Begin typing your search above and press return to search.
ताजा खबरें

दिल्ली हाईकोर्ट ने कहा गुरुमूर्ति से कहा, क्या आप न्यायमूर्ति मुरलीधर पर किए अपने ट्वीट पर बिना शर्त माफी मांग सकते हैं?

LiveLaw News Network
7 Dec 2019 2:45 AM GMT
दिल्ली हाईकोर्ट ने कहा गुरुमूर्ति से कहा, क्या आप न्यायमूर्ति मुरलीधर पर किए अपने ट्वीट पर बिना शर्त माफी मांग सकते हैं?
x

दिल्ली हाईकोर्ट ने एस. गुरुमूर्ति के खिलाफ दायर अवमानना के मामले में उनसे पूछा है कि क्या वह अपने जवाब में बिना शर्त माफी मांगने का बयान जोड़ेंगे और उसे अपने अकाउंट से ट्वीट करेंगे?

यह मामला एस.गुरुमूर्ति के ट्वीट से संबंधित है। जहां उन्होंने एक सवाल पोस्ट किया था जिसमें कहा गया था कि क्या जस्टिस मुरलीधर पी चिदंबरम के जूनियर थे? यह ट्वीट आईएनएक्स मीडिया मामले में जस्टिस मुरलीधर और जस्टिस आई.एस मेहता की दो सदस्यीय बेंच द्वारा कार्ति चिदंबरम को अंतरिम संरक्षण दिए जाने के बाद किया गया था।

इस बारे में जानने क बाद न्यायमूर्ति मुरलीधर ने विशेष रूप से स्पष्ट किया था कि पी चिदंबरम के साथ उनका किसी प्रकार का कोई संबंध नहीं था। न ही उन्होंने चिदंबरम के जूनियर के रूप में कभी काम किया था।

अवमानना के स्वत संज्ञान मामले में, वरिष्ठ वकील सुधांशु बत्रा ने तर्क दिया था कि गुरुमूर्ति द्वारा अवमानना आवेदन के मामले में दायर जवाब में वास्तविक पश्चाताप और बिना शर्त माफी नहीं थी।

गुरुमूर्ति की तरफ से पेश होते हुए, वरिष्ठ वकील महेश जेठमलानी ने अदालत को सूचित किया कि गुरुमूर्ति ने अपने जवाब में पहले ही अपना बयान स्पष्ट कर दिया है और उन्होंने पहले ही ट्वीट को भी हटा दिया है।

उन्होंने अदालत को सूचित किया कि गुरुमूर्ति ने अपने जवाब में निम्नलिखित बयान दिया हैः-

"न्यायाधीश के खिलाफ मेरी कोई व्यक्तिगत दुश्मनी नहीं है और मैं उनका पूरा सम्मान करता हूं। मेरे ट्वीट का उनके प्रति अवमानना करने का कोई इरादा नहीं था। मुझे एक विश्वसनीय स्रोत से एक जानकारी मिली थी। इसलिए, ट्विटर पर मेरा प्रश्न केवल उसी पर स्पष्टीकरण के लिए एक अनुरोध था। उस सवाल को ट्वीट करने के पीछे मेरा कोई गलत इरादा नहीं था।"

उसके ट्वीट की प्रकृति के बारे में पूछते हुए , न्यायमूर्ति भंभानी ने कहा कि अनौपचारिक सभा में दिए गए बयान और सार्वजनिक पोर्टल पर दिए गए बयान के बीच अंतर है।

उन्होंने कहा कि समस्या यह है कि उक्त प्रश्न एक सार्वजनिक पोर्टल पर पूछा गया था जहां यह एक अफवाह का दौर या मिल या चक्की चला सकता है। यहां तक कि अगर आप (गुरुमूर्ति) ने इसे हटा दिया है, तो भी घंटी बंद नहीं हो सकती है या बिना बजे नहीं रह सकती है। इस तरह की जानकारी पल भर में दुनिया भर में फैल जाती है।

इसी में जोड़ते हुए, न्यायमूर्ति सिस्तानी ने जेठमलानी से पूछा कि क्या वह वास्तव में यह सोचते हैं कि न्यायाधीश इतने कमजोर हैं कि वे सिर्फ इसलिए प्रभावित होंगे क्योंकि वे किसी के घर गए थे या किसी के अधीन या साथ काम किया था?

उन्होंने जेठमलानी से यह भी पूछा कि क्या उन्हें उन सभी लोगों के नाम याद हैं जिन्होंने उनके अधीन या साथ काम किया है। अदालत ने गुरुमूर्ति को अपना माफीनामा लंच या दोपहर के भोजन अवकाश के बाद पेश करने का मौका दिया था, लेकिन उसे अमल में नहीं लाया गया।

इसलिए, न्यायमूर्ति सिस्तानी और न्यायमूर्ति भंभानी की खंडपीठ ने कहा कि गुरुमूर्ति अपने जवाब में एक बयान जोड़ सकते हैं कि वह उस सवाल के लिए बिना शर्त माफी मांगते हैं जो उन्होंने ट्वीट किया था।

अदालत ने कहा कि गुरुमूर्ति ने अपने जवाब में जो स्पष्टीकरण दिया है, वह संतोषजनक है, बशर्ते वह अपने बयान में माफी के बारे में उक्त वाक्य जोड़ दे।

अदालत ने यह भी कहा कि यह माफी गुरुमूर्ति द्वारा अपने ट्विटर अकाउंट के माध्यम से भी ट्वीट की जा सकती है। अदालत ने कहा कि इस तरह की माफी को प्रकृति के वास्तविक पश्चाताप को प्रतिबिंबित करना चाहिए।

मामले को 10 दिसंबर तक के लिए स्थगित कर दिया गया है। अदालत ने जेठमलानी को अगली सुनवाई पर पूरे निर्देशों के साथ या स्वयं गुरुमूर्ति के साथ उपस्थित होने को कहा है।

Next Story