रामाकृष्णा मिशन नहीं है कोई पब्लिक अॅथारिटी या राज्य-सुप्रीम कोर्ट [निर्णय पढ़े]

Live Law Hindi

31 March 2019 4:59 PM GMT

  • रामाकृष्णा मिशन नहीं है कोई पब्लिक अॅथारिटी या राज्य-सुप्रीम कोर्ट [निर्णय पढ़े]

    सुप्रीम कोर्ट ने साफ किया है कि एक प्राइवेट बाॅडी या संगठन पर किसी प्रतिमा या स्मारक द्वारा नियंत्रण करने के आधार पर यह निर्णय नहीं लिया जा सकता है कि वह सार्वजनिक काम भी करती है।

    जस्टिस डी.वाई चंद्राचूड़ व जस्टिस हेंमत गुप्ता की खंडपीठ ने अपने पिछले महीने दिए अपने एक फैसले में कहा कि रामाकृष्णा मिशन व उसके अस्पताल कोई अॅथारिटी नहीं है और संविधान के अनुच्छेद 226 के तहत अॅथारिटी की परिभाषा में नहीं आते हैं।

    रामाकृष्णा मिशन बनाम कागो कुनया नामक केस में अपना फैसला देते हुए गुवाहाटी हाईकोर्ट ने कहा था कि मिशन के द्वारा राज्य में बहुत बड़ा अस्पताल चलता है। जिसके लिए पब्लिक फंड का उपयोग भी किया जाता है। इसलिए रिट ज्यूरिडिक्शन के लिए जिम्मेदार होगा।

    इस मामले में दायर अपील पर सुनवाई करते हुए बेंच ने विशेषतौर पर दो तथ्यों पर ध्यान दिया। पहला,मिशन के मैमोरेंडम आॅफ एसोसिएशन एंड रूल एंड रेगुलेशन के अनुसार उसके कामकाज व प्रबंध पर सरकार का किसी तरह का कोई नियंत्रण नहीं है। दूसरा, अस्पताल में काम करने वाले कर्मचारियों की नौकरी की स्थिति पर सर्विस रूल लागू होते है,जिनको बिना किसी सरकारी हस्तक्षेप के मिशन की तरफ से बनाया गया है।

    प्रबंधन में सरकार का नियंत्रण न होना महत्वपूर्ण

    खंडपीठ ने कहा कि किसी संगठन के बारे में यह कहना कि वह पब्लिक कार्य कर रहा है,इससे पहले यह देखा जाना चाहिए कि क्या संगठन के वह कार्य किसी राज्य द्वारा अपनी प्रभुता या राज के तहत किए जाने वाले कार्यों से नजदीकी तौर पर संबंधित है।

    परंतु इस मामले में ऐसा कुछ रिकार्ड पर नहीं आया,जिससे यह कहा जा सके कि मिशन के अस्पताल द्वारा बिल्कुल वैसे की काम किए जा रहे है,जो सिर्फ राज्य के अॅथारिटी द्वारा किए जा सकते है। मेडिकल की सुविधा निजी तौर पर दी जा रही है और राज्य द्वारा भी। किसी संगठन को पब्लिक अॅथारिटी माना जाना या ना माना जाना,परिस्थितियों पर निर्भर करता है। मिशन द्वारा अस्पताल बनाए जाने से यह नहीं कहा जा सकता है कि वह सरकारी या जनता के काम कर रहा है। अस्पताल को कोई एकाधिकार का स्टे्टस नहीं मिला है। इसलिए अगर वह राज्य में पहला ऐसा अस्पताल है,जो इस तरह की सेवाएं दे रहा है तो भी वह अनुच्छेद 226 के तहत अॅथारिटी की परिभाषा में नहीं आता है। राज्य अपने इलाके में इस तरह के संस्थानों को काम करने के लिए आकर्षित करने के लिए कई रियायतें देती है। अगर अस्पताल को सस्ती दर पर जमीन दी गई है,इस आधार पर भी यह नहीं कहा जा सकता है कि अस्पताल कोई जनता या सरकारी काम कर रहा है। इस मामले में अस्पताल के प्रबंधन में राज्य का कोई नियंत्रण नहीं है। जिससे हम साफ तौर पर कह सकते है कि यह अस्पताल पब्लिक अॅथारिटी की परिभाषा या दायरे में नहीं आता है।

    कोर्ट ने यह भी कहा कि हमारा मानना है कि रामाकृष्णा मिशन द्वारा अस्पताल चलाने के आधार पर यह नहीं कहा जा सकता है िकवह सरकारी काम कर रहा है। निसंदेह अस्पताल को कुछ अनुदान मिलता है। जिससे अस्पताल के कुछ खर्चे पूरे होते है। परंतु उस अनुदान से ऐसा कुछ नहीं पता चलता है कि अस्पताल के प्रबंधन में सरकार का किसी तरह क नियंत्रण है। रामाकृष्णा मिशन द्वारा जिस तरह के काम किए जा रहे है,वह पूरी तरह के स्वेच्छिक कार्य है।

    किसी बाॅडी या संगठन का नियंत्रण एक स्मारक द्वारा किए जाने से वह संगठन नहीं बन जाता है वैधानिक बाॅडी

    अस्पताल का रेगुलेशन क्लीनिकल इस्टेबलिस्टमेंट एक्ट 2010 के तहत के मामले में दी गई दलील के संबंध में बेंच ने कहा कि-

    निजी व्यक्ति व संगठनों को कानून के तहत कई दायित्वों को पूरा करना होता है। कानून पूरे देश पर लागू होता है। जन्म से लेकर मृत्यु तक की सूचना देने के अलावा कानून एक व्यक्ति की जिदंगी पर कई दायित्व सौंपता है। किसी बिजनेस को शुरू करने से लेकर उसे खत्म करने तक के सफर के लिए भी कई तरह के कानूनों का पालन करना पड़ता है। परंतु इसका मतलब यह नहीं है कि सभी ईकाई या गतिविधि अनुच्छदे 226 के तहत अॅथारिटी बन जाए। अस्पताल का रेगुलेशन एक स्मारक द्वारा किया जा रहा है,इसका मतलब यह नहीं है कि उसका गठन भी एक स्मारक के तहत हुआ है।

    निजी व्यक्ति व संगठनों को कानून के तहत कई दायित्वों को पूरा करना होता है। कानून पूरे देश पर लागू होता है। जन्म से लेकर मृत्यु तक की सूचना देने के अलावा कानून एक व्यक्ति की जिदंगी पर कई दायित्व सौंपता है। किसी बिजनेस को शुरू करने से लेकर उसे खत्म करने तक के सफर के लिए भी कई तरह के कानूनों का पालन करना पड़ता है। परंतु इसका मतलब यह नहीं है कि सभी ईकाई या गतिविधि अनुच्छदे 226 के तहत अॅथारिटी बन जाए। अस्पताल का रेगुलेशन एक स्मारक द्वारा किया जा रहा है,इसका मतलब यह नहीं है कि उसका गठन भी एक स्मारक के तहत हुआ है।


    Next Story