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पत्नी को गुजारा भत्ता देने के लिए कुर्क की जा सकती है पेंशन-बाॅम्बे हाईकोर्ट [निर्णय पढ़े]

Live Law Hindi
14 April 2019 11:02 AM GMT
पत्नी को गुजारा भत्ता देने के लिए कुर्क की जा सकती है पेंशन-बाॅम्बे हाईकोर्ट [निर्णय पढ़े]
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बाॅम्बे हाईकोर्ट ने माना है कि पत्नी को गुजारे भत्ते की राशि देने के लिए सरकार द्वारा दी जा रही पेंशन को अटैच या कुर्क किया जा सकता है।

नागपुर बेंच के जस्टिस एम.जी गिराटकर इस मामले में एक पुनःविचार याचिका पर सुनवाई कर रहे थे। यह याचिका भगवंत नारनावारे ने एक दंडाधिकारी कोर्ट द्वारा गुजारे भत्ते के मामले में दिए अंतरिम आदेश के खिलाफ दायर की थी। कोर्ट ने दंडाधिकारी कोर्ट के आदेश को सही ठहराया है,परंतु मासिक गुजारे भत्ते की राशि में संशोधन कर दिया है। उसे प्रतिमाह तीस हजार रुपए से घटाकर बीस हजार रुपए प्रतिमाह कर दिया है।

यह महत्वपूर्ण है कि पति के खिलाफ घरेलू हिंसा के मामले में दायर शिकायत पर सुनवाई अभी चल रही है।

याचिकाकर्ता के वकील पी.के मिश्रा ने दलील दी कि दंडाधिकारी कोर्ट ने अपने अधिकार क्षेत्र से बाहर जाते हुए पेंशन को कुर्क करने के आदेश दे दिए। रिटायर होने से पहले याचिकाकर्ता पति को एक लाख 53 हजार रुपए प्रतिमाह मिलते थे। रिटायरमेंट के बाद उसे 72 हजार रुपए प्रतिमाह पेंशन मिलती है। ऐसे में उसका मुविक्कल इस स्थिति में नहीं है कि वह प्रतिमाह तीस हजार रुपए अपनी पत्नी को गुजारे भत्ते के तौर पर दे। पेंशन एक्ट 1871 के सेक्शन 11 का हवाला देते हुए वकील मिश्रा ने दलील दी कि पेंशन को कुर्क नहीं किया जा सकता है। वहीं गुजारे भत्ते की राशि ज्यादा है,उसे कम करके बीस हजार रुपए किया जाए।

वहीं याचिकाकर्ता की पत्नी की तरफ से पेश वकील एस.जे काडू ने दलील दी कि गुजारे भत्ते की राशि को रिकवर करने के लिए पेंशन को अटैच या कुर्क किया जा सकता है। उसने दलील दी कि याचिकाकर्ता पति का अच्छा रहन-सहन है और 72 हजार रुपए पेंशन मिलती है।उसने याचिकाकर्ता से हुई जिरह का जिक्र करते हुए बताया कि उसने पेंशन के भत्तों के तौर पर बीस लाख रुपए मिले है और उसके पास दो घर भी है।

दोनों पक्षों की दलीलें सुनने और पेंशन एक्ट के सेक्शन 11 को देखने के बाद कोर्ट ने कहा कि-इस सेक्शन को देखने के बाद पता चलता है कि घरेलू या सिविल विवाद के मामलों में किसी लेनदार के कहने पर किसी की पेंशन कुर्क नहीं की जा सकती है। कोर्ट ने याचिकाकर्ता के वकील की दलीलों पर टिप्पणी करते हुए कहा कि सीरियल नंबर 16 के तहत,जो कि कुर्की से संबंधित है-पत्नी को दिए जाने वाले गुजारे भत्ते को लोन नहीं मान सकते है। न ही पत्नी कोई लेनदार है। इसलिए सेक्शन 11 के तहत दी गई छूट को इस मामले में पति को नहीं दिया जा सकता है।

इसलिए इस सेक्शन की इस व्याख्या को देखते हुए कहा जा सकता है कि गुजारे भत्ते की राशि को रिकवर करने के लिए पेंशन को कुर्क किया जा सकता है। इसलिए याचिकाकर्ता की इस दलील को स्वीकार नहीं किया जा सकता है कि पेंशन की कुर्की नहीं हो सकती है।

इसलिए कोर्ट ने इस मामले में दायर पुनःविचार याचिका को आंशिक तौर पर स्वीकार करते हुए दंडाधिकारी कोर्ट के आदेश में संशोधन कर दिया है।


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