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महिलाएँ बच्चों के लालन-पालन में निपुण : पटना हाईकोर्ट ने सीडब्ल्यूसी में दो महिलाओं को रखने के बिहार सरकार के नियम को सही ठहराया [आर्डर पढ़े]

Live Law Hindi
25 April 2019 12:18 PM GMT
महिलाएँ बच्चों के लालन-पालन में निपुण : पटना हाईकोर्ट ने सीडब्ल्यूसी में दो महिलाओं को रखने के बिहार सरकार के नियम को सही ठहराया [आर्डर पढ़े]
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पटना हाईकोर्ट ने बाल कल्याण समिति (सीडब्ल्यूसी) में दो महिलाओं को रखने के बिहार सरकार के नियम के ख़िलाफ़ दायर अपील को ख़ारिज कर दिया है।

जुवेनाइल जस्टिस ऐक्ट में प्रावधान है कि सीडब्ल्यूसी में एक अध्यक्ष का पद होगा और इसके अन्य सदस्यों की संख्या चार होगी जिसकी नियुक्ति राज्य सरकार करेगी। इन सदस्यों में एक महिला होगी और दूसरा सदस्य बच्चों के मामले में विशेषज्ञता रखने वाला हो।

राज्य के नियम में कहा गया है कि समिति में एक अध्यक्ष और चार अन्य सदस्यों का स्थान होगा जिनमें कम से कम उस जिले की दो महिला सदस्य होंगी जिसके लिए समिति का गठन हो रहा है। यह प्रावधान भी है कि समिति के पाँच सदस्यों में कम से कम एक सदस्य एससी/एसटी का होगा और एक ईसीबी/ओबीसी का होगा।

इस नियम की इस आधार पर आलोचना की गई कि इससे 100% आरक्षण हो जाता है और योग्य होने के बावजूद सामान्य श्रेणी के किसी भी व्यक्ति के इसमें नियुक्ति की कोई गुंजाइश नहीं है।

अदालत ने राज्य के इस नियम के औचित्य को सही ठहराया जिसमें कहा गया कि राज्य इस तरह का नियम इसलिए तैयार करता है क्योंकि महिलाओं में बच्चों का ख़याल रखने का गुण होता है और चूँकि अधिकांश बच्चे जिनका ख़याल रखे जाने की ज़रूरत है, वे एससी/ए और ईबीसी/ओबीसी श्रेणी से आते हैं।

सरकार के नियम को सही ठहराते हुए न्यायमूर्ति ज्योति सरन और आशुतोष कुमार ने कहा,

"यह नियम कि इस समिति में चार में से दो सदस्य महिला होगी, यह आरक्षण नहीं हो जाता है। महिलाएँ अपने स्वभाव और प्रकृति से बच्चों का देखभाल करने में निपुण होती हैं इसलिए इस नियम को ग़लत नहीं कहा जा सकता। इस तरह 100% आरक्षण की दलील विफल है।"

अपील को ख़ारिज करते हुए पीठ ने कहा कि सीडब्ल्यूसी में नियुक्ति वैसे वास्तविक अर्थ में नियुक्ति नहीं है और सार्वजनिक सेवा के तहत यह किसी पोस्ट पर नियुक्ति नहीं है।


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