एनजीटी ने राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों से जैव-कचरा प्रबंधन के नियमों का पालन नहीं करने पर हर महीने एक करोड़ का जुर्माना भरने को कहा [आर्डर पढ़े]
Live Law Hindi
24 July 2019 11:10 AM IST
केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) की रिपोर्ट के सुझावों को मानते हुए राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) ने सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को निर्देश दिया है कि वे या तो अपने जैव-स्वास्थ्य कचरे की निगरानी करें या फिर हर महीने इसके बदले एक करोड़ रुपए का जुर्माना उस समय तक भरें जब तक कि वे इस नियम का पालन नहीं शुरू कर देते हैं। सीपीसीबी ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि अगर स्वास्थ्य सेवा से जुड़ा कोई संस्थान जैव- स्वास्थ्य कचरा से संबंधित नियमों का उल्लंघन करता है तो उससे ₹1200 प्रतिदिन जुर्माना वसूला जाए।
एनजीटी के अध्यक्ष न्यायमूर्ति एके सीकरी की अगुवाई वाली पीठ ने सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को निर्देश दिया है कि वे स्वास्थ्य सुविधाओं के स्टॉक जैव- स्वास्थ्य कचरा की पूरी जानकारी दो महीने के भीतर दें और अगर स्टॉक की जानकारी अपूर्ण है तो इसे पूरा किया जाना चाहिए।
"स्टॉक की जानकारी नहीं देने के बारे में हम राज्यों की निष्क्रियता का अनुमोदन नहीं करते हैं और न ही स्टॉक की अपूर्ण जानकारी की। हमें यह कहते हुए अफ़सोस हो रहा है कि पहचानी गई 25% स्वास्थ्य सेवा सुविधाओं (एचसीएफ) ने जिनकी पहचान की गई है, ने संबंधित राज्य के पीसीबी से अनुज्ञप्ति तक नहीं ली है और इसके अभाव में कचरे के प्रबंधन की निगरानी नहीं हो रही है। जिन राज्यों ने आम उपचार और प्रशमन व्यवस्था स्थापित नहीं की है उन्हें नियमतः इसे दो महीने के भीतर अवश्य ही करना चाहिए।
पीठ ने आगे कहा, "यह स्पष्ट कर दिया गया है कि अगर दो महीने के बाद भी यह पता चलता है कि राज्य/केंद्र शासित प्रदेश इसका पालन नहीं कर रहे हैं तो उनसे हर महीने एक करोड़ रुपए हर महीने की दर से जुर्माना तब तक वसूला जाएगा जब तक कि वे इसका पालन करना नहीं शुरू कर देते"।
शैलेश सिंह ने एक याचिका दायर कर जैव-स्वास्थ्य स्वास्थ्य कचरे का अवैज्ञानिक तरीक़े से निरस्तारन कर जैव-स्वास्थ्य कचरा प्रबंधन नियम, 2016 का उल्लंघन करने वाले स्वास्थ्य सेवा प्रतिष्ठानों को बंद करने की माँग की है। इस याचिका पर सुनवाई करते हुए अधिकरण ने यह फ़ैसला सुनाया।
यह याचिका उत्तर प्रदेश, पंजाब, हरियाणा और उत्तराखंड से संबंधित था पर इसकी परिधि को बढ़ाकर सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को इसकी जद में शामिल कर लिया गया है।