सारांश कोर्ट मार्शल को केवल उसी स्थिति में आदेश देना चाहिए,जहां यह पूरी तरह से अनिवार्य हो कि तत्काल कार्यवाही आवश्यक है- सुप्रीम कोर्ट [निर्णय पढ़े]
Live Law Hindi
27 July 2019 11:00 AM IST
सुप्रीम कोर्ट ने यह फिर से दोहराया है कि एससीएम का आदेश देने की शक्ति एक कठोर शक्ति है, ऐसे में इस शक्ति का प्रयोग उसी स्थिति में किया जाना चाहिए जहां यह पूरी तरह से अनिवार्य हो कि तत्काल कार्यवाही आवश्यक है।
कोर्ट ने उन दलीलों पर भी ध्यान दिया, जिनमें यह कहा गया था कि विश्व प्रिया सिंह मामले को पुनर्विचार के बाद फिर से स्पष्ट किया गया था, जो 5 जुलाई 2016 से लागू हो गया था। जबकि इस मामले में घटना अगस्त 2007 की है। जस्टिस डी. वाई. चंद्रचूड़ और जस्टिस इंद्रा बनर्जी की पीठ ने कहा कि-
''उपरोक्त स्पष्टीकरण से यह साफ हो रहा है कि सारांश कोर्ट मार्शल आयोजित करने के कारणों को रिकार्ड करने का मामला 5 जुलाई 2016 से लागू हुआ है। हालांकि स्थापित कानून के मौलिक सिद्धांत के अनुसार एससीएम के आदेश की शक्ति एक कठोर शक्ति है, जिसे उन्हीं परिस्थितियों में प्रयोग किया जाना चाहिए जहां पर यह पूरी तरह अनिवार्य हो कि तुरंत कार्यवाही आवश्यक है। धारा 120 की उपधारा (2) की प्रस्तावना में कहा गया है 'जब तत्काल कार्रवाई के लिए कोई गंभीर कारण न हो'। इस मामले में घटना 11अगस्त 2007 की है और एससीएम का आयोजन 22 मई 2008 को किया गया।ऐसे में एससीएम का आयोजन कानून का विरोधाभासी था।"