वकीलों की हड़ताल : सुप्रीम कोर्ट ने बार अध्यक्षों को नोटिस जारी करते हुए कहा, संदेह है कि वकीलों का आचरण अवमानना के दायरे में है या नहीं
LiveLaw News Network
24 Oct 2019 5:18 PM GMT
सुप्रीम ने कोर्ट ने कहा कि इसमें कुछ संदेह है कि उड़ीसा में वकीलों का आचरण, जो उड़ीसा में मुख्य न्यायाधीश की अदालत का बहिष्कार कर रहे हैं, अवमानना के दायरे में है। सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को उड़ीसा स्टेट बार काउंसिल के चेयरमैन और उड़ीसा हाईकोर्ट बार एसोसिएशन के अध्यक्ष को व्यक्तिगत रूप से पेश होने के निर्देश के साथ नोटिस जारी किए।
अदालत ने कहा,
"हमें थोड़ा संदेह है कि वकीलों का आचरण वास्तव में पूर्वोक्त कानून के मद्देनजर अवमानना के क्षेत्र में आता है। हालांकि, इस दिशा में कार्रवाई करने से पहले, हम उनके आचरण की व्याख्या करने के लिए केवल नोटिस जारी करना उचित समझते हैं। हम विशेष रूप से बार काउंसिल ऑफ इंडिया को सूचित करना चाहते हैं कि वे इस बात की जानकारी दें कि वे इस न्यायालय के निर्देशों का उल्लंघन करने वाले अधिवक्ताओं के आचरण के संबंध में क्या कदम उठाते हैं।"
जस्टिस एस के कौल और के एम जोसेफ की पीठ ने कहा,
"उड़ीसा स्टेट बार काउंसिल के अध्यक्ष और उड़ीसा हाईकोर्ट बार एसोसिएशन के अध्यक्ष भी व्यक्ति के रूप में पेश होंगे। "
कृष्णकांत ताम्रकार बनाम मध्य प्रदेश राज्य (2018) 17 SCC 27 में निर्धारित कानून के प्रकाश में यह आदेश पारित किया गया था, जिसमें शीर्ष न्यायालय ने कहा था कि
"क्योंकि इस न्यायालय में हड़ताल करना कानून का उल्लंघन है। अवमानना के दायरे में कम से कम एसोसिएशन के पदाधिकारी आते हैं, जो हड़ताल का आह्वान करते हैं, वे अवमानना के लिए अपनी देयता से पीछे नहीं हट सकते। "
दरअसल उड़ीसा उच्च न्यायालय के वकील लगातार हड़ताल पर रहे हैं। वे कॉलेजियम के फैसले का विरोध करते रहे हैं, जिसमें कॉलेजियम ने सुप्रीम कोर्ट में प्रैक्टिस करने वाले कुछ अभ्यर्थियों के नाम क्लीयर कर दिए लेकिन अन्य उम्मीदवारों के नाम क्लीयर नहीं किए।