आपराधिक मामले की सुनवाई के दौरान निष्कासित कर देने से नहीं बनता है अवमानना का मामला-सुप्रीम कोर्ट [निर्णय पढ़े]

Live Law Hindi

11 April 2019 12:52 PM IST

  • आपराधिक मामले की सुनवाई के दौरान निष्कासित कर देने से नहीं बनता है अवमानना का मामला-सुप्रीम कोर्ट [निर्णय पढ़े]

    सुप्रीम कोर्ट ने उस स्कूल टीचर के निष्कासन को सही ठहराया है,जिस पर एक स्कूली छात्रा के यौन शोषण का आरोप था

    एक स्कूली छात्रा का यौन शोषण करने के मामले में आरोपी एक निजी स्कूल में कार्यरत शिक्षक को निष्कासित करने के फैसले को सही ठहराते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि आपराधिक मामले की लंबित सुनवाई इस शिक्षक के खिलाफ की जाने वाली आतंरिक जांच को प्रभावित नहीं कर सकती है।

    जस्टिस उदय उमेश ललित व जस्टिस इंदिरा बनर्जी की खंडपीठ ने कहा कि इस तरह के मामले में विभागीय जांच शुरू करने की प्रक्रिया को यह नहीं कहा जा सकता है कि उससे कोर्ट की अवमानना हो रही है भले ही मामले की आपराधिक सुनवाई कोर्ट में लंबित हो।

    शिक्षक के खिलाफ लगे आरोपों की जांच करने के लिए एक जांच कमेटी गठित की गई थी। जिसमें एक सदस्य स्कूल प्रबंधन की तरफ से जो कि संयोजक था कमेटी का,एक सदस्य शिक्षक की तरफ से व एक सदस्य राज्य से अवार्ड प्राप्त शिक्षक था। संयोजक ने मामले की जांच करने के बाद रिपोर्ट तैयार की और आरोपी शिक्षक को निष्कासित करने की सिफारिश की। जबकि कमेटी के बाकी दो सदस्यों ने माना िकइस मामले में आपराधिक मामले की सुनवाई लंबित है,ऐसे में कमेटी का निर्णय कोर्ट की अवमानना माना जाएगा।

    स्कूल ट्रिब्यूनल ने कमेटी के बाकी दो सदस्यों के विचार पर असहमति जताते हुए कहा कि मामले में फिर से जांच की जाए। जिसके बाद जांच कमेटी के सभी सदस्यों की तरफ से संयुक्त या मिलकर अंतिम रिपोर्ट तैयार की जाए।

    हाईकोर्ट ने स्कूल के प्रबंधन की उस याचिका को खारिज कर दिया,जो उसने स्कूल ट्रिब्यूनल के आदेश के खिलाफ दायर की थी।

    शीर्ष कोर्ट की बेंच ने कहा कि जांच कमेटी के संयोजक द्वारा निकाला गया निष्कर्ष एकदम सही है। उसने अपनी रिपोर्ट में कहा था कि मामला बहुत संवेदनशील है और कड़ी कार्रवाई की जरूरत है। कोर्ट ने कहा कि कमेटी के बाकी दोनों सदस्यों ने संवेदनहीनता का परिचय दिया है और बेवजह के इस सवाल में फंस गए कि उनके द्वारा की गई कार्रवाई से कही कोर्ट की अवमानना न हो जाए।

    कोर्ट ने कहा कि यह एकदम सत्यापित है कि विभागीय कार्रवाई व आपराधिक मामले में लंबित कार्रवाई,दोनों अलग-अलग है। दोनों का उद्देश्य अलग है,दोनों के सबूतों मापदंड अलग है। वहीं दोनों की दृष्टिकोण भी अलग है। कोर्ट ने कहा िकइस तरह के मामले में अगर विभागीय जांच शुरू की जाती है तो उसे किसी भी सूरत में कोर्ट की अवमानना नहीं कहा जा सकता है।भले आपराधिक मामले की सुनवाई लंबित हो। प्रतिवादी नंबर एक के खिलाफ लगाए गए आरोपों को देखते हुए उसके खिलाफ विभाग की तरफ से तुरंत कार्रवाई बनती है और इस तरह की कार्रवाई पूरी तरह स्वतंत्र है। चाहे कोई आपराधिक मामला लंबित हो या न हो।

    आरोपी शिक्षक को निष्कासित करने के आदेश को सही ठहराते हुए कोर्ट ने स्कूल प्रबंधन के दृष्टिकोण की प्रशंसा की। कोर्ट ने कहा कि भले ही प्रतिवादी नंबर एक की नामित किए गए सदस्य व राज्य से अवार्ड प्राप्त शिक्षक ने अपना स्पष्ट निर्णय न दिया और कोर्ट की अवमानना की बात उठाई हो,परंतु स्कूल प्रबंधन ने जांच कमेटी के संयोजक की रिपोर्ट पर विश्वास करके ठीक किया है। जिसके बाद आरोपी शिक्षक को निष्कासित कर दिया गया। कोर्ट ने कहा कि हमारा मानना है कि स्कूल प्रबंधन ने जो निर्णय लिया है वो बिल्कुल ठीक है और पारदर्शी है। जब किसी स्कूल छात्रा से यौन शोषण करने का आरोप हो तो स्कूल प्रबंधन से इसी तरह के निर्णय की उम्मीद की जाती है।


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