शराब के निर्मित या उत्पादित उत्पाद पर है। शुल्क की गणना के प्रयोजनों के लिए, आईएमएफएल के उत्पादन के लिए उपयोग की जाने वाली आयातित परिशोधित भाव की कुल मात्रा पर 6 रूपए प्रति एलपीएल का अनुमान लगाया गया है। इस प्रकार, यह शुल्क आयातित संशोधित भाव पर नहीं है, बल्कि उत्पादित उस विदेशी शराब पर है, जिसे अभी थोक या फुटकर बाजार में बिक्री के लिए बोतलों में नहीं ड़ाला गया है,जैसा भी मामला हो सकता है।''

पीठ ने राज्य की उन दलीलों पर भी सहमति जताई, जिनमें यह कहा गया था कि यह शुल्क न तो टैक्स की प्रकृति का है ओर न ही उत्पादन शुल्क की तरह, बल्कि सार्वजनिक स्वास्थ्य और नैतिकता को संरक्षित करने के लिए पीने योग्य शराब के उत्पादन, सप्लाई या बिक्री या नशीली शराब के उत्पादन को विनियमित करने के लिए और पीने योग्य शराब के उत्पादन या बिक्री में आयातित संशोधित भाव के उपयोग को नियंत्रित करने के लिए है, इस शुल्क का जो भी नाम हो। ऐसे मामलों में राज्य को विदेशी शराब के उत्पादन के लिए लाइसेंसधारी को दी जाने वाली सेवाओं के लिए कोई चुटकी या पांउड या क्विड भी सहन नहीं करना चाहिए।


Next Story