कर्नाटक राजनीतिक विवाद : मुख्यमंत्री के कथित टेप पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा, " आपने बता दिया, हम विचार करेंगे"

LiveLaw News Network

5 Nov 2019 9:51 AM GMT

  • कर्नाटक राजनीतिक विवाद : मुख्यमंत्री के कथित टेप पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा,  आपने बता दिया, हम विचार करेंगे

    सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को कहा कि वह कांग्रेसी नेता द्वारा कर्नाटक के मुख्यमंत्री बी एस येदियुरप्पा के कथित ऑडियो टेप को 17 बागी विधायकों की अयोग्यता के खिलाफ याचिका पर फैसला देने में रिकॉर्ड पर लेने पर विचार करेगा।

    येदियुरप्पा द्वारा बातचीत की दर्ज की गई टेप में कथित तौर पर जेडीएस-कांग्रेस सरकार को गिराने के लिए 17 बागी विधायकों की गतिविधियों में भाजपा अध्यक्ष अमित शाह की भूमिका को स्वीकार किया गया है।

    दरअसल 26 अक्टूबर को अदालत ने कांग्रेस और जेडीएस के 17 बागी विधायकों की अपनी अयोग्यता के खिलाफ याचिका पर अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था।

    मंगलवार को वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल जो याचिकाकर्ता दिनेश गुंडू राव की ओर से पेश हुए, ने हाल ही में भाजपा की कोर कमेटी की बैठक में मुख्यमंत्री की कथित बातचीत का हवाला दिया जिसमें कहा गया था कि केंद्रीय गृह मंत्री के उदाहरण पर ये किया गया है।

    न्यायमूर्ति एन वी रमना की अध्यक्षता वाली पीठ ने सिब्बल से कहा, "हमने बड़े पैमाने पर सब कुछ कवर किया है। इसकी प्रासंगिकता क्या है।"

    पीठ ने कहा,

    "आप पहले ही तर्क दे चुके हैं कि विधायकों को मुंबई ले जाया गया था। हमने पहले ही सब कुछ नोट कर लिया है। हम इस पर गौर करेंगे," पीठ में जस्टिस संजीव खन्ना और कृष्ण मुरारी भी शामिल हैं।"

    सिब्बल ने हालांकि कहा कि इस मामले को रिकॉर्ड में लिया जाना चाहिए। पीठ ने कहा, "इसका व्यापक प्रभाव और परिणाम होगा। इससे फैसले में देरी होगी। हमें नोटिस जारी करना होगा।"

    वहीं अयोग्य विधायकों के लिए पेश हुए वरिष्ठ वकील सी ए सुंदरम ने कहा कि कांग्रेस नेता इस मुद्दे को सनसनीखेज बनाना चाहते हैं जबकि सीएम ने पहले ही इनकार कर दिया था। राव द्वारा सोमवार को दायर आवेदन में कहा गया है कि बातचीत से कर्नाटक के अयोग्य विधायकों द्वारा दायर रिट याचिकाओं के फैसले पर " तथ्यात्मक असर" होगा।

    इससे स्पष्ट रूप से पता चलता है कि अयोग्य विधायकों का मकसद एच डी कुमारस्वामी के नेतृत्व वाली सरकार को गिराना और ढहाना था। इस प्रकार, इसने संविधान की दसवीं अनुसूची (दलबदल विरोधी कानून) के प्रावधानों को आकर्षित किया, यह कहा गया है।

    आवेदक ने दावा किया कि रिट याचिकाओं को भाजपा के नेताओं के इशारे, निर्देश और देखरेख में दाखिल किया गया था।

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